कोरोना वायरस के नए वेरिएंट्स के खिलाफ कारगर हो सकती है फाइजर वैक्सीन- स्टडी
क्या है खबर?
फाइजर और बायोएनटेक की कोरोना वायरस वैक्सीन यूनाइटेड किंगडम (UK) और दक्षिण अफ्रीका में सामने आए कोरोना वायरस के दो नए वेरिएंट्स के खिलाफ काम कर सकती है।
हाल ही में की गई एक स्टडी में सामने आया है कि ये वैक्सीन दोनों वेरिएंट्स में मौजूद N501Y नामक एक अहम म्यूटेशन के खिलाफ काम करती है और इससे प्रतीत होता है कि ये इन दोनों वेरिएंट्स के खिलाफ भी असरदार होगी।
स्टडी
N501Y म्यूटेशन वाले वायरस को निष्क्रिय करने में सफल रही वैक्सीन
फाइजर और टेक्सास यूनिवर्सिटी की मेडिकल ब्रांच के वैज्ञानिकों द्वारा की गई इस स्टडी में स्पाइक प्रोटीन में N501Y म्यूटेशन वाले कोरोना वायरस को वैक्सीन की मदद से निष्क्रिय करके देखा गया था और वैक्सीन इसमें सफल रही।
फाइजर के शीर्ष वायरल वैक्सीन वैज्ञानिक फिल डोरमिटर ने कहा कि इस म्यूटेशन को नए वेरिएंट्स के अधिक संक्रामक होने के पीछे जिम्मेदार माना जा रहा है और ये भी कहा जा रहा था कि ये वैक्सीन को चकमा दे सकता है।
अन्य. स्टडी
दोनों वेरिएंट्स के अन्य म्यूटेशन्स के खिलाफ भी आजमाई जाएगी वैक्सीन
कंपनी के अनुसार, ये स्टडी एक ऐसे व्यक्ति से लिए गए खून में की गई थी जिसे वैक्सीन दी जा चुकी है। हालांकि इस स्टडी के नतीजों को सीमित सफलता ही कहा जा सकता है क्योंकि इसमें दोनों वेरिएंट्स में से किसी के भी सभी म्यूटेशन के खिलाफ वैक्सीन का परीक्षण नहीं किया गया।
हालांकि जल्द ही दोनों वेरिएंट्स के अन्य म्यूटेशन्स के खिलाफ भी ऐसी ही स्टडी की जा सकती हैं और कुछ हफ्तों में इनके नतीजे सामने होंगे।
बयान
अब तक 16 म्यूटेशन के खिलाफ कारगर सिद्ध हो चुकी है फाइजर की वैक्सीन
फिल ने बताया कि उनकी वैक्सीन इस म्यूटेशन से पहले 15 अन्य म्यूटेशन के खिलाफ भी कारगर साबित हो चुकी है। उन्होंने कहा, "हम 16 अलग-अलग म्यूटेशन का टेस्ट कर चुके हैं और उनमें से किसी का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। ये बहुत अच्छी खबर है। हालांकि इसका मतलब ये नहीं है कि 17वें का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।"
उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीकी वेरिएंट में E484K नामक एक और म्यूटेशन है जो चिंताजनक है।
पृष्ठभूमि
क्या है नए वेरिएंट्स का पूरा मामला?
हाल ही में UK और दक्षिण अफ्रीका में कोरोना वायरस के दो अलग-अलग नए वेरिएंट्स सामने आए हैं जो अधिक संक्रामक प्रतीक होते हैं।
दोनों वेरिएंट्स की स्पाइक प्रोटीन्स में कई अहम म्यूटेशन हुए हैं और चूंकि कोरोना इन स्पाइक प्रोटीन की मदद से ही इंसानी सेल्स से चिपकता है, इसलिए इनमें म्यूटेशन के कारण ये दोनों वेरिएंट्स अधिक संक्रामक हो गए हैं।
UK वेरिएंट को 70 प्रतिशत अधिक संक्रामक है, वहीं दक्षिण अफ्रीकी वेरिएंट पर शोध जारी हैं।
तुलना
दक्षिण अफ्रीकी वेरिएंट को बताया जा रहा अधिक खतरनाक
UK के वैज्ञानिकों ने इन दोनों वेरिएंट्स में से दक्षिण अफ्रीकी वेरिएंट को अधिक खतरनाक बताया है और मौजूदा वैक्सीनों के इसके खिलाफ प्रभावी होने को लेकर आशंका व्यक्त की है।
उनका कहना है कि इस वेरिएंट में UK वेरिएंट के मुकाबले अधिक म्यूटेशन हुए हैं, जिनमें स्पाइक प्रोटीन में हुए बड़े बदलाव भी शामिल हैं। इसी कारण उन्हें आशंका है कि वैक्सीनें इसके खिलाफ अप्रभावी हो सकती हैं। हालांकि ये सिर्फ अनुमान हैं और इस पर शोध जारी हैं।
जानकारी
काम न करने पर छह हफ्तों में बदली जा सकती हैं वैक्सीनें
बता दें कि कोरोना वायरस के खिलाफ mRNA विकसित करने वालीं फाइजर और मॉडर्ना दोनों कंपनियां कह चुकी हैं कि अगर उनकी वैक्सीनें नए वेरिएंट्स के खिलाफ काम नहीं भी करती हैं तो इनमें छह हफ्तों के अंदर बदलाव किया जा सकता है।