
सुनील छेत्री बने पद्मश्री पाने वाले छठे भारतीय फुटबॉलर, जाने अन्य पांच फुटबॉलर्स के नाम
क्या है खबर?
बीती रात गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारतीय फुटबॉल फैंस के लिए काफी बड़ी खुशखबरी आई। भारतीय फुटबॉल टीम के लेज़ेंड सुनील छेत्री को पद्मश्री से नवाजे जाने की घोषणा की गई।
सुनील छेत्री दुनिया के दूसरे सबसे ज़्यादा इंटरनेशनल गोल दागने वाले एक्टिव फुटबॉलर हैं। उन्होंने हाल ही में लियोनल मेसी को पछाड़ा है।
भारत के लिए 67 गोल दाग चुके मेसी पद्मश्री से नवाजे जाने वाले भारत के छठे फुटबॉलर हैं। जानिए अन्य 5 फुटबॉलर्स के नाम।
गोस्तो पाल
पद्मश्री पाने वाले पहले भारतीय फुटबॉलर
गोस्तो पाल भारतीय फुटबॉल टीम के पहले कप्तान थे। उन्होंने 1920 से लेकर 1930 तक नेशनल टीम के लिए खेला।
उन्हें 'द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना' के नाम से जाना जाता था। पाल को भारत के बेस्ट डिफेंडर के रूप में जाना जाता है।
कलकत्ता के क्लब मोहन बागान के लेज़ेंड के रूप में भी याद किए जाने वाले पाल 1962 में पद्मश्री से नवाजे जाने वाले पहले भारतीय फुटबॉलर बने थे।
1984 में उनकी एक प्रतिमा भी लगवाई गई।
सेलिएन मन्ना
एक और बेहतरीन डिफेंडर
1 सितंबर, 1924 को हावड़ा में जन्में सेलिएन मन्ना ने भी भारतीय टीम की अगुवाई की थी। उन्हें भी भारत के महान डिफेंडर्स में से एक माना जाता है।
उनके नाम मोहन बागान के लिए लगातार 19 वर्षों तक खेलने का रिकॉर्ड भी है। उनकी कप्तानी में ही भारत ने 1951 में एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीता था।
1971 में भारतीय फुटबॉल में उनकी सेवाओं को देखते हुए उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया।
चुनी गोस्वामी
एशिया के बेस्ट स्ट्राइकर का अवार्ड पाने वाले फुटबॉलर
चुनी गोस्वामी भारतीय फुटबॉल का वह अनमोल हीरा हैं जिन्होंने विश्व पटल पर अपनी चमक बिखेरी थी।
मोहन बागान के साथ फुटबॉल की शुरुआत करने वाले चुनी ने अपना पूरा करियर वहीं बिता दिया बावजूद इसके कि उनके पास कई ऑफर्स थे।
उन्हें 1962 में एशिया का बेस्ट स्ट्राइकर चुना गया था। 1963 में अर्जुन अवार्ड और 1983 में पद्मश्री पाने वाले चुनी क्रिकेट में भी शानदार थे।
फुटबॉल छोड़ने के बाद उन्होंने बंगाल के लिए रणजी क्रिकेट भी खेला।
पीके बनर्जी
अर्जुन अवार्ड पाने वाले पहले खिलाड़ी
पीके बनर्जी को भारतीय फुटबॉल महान खिलाड़ी के रूप में जाना जाता है। उन्होंने संतोष ट्रॉफी में बिहार को रिप्रजेंट किया था।
उसके बाद वह बंगाल चले आए और फिर उन्होंने भारतीय फुटबॉल टीम के साथ तीन एशियन गेम्स खेला और गोल्ड मेडल जीते।
1961 में वह अर्जुन अवार्ड जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने थे। 1990 में उन्हें पद्मश्री से भी नवाजा गया।
2004 में उन्हें फीफा ने अपना सबसे बड़ा सम्मान फीफा ऑर्डर ऑफ मेरिट दिया था।
बाईचुंग भूटिया
भारतीय फुटबॉल के पथ प्रदर्शक
बाईचुंग भूटिया ने लंबे समय तक भारतीय फुटबॉल को अपने कंधों पर ढोया है। उन्होंने भारतीय फुटबॉल को नई ऊचाइयों तक ले जाने के लिए लंबा संघर्ष किया।
भारत में फुटबॉलर के नाम पर पहला स्टेडियम भूटिया के नाम का ही बना था। उन्होंने अपनी कप्तानी में भारत को कई इंटरनेशनल ट्रॉफियां जिताई हैं।
1998 में अर्जुन अवार्ड जीतने वाले भूटिया को 2008 में पद्मश्री से नवाजा गया। इसके अलावा उन्हें 2014 में बंगा भूषण भी दिया गया।