साइटिका की समस्या को दूर करने में मदद कर सकते हैं ये 5 योगासन
हमारे शरीर में साइटिका नाम की एक बड़ी तंत्रिका होती है। जब इस तंत्रिका पर किसी कारणवश दबाव पड़ता है या इसमें रक्त संचार कम हो जाता है तो कमर के निचले हिस्से से लेकर एड़ियों तक असहनीय दर्द और सुन्नपन जैसी परेशानियां होने लगती है। इसके कारण बैठना और खड़ा होना काफी मुश्किल हो जाता है, लेकिन योग इस समस्या के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है। इसके लिए रोजाना इन 5 योगासनों का अभ्यास करें।
दंडासन
दंडासन के लिए जमीन पर बैठकर दोनों पैरों को फैलाएं और दोनों को पास-पास रखें। अब दोनों हाथों को सीधे करें और हथेलियों को जमीन पर रखें। इस दौरान हाथ दोनों कूल्हों के पास में रहने चाहिए। इसके बाद पीठ और गर्दन को सीधा रखते हुए सामान्य रूप से सांस लेते रहें। इस आसन को कम से कम 1 से 2 मिनट तक या अपनी क्षमतानुसार करें और फिर धीरे-धीरे आसन छोड़ते हुए सामान्य हो जाएं।
शलभासन
सबसे पहले जमीन पर पेट के बल लेट जाएं, फिर दोनों हाथों को जांघो के पीछे की ओर ले जाए। अब लंबी सांस लेते हुए सिर के साथ धीरे-धीरे दोनों पैरों और गर्दन को ऊपर की तरफ उठाएं, लेकिन ध्यान रहे कि आपका पेट जमीन पर ही रहना चाहिए। कुछ मिनट बाद इस मुद्रा को धीरे-धीरे छोड़ते हुए सामान्य हो जाए। इस आसन को आप 10-12 बार दोहरा सकते हैं।
सुप्त पदांगुष्ठासन
इसके लिए जमीन पर पीठ के बल सावधान मुद्रा में लेट जाएं और फिर सांस भरते हुए दाएं पैर को ऊपर उठाएं। ध्यान रखें कि इस दौरान दोनों पैर घुटने से न मुड़ें। इसके बाद सांस छोड़ते हुए दाएं हाथ से दाएं पैर के अंगूठे को पकड़ने की कोशिश करें। इस मुद्रा में कुछ सेकेंड रहने के बाद इसी प्रक्रिया को बाएं पैर से दोहराएं। कुछ मिनट बाद यह आसन छोड़कर थोड़ा आराम करें।
अर्धमत्स्येन्द्रासन
सबसे पहले योग मैट पर दंडासन की अवस्था में बैठ जाएं, फिर बाएं पैर को मोड़ें और दाएं घुटने को ऊपर करते हुए बाएं पैर को जमीन पर रखें और पीठ को सीधा रखें। अब बाएं पैर के ऊपर से दाएं हाथ को लाएं और बाएं पैर के अंगूठे को पकड़ लें। सांस छोड़ते हुए शरीर के जितना मोड़ सके उतना मोड़ने की कोशिश करें और फिर सामान्य अवस्था में आ जाएं। यहां जानिए अर्धमत्स्येन्द्रासन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।
भुजंगासन
भुजंगासन करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर हाथों को कंधों के नीचे रखकर पेट के बल लेट जाएं। अब हाथों से दबाव देते हुए शरीर को जहां तक संभव हो सके, उठाने की कोशिश करें। इस दौरान सामान्य तरीके से सांस लेते रहें। इसके बाद कुछ देर इसी मुद्रा में बने रहें और फिर धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं, फिर से इसी प्रक्रिया को दोहराकर 3-4 चक्र पूरे करें।