#NewsBytesExplainer: बांग्लादेश के आम चुनाव में प्रधानमंत्री शेख हसीना की जीत तय क्यों मानी जा रही?
क्या है खबर?
बांग्लादेश में 7 जनवरी को आम चुनाव होने हैं, लेकिन चुनाव के नतीजे पहले से ही तय हैं। इसकी वजह ये है कि देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी चुनाव का बहिष्कार कर रही है।
सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) का मानना है कि प्रधानमंत्री शेख हसीना के पद पर रहते हुए स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव नहीं हो सकता है।
आइए इस पूरे विवाद को विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं।
चुनाव
BNP ने क्यों किया चुनाव का बहिष्कार?
बांग्लादेश में विपक्ष को दरकिनार करते हुए चुनाव होने जा रहे हैं। विपक्ष ने हसीना सरकार पर अलोकतांत्रिक तरीके से चुनाव कराने का आरोप लगाया है।
विपक्ष की मांग थी कि सत्तारूढ़ अवामी लीग प्रमुख हसीना आम चुनाव से पहले प्रधानमंत्री का पद छोड़ दें और एक तटस्थ अंतरिम सरकार की निगरानी में चुनाव कराए जाएं।
प्रधानमंत्री हसीना ने इन सभी मांगों को खारिज कर दिया, जिससे बाद BNP के चुनाव में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया।
बयान
BNP ने क्या आरोप लगाए हैं?
BBC से बातचीत में BNP के नेता अब्दुल मोईन खान ने कहा, "लोकतंत्र बांग्लादेश में मर गया है। हम जनवरी में जो देखने जा रहे हैं, वो फर्जी चुनाव हैं। प्रधानमंत्री हसीना पिछले कुछ सालों में तेजी से निरंकुश हुई हैं।"
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, "हसीना सरकार ने 20,000 से अधिक BNP कार्यकर्ताओं को फर्जी आरोपों में गिरफ्तार किया है, जबकि लाखों की संख्या में पार्टी के कार्यकार्ताओं पर केस दायर किए गए हैं।"
बयान
BNP के चुनाव बहिष्कार पर सरकार ने क्या कहा?
विपक्ष के चुनाव बहिष्कार को लेकर सरकार के कानून मंत्री अनीसुल हक ने कहा, "चुनाव लोगों की वोटिंग में भागीदारी से निर्धारित होते हैं। इस बार चुनाव में BNP को छोड़कर बाकी कई राजनीतिक दल हिस्सा ले रहे हैं।"
उन्होंने BNP कार्यकर्ताओं को हिरासत में रखने के आरोपों पर कहा, "मैंने इसकी जांच की और ये अधूरी जानकारी है। 2001 और 2004 के चुनावों के दौरान हुई हिंसक घटनाओं के मामलों में पार्टी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारियां हुई हैं।"
विपक्ष
कितने सही हैं विपक्ष के आरोप?
हाल ही में ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट में विपक्षी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए इसे हसीना सरकार की दमनकारी नीति बताया गया था।
आंकड़े बताते हैं कि हसीना सरकार के कार्यकाल में राजनीति से प्रेरित गिरफ्तारियां, हत्याएं और शोषण बढ़ा है। कई विपक्षी नेताओं और कार्यकर्ताओं को झूठे आरोपों में जबरन जेलों में बंद किया गया है।
आलोचकों का तर्क है कि चुनाव से पहले BNP को कमजोर करने के लिए सरकार ने जानबूझकर ऐसा किया है।
अंतरराष्ट्रीय
पश्चिमी देशों का मामले पर क्या रुख?
बांग्लादेश सरकार की दमनकारी नीतियों के चलते अमेरिका ने यहां सीमित प्रतिबंध लगाए हुए हैं। इसे लेकर कुछ अन्य पश्चिमी देशों के नेता भी चिंता जता चुके हैं।
अंतरराष्ट्रीय मानवधिकार समूहों का कहना है कि बांग्लादेश में राजनीतिक विरोधियों के अलावा 2009 के बाद हिरासत में हत्या और अपहरण के सैकड़ों मामले सामने आए हैं।
उनका कहना है कि स्थानीय पत्रकारों ने डर के कारण सरकार के खिलाफ बोलना बंद कर दिया है।
बांग्लादेश
भारत के साथ कैसे हैं बांग्लादेश के रिश्ते?
पश्चिमी देशों की आलोचना के बाद भी बांग्लादेश में चुनाव हो रहे हैं। यह उसकी बढ़ती आर्थिक ताकत को दिखाता है। चीन के बाद बांग्लादेश दुनिया का सबसे बड़ा कपड़ों का निर्यातक है।
भारत भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बांग्लादेश के साथ खड़ा नजर आता है और दोनों देशों के बीच 2,000 करोड़ डॉलर से ज्यादा का सालाना व्यापार होता है।
हसीना सरकार में बांग्लादेश-भारत के रिश्ते मजबूत हुए हैं और भारत को चीन-पाकिस्तान के खिलाफ बांग्लादेश की जरूरत है।