वैक्सीन डिप्लोमेसी में चीन को मात देने के लिए भारत ने क्वॉड देशों से मांगा फंड
चीन की वैक्सीन डिप्लोमेसी की चुनौती देने के लिए भारत ने अपने सहयोगी क्वॉड (QUAD) देशों से उसकी वैक्सीन उत्पादन क्षमता में निवेश करने को कहा है। दो वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों ने अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत के क्वॉड समूह ने चीन को काउंटर करने के लिए वैक्सीन उत्पादन को तेज करने का फैसला लिया है और भारत को लगता है कि वह इस दिशा में सबसे अहम भूमिका अदा कर सकता है।
क्वॉड देशों के बीच वैश्विक वैक्सीेनेशन को लेकर हो चुकी हैं कई बैठकें
अधिकारियों ने बताया कि क्वॉड देशों में हालिया दिनों में वैश्विक वैक्सीनेशन को लेकर कई बैठकें हुई हैं और फरवरी में हुई एक वर्चुअल बैठक में चीन पर निर्भरता कम करने के लिए वैकल्पिक मेडिकल सप्लाई चैन बनाने पर बात हुई थी। एक अधिकारी ने कहा, "इस वक्त भारत के पास किसी भी एशियाई देश के मुकाबले वैक्सीन के सबसे अधिक विकल्प मौजूद हैं। भारत को उम्मीद है कि क्वॉड गठबंधन के सदस्य उत्पादन बढ़ाने के लिए उसे पैसा देंगे।"
46.3 करोड़ खुराकें निर्यात या दान करने का वादा कर चुका है चीन
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए चीन अब तक अपनी स्वदेशी वैक्सीनों की 46.3 करोड़ खुराकें निर्यात करने या दान करने का वादा कर चुका है। जिन देशों से उसने वादा किया है, उनमें एशिया से लेकर अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और यूरोप तक के देश शामिल हैं। अमेरिका को आशंका है कि वैक्सीन आपूर्ति का फायदा उठा चीन इन देशों में अपनी पैठ बढ़ा सकता है और उसके लिए चुनौती बन सकता है।
भारत दे रहा चीन की वैक्सीन डिप्लोमेसी का जवाब
दुनियाभर में भारत केवल एकमात्र ऐसा देश है जो चीन की इस वैक्सीन डिप्लोमेसी को मात दे सकता है और उसने अभी तक अपने स्तर पर ऐसा किया भी है। चीन के बढ़ते प्रभाव तो काटने के लिए भारत ने पाकिस्तान को छोड़ अपने सभी पड़ोसी देशों और दक्षिण एशिया के कुछ देशों को वैक्सीन की लाखों खुराकें मुफ्त में दी हैं। इसके अलावा उसने ब्राजील और कनाडा जैसे देशों को भी कमर्शियल सौदे के तहत लाखों खुराकें भेजी हैं।
एक साल में अरबों खुराकें बना सकती हैं भारतीय कंपनियां
बता दें कि भारत की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII), भारत बायोटेक, बायोलॉजिकल ई और कैडिला हेल्थकेयर जैसी कंपनियों के पास एक साल में वैक्सीन की अरबों खुराकें बनाने की क्षमता है और ये क्षमता पूरी दुनिया को महामारी से बाहर निकालने में अहम भूमिका अदा कर सकती है। अभी दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी SII कई देशों के लिए ऑ्क्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन का निर्माण कर रही है और जल्द ही नोवावैक्स वैक्सीन का उत्पादन भी शुरू करेगी।
साल में 70 करोड़ खुराकें बना सकती है भारत बायोटेक
इसी तरह भारत बायोटक भी सालभर में लगभग 70 करोड़ खुराकें बना सकती है। अभी वह अपनी 'कोवैक्सिन' वैक्सीन को ब्राजील, फिलिपींस और जिम्बाब्वे समेत लगभग 40 देशों को बेचने की कोशिश कर रही है। इसके अलावा भारतीय कंपनियां अमेरिका की फाइजर, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन कंपनियों की वैक्सीनों को उत्पादन करने की योजना भी बना रही हैं। अगर इन कंपनियों को क्वॉड देशों से निवेश मिलता है तो यह महामारी का निर्णायक बिंदु साबित हो सकता है।