तकनीक, ट्रायल और कीमत के मामले में कैसे अलग हैं 'कोविशील्ड' और 'कोवैक्सीन'?
क्या है खबर?
भारत में आज ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) और भारत बायोटेक की कोरोना वायरस वैक्सीनों को आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दे दी।
SII की वैक्सीन 'कोविशील्ड' और भारत बायोटेक की वैक्सीन 'कोवैक्सिन' के नाम से बाजार में आएगी और जल्द ही इनका वितरण शुरू हो सकता है।
आइए इन दोनों वैक्सीनों की तुलना करते हुए आपको इनसे संबंधित अहम जानकारियां देते हैं और जानते हैं कि ये एक-दूसरे के मुकाबले कहां खड़ी हैं।
निर्माण
किन कंपनियों और संस्थानों ने बनाई हैं वैक्सीन?
सबसे पहले बात निर्माण की। 'कोविशील्ड' को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के जेनर इंस्टीट्यूट ने फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका के साथ साझेदारी में विकसित किया है। भारत में इसके निर्माण और ट्रायल की जिम्मेदारी SII को दी गई है जो अन्य विकासशील और गरीब देशों के लिए भी इसका निर्माण करेगी।
वहीं भारत बायोटेक ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के साथ मिलकर 'कोवैक्सीन' को विकसित किया है और ये पूरी तरह से स्वदेशी वैक्सीन है।
तकनीक
किस तकनीक से विकसित की गई हैं दोनों वैक्सीनें?
'कोविशील्ड' और 'कोवैक्सीन' को विकसित करने के लिए अलग-अलग तकनीक का इस्तेमाल किया है।
'कोविशील्ड' को चिंपैजी में साधारण जुकाम करने वाले निष्क्रिय एडिनोवायरस को प्लेटफॉर्म की तरह इस्तेमाल करके और इसके ऊपर कोरोना वायरस (SARS-CoV-2) की स्पाइन प्रोटीन का जेनेटिक मेटेरियल लगाकर तैयार किया गया है।
वहीं 'कोवैक्सीन' को कोरोना वायरस को ही निष्क्रिय करके विकसित किया गया है। इसके लिए ICMR ने भारत बायोटेक को जिंदा वायरस प्रदान किया था, जिसे निष्क्रिय करके कंपनी ने वैक्सीन विकसित की।
ट्रायल्स और प्रभावकारिता
क्या रहे ट्रायल्स के नतीजे और कौन सी वैक्सीन कितनी प्रभावी?
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 23,745 लोगों पर हुए ट्रायल में 'कोविशील्ड' को औसतन 70.4 प्रतिशत प्रभावी पाया गया था। भारत में भी 1,600 लोगों पर इसका तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा है और DCGI ने इसके नतीजे अंतरराष्ट्रीय ट्रायल के बराबर ही होने की बात कही है।
वहीं 'कोवैक्सिन' का तीसरे चरण का ट्रायल जारी है और अभी तक इसके नतीजे जारी नहीं किए गए हैं। 25,800 लोगों के इस ट्रायल में अब तक 22,500 लोग शामिल हो चुके हैं।
एडवांस खुराकें
किसकी कितनी एडवांस खुराकें तैयार?
एडवांस खुराकों की बात करें तो SII अब तक 'कोविशील्ड' की 7.5 करोड़ खुराकें बना चुकी है और उसने इनमें से कम से कम चार-पांच करोड़ खुराकें भारत को मिलने की बात कही है। हालांकि इस संबंध में अभी तक सरकार और कंपनी के बीच कोई समझौता नहीं हुआ है। कंपनी की कुछ खुराकें अन्य देशों को भी जाएंगी।
वहीं 'कोवैक्सीन' की सभी खुराकें भारत के लिए होंगी। हालांकि इसकी कितनी एडवांस खुराकें बन चुकी हैं, ये स्पष्ट नहीं है।
कीमत
किस वैक्सीन की कितनी कीमत?
यूं तो SII ने 'कोविशील्ड' की खुराकों को लेकर भारत सरकार के साथ कोई समझौता नहीं किया है, हालांकि वे सार्वजनिक तौर पर वैक्सीन की दो खुराकों की कीमत 500-600 रुपये रहने की बात कह चुके हैं।
वहीं भारत बायोटेक की वैक्सीन की कीमत 100 रुपये के आसपास रहने की उम्मीद जताई जा रही है, हालांकि इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
उम्मीद जताई जा रही है कि ये खर्च सरकार उठाएगी और नागरिकों को मुफ्त वैक्सीन लगेगी।
जानकारी
दोनों वैक्सीनों में एक समानता भी
इन सभी अंतरों के बीच 'कोविशील्ड' और 'कोवैक्सीन' में एक समानता भी है और यह समानता इनकी खुराकों से संबंधित है। दरअसल, दोनों वैक्सीनों दो खुराक वाली हैं और दोनों की दो खुराकों के बीच चार हफ्ते का अंतर है।