कौन हैं शेखा एजे अल-सबा, जिन्हें पद्मश्री से किया जाएगा सम्मानित?
क्या है खबर?
पद्मश्री सम्मान भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले सर्वोच्च नागरिक सम्मान में से एक है और इस साल जिन्हें पद्मश्री सम्मान से नवाजा जाने वाला है, उनमें से एक कुवैत की शेखा अली अल-जबर अल-सबा भी हैं।
कुवैत में भारतीय दूतावास ने मीडिया से कहा, "शेखा पद्म सम्मान पाने वाली कुवैती नागरिक हैं, जबकि इस साल पद्मश्री के चुनिंदा 8 अंतरराष्ट्रीय प्राप्तकर्ताओं में से एक हैं।"
आइए शेखा के करियर पर एक नजर डाल लेते हैं।
परिचयइ
कौन हैं शेखा शेखा अली अल-जबर अल-सबा?
शेखा एक प्रसिद्ध उद्यमी और मानवतावादी हैं, जिन्होंने साल 2001 में अपनी योग यात्रा शुरू की और साल 2014 में कुवैत के पहले लाइसेंस प्राप्त स्टूडियो 'दरात्मा' की स्थापना की।
दरात्मा नाम अरबी शब्द दार (घर) को संस्कृत शब्द आत्मा (आत्मा) से जोड़ता है और इस प्रकार ये भारत के साथ एक गहरे संबंध का प्रतीक है।
वह कुवैत में योग शिक्षा के क्षेत्र में आगे रही हैं और अपने देश में शेम्स यूथ योगा की सह-संस्थापक भी हैं।
योगदान
इन कारणों से पद्मश्री तक पहुंची शेखा
शेखा ने योग और मानवता के लिए कई योगदान दिए हैं, जो उन्हें पद्मश्री की ओर लेकर गए।
उन्होंने कुवैत में योग शिक्षा लाइसेंस शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे योग को आधिकारिक तौर पर मान्यता मिली।
इसके अतिरिक्त शेखा ने शेम्स यूथ योगा की सह-स्थापना करके 0-14 आयु वर्ग के बच्चों के लिए एक क्लास भी रखी।
साल 2015 में उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात में विपश्यना मौन रिट्रीट का आयोजन किया।
योगदान
मानवीय पहल में भी आगे रही शेखा
शेखा ने साल 2021 में यमनी शरणार्थियों और किसी समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए धन जुटाते हुए योम्नाक लिल यमन को लॉन्च किया।
इसके अलावा कुवैत में अनाथ बच्चों को शैक्षिक आपूर्ति प्रदान करके साल 2020 में महामारी राहत का समर्थन किया।
शेखा ने कुवैत में साल 2008 से 2014 तक रेकी जिन केई डो मास्टर प्रशिक्षण का भी आयोजन किया, जबकि साल 2001 में अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक महिला और बच्चों का केंद्र स्थापित किया।
पुरस्कार
शेखा ने कड़ी मेहनत से हासिल किया पद्मश्री सम्मान
शेखा का योगदान योग से परे फैला हुआ है, जो जागरूकता और वैश्विक एकता को बढ़ावा देने के लिए पारंपरिक प्रथाओं को आधुनिक दृष्टिकोण के साथ जोड़ता है।
कल्याण और सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उनके काम ने उन्हें भारत-कुवैत संबंधों में एक प्रमुख व्यक्ति बना दिया है।
शेखा को अपने कामों से कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं और अब उन्होंने अपनी मेहनत से पद्मश्री भी हासिल कर लिया है।