कश्मीर मुद्दे को UN के एजेंडे में लाने में आ रहीं मुश्किलें- पाकिस्तान
क्या है खबर?
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा है कि पाकिस्तान को कश्मीर के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र (UN) के एजेंडे के केंद्र में लाने के लिए काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि UN का बड़ा सदस्य होने के बावजूद पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे को लेकर अन्य देशों का समर्थन हासिल करने में नाकाम रहा है।
गौरतलब है बिलावल ने हाल ही में UN में एक चर्चा के दौरान जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठाया था।
बयान
बिलावल ने भारत को दोस्त कहकर किया संबोधित
बिलावल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, "हमें कश्मीर मुद्दे को UN के एजेंडे के तौर पर आगे बढ़ाने में और इस पर संगठन का ध्यान आकर्षित करने में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।"
उन्होंने लड़खड़ाते हुए भारत को पहले दोस्त कहकर संबोधित करते हुए कहा, "हमारा पड़ोसी देश (भारत) इस बात का बड़े पैमाने पर विरोध करता है कि कश्मीर कोई विवादित क्षेत्र नहीं है और इसी तथ्य को UN के सामने पेश करता है।"
बयान
बिलावल बोले- पाकिस्तान की कोशिशें जारी रहेंगी
बिलावल ने आगे कहा, "भारत वास्तविकता से अलग इस बात पर हमेशा जोर देता है कि कश्मीर पर उसका कब्जा जायज है, वह तथ्य पेश करते हैं और अन्य कई देशों द्वारा इसका समर्थन भी किया जाता है।"
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय भले ही कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान की सोच खारिज कर दे और सच्चाई को सामने लाने में कितनी भी मुश्किल हो, उनके देश की कोशिशों में कोई कमी नहीं होगी।
तुलना
कश्मीर और भारत के बीच काफी समानताएं- बिलावल
बिलावल ने कश्मीर और फिलिस्तीन की आपस में तुलना भी की।
उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि आपका समानांतर बहुत न्यायसंगत है। कश्मीर के लोगों की दुर्दशा और फिलिस्तीन के लोगों की दुर्दशा में कई तरह की समानताएं हैं। मुझे लगता है कि यह कहना उचित है कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा दोनों मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया गया है और हम ना केवल फिलिस्तीन पर बल्कि कश्मीर पर भी अतिरिक्त ध्यान देना चाहते हैं।"
फटकार
भारत ने लगाई थी पाकिस्तान की फटकार
हाल ही में बिलावल ने UN में महिला, शांति और सुरक्षा के मुद्दे पर बहस में कश्मीर का मुद्दा उठाया था।
इसके बाद UN में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कम्बोज ने जवाब देते हुए बिलावल के बयान को आधारहीन और राजनीति से प्रेरित करार दिया था।
उन्होंने कहा था कि उनका प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान को इस योग्य भी नहीं मानता कि उसके इस तरह के 'दुर्भावनापूर्ण और झूठे प्रचार' का जवाब दिया जाए।