जापान के संगठन निहोन हिडांक्यो को मिला 2024 का नोबेल शांति पुरस्कार
जापान के संगठन निहोन हिदांक्यो को शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। संगठन को यह सम्मान दुनिया में परमाणु हथियारों के खिलाफ मुहीम चलाने के लिए दिया गया है। नोबेल समिति ने कहा कि एक दिन परमाणु हमले झेलने वाले ये लोग हमारे पास नहीं रहेंगे, लेकिन जापान की नई पीढ़ी उनकी याद और अनुभवों को दुनिया के साथ साझा करती रहेगी और याद दिलाती रहेगी कि परमाणु हथियार दुनिया के लिए कितने खतरनाक हैं।
क्यों दिया गया सम्मान?
निहोन हिदांक्यो में वे लोग शामिल हैं, जो हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए परमाणु हमले में जीवित बचे थे। इन्हें हिबाकुशा कहा जाता है। नोबेल समिति ने कहा, "इस संगठन को यह पुरस्कार इसलिए दिया गया है, क्योंकि इसने परमाणु हथियारों से मुक्त दुनिया बनाने के प्रयासों और गवाहों के बयानों के माध्यम से यह साबित करने की कोशिश है कि परमाणु हथियारों का फिर कभी इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।"
परमाणु हमले में मारे गए थे लाखों लोग
6 अगस्त को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर परमाणु बम गिराया था। ये इतना घातक था कि आसपास का तापमान 4,000 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था और पूरा शहर जलकर खाक हो गया था। इस धमाके में 70,000 लोगों की मौत हो गई थी। इसके 3 दिन बाद अमेरिका ने नागासाकी पर भी परमाणु बम गिराया था। इस बम को फैट मैन नाम दिया गया था। इस हमले में 40,000 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
पिछले साल ईरान की महिला कार्यकर्ता को मिला था पुरस्कार
2023 में ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न की लड़ाई लड़ने वाली पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी को नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था। मोहम्मदी को ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई और मानवाधिकार और स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए यह पुरस्कार दिया गया था। वह फिलहाल ईरान की राजधानी तेहरान की एक जेल में बंद हैं। मोहम्मदी 13 बार गिरफ्तार की जा चुकी हैं और उन्हें कुल 31 साल की सजा सुनाई गई है।
नोबेल शांति पुरस्कार के बारे में जानिए
नोबेल शांति पुरस्कार की शुरुआत 1901 में हुई थी। अभी तक केवल 2 भारतीयों को ये सम्मान मिला है। मदर टेरेसा को सामाजिक सेवा के लिए 1979 और कैलाश सत्यार्थी को अनाथ बच्चों की शिक्षा के कार्य के लिए 2018 में ये सम्मान मिला था। अब तक शांति पुरस्कार 112 शख्सियतों और 31 संस्थाओं को मिला है। महात्मा गांधी को 5 बार इस सम्मान के लिए नॉमिनेट किया गया, लेकिन एक बार भी नहीं दिया गया।