नोबेल शांति पुरस्कार सबसे विवादित पुरस्कार क्यों है और ये कब-कब विवादों में रहा?
शुक्रवार को इस साल के नोबेल शांति पुरस्कार का ऐलान किया गया। बेलारूस के मानवाधिकार कार्यकर्ता एलेस बियालियात्स्की, रूस के मानवाधिकार संगठन मेमोरियल और यूक्रेन के मानवाधिकार संगठन सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज को संयुक्त रूप से इस पुरस्कार से नवाजा गया है। क्या आपको पता है कि सुर्खियों में छाया रहने वाला यह पुरस्कार सबसे अधिक विवादित नोबेल पुरस्कार है। आइए आपको बताते हैं कि नोबेल शांति पुरस्कार कब-कब और क्यों विवादों में रहा।
बारूद के आविष्कारक की याद में दिया जा रहा शांति पुरस्कार
ये सबको पता है कि नोबेल पुरस्कार स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की याद में दिए जाते हैं। हालांकि ये कम लोगों को पता होगा कि नोबेल ने बारूद का आविष्कार किया था और वह जीवनभर हथियारों से संबंधित तकनीक को बढ़ावा देने के लिए काम करते रहे। इसलिए इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि जिस व्यक्ति ने हथियारों को बढ़ावा दिया और युद्धों से जिसकी किस्मत चमकी, उसके नाम पर सबसे बड़ा शांति पुरस्कार दिया जा रहा है।
महात्मा गांधी को नोबेल शांति पुरस्कार न देना
क्या आपको पता है कि हिंसा से भरी 20वीं सदी में अहिंसा और शांति के सबसे बड़े प्रतीक रहे महात्मा गांधी को आज तक नोबेल शांति पुरस्कार नहीं दिया गया है? जी हां, गांधी को पांच बार इस पुरस्कार के लिए नामित किया गया, लेकिन उन्हें कभी भी ये पुरस्कार नहीं मिला। इस कारण भी इस पुरस्कार पर सवाल उठते हैं। इसे पुरस्कार देने वाली समिति के पश्चिमी नामों को तरजीह देने के तौर पर देखा जाता है।
1973 में बम बरसाने वाले अमेरिकी विदेश मंत्री को दिया गया पुरस्कार
1973 में शांति का नोबेल पुरस्कार वियतनाम युद्ध में सीजफायर से संबंधित पेरिस शांति समझौते की बातचीत में शामिल रहे तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर को दिया गया था। हालांकि समझौते पर बातचीत के दौरान किसिंजर ने उत्तरी वियतनाम और कंबोडिया में कई जगहों पर बम बरसाने की मंजूरी दी थी। इसके कारण उन्हें शांति पुरस्कार दिए जाने पर गंभीर सवाल उठे थे और इसका विरोध करते हुए नोबेल समिति के दो सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया था।
1994 में फिलिस्तीनी नेता को पुरस्कार देने पर हुआ विवाद
1994 में ओस्लो शांति समझौते के लिए फिलिस्तीन के नेता यासिर अराफात, इजरायल के तत्कालीन प्रधानमंत्री यित्जाक रॉबिन और इजरायली विदेश मंत्री शिमोन पेरेज को यह पुरस्कार दिया गया। हालांकि कई कारणों से इस पर विवाद हुआ। सबसे बड़ा कारण तो यह रहा कि ओस्लो समझौते के बाद भी इजरायल और फिलिस्तीन का संघर्ष समाप्त नहीं हुआ। इसके अलावा फिलिस्तीन मुक्ति संगठन की आतंकी गतिविधियों को समर्थन के कारण अराफात को यह पुरस्कार दिए जाने पर भी सवाल उठाए गए।
2012 में यूरोपीय संघ को पुरस्कार दिए जाने पर भी उठे सवाल
2012 में यूरोपीय संघ (EU) को नोबेल शांति पुरस्कार दिए जाने पर भी विवाद हुआ। इस पर यह कहकर सवाल उठाए गए कि यूरोपीय देश दूसरे देशों को हथियार बेचकर मुनाफा कमाते हैं और दुनियाभर में संघर्षों को बढ़ावा देते हैं।
पुरस्कार देने में जल्दबाजी दिखाने के कारण 2019 में हुआ विवाद
नोबेल शांति पुरस्कार से संबंधित सबसे ताजा विवाद जल्दबाजी और शांति की इसकी समझ के कारण हुआ। दरअसल, 2019 में इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद अली को एक शांति समझौते के जरिए इथियोपिया और इरिट्रिया के बीच 20 साल से चले आ रहे संघर्ष को समाप्त करने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था। हालांकि एक साल बाद नवंबर, 2020 में ही उन्होंने अपने देश के उत्तरी हिस्से में गृह युद्ध छेड़ दिया।
न्यूजबाइट्स प्लस
अभी तक केवल दो भारतीयों को नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया है। मदर टेरेसा को सामाजिक सेवा के लिए 1979 और कैलाश सत्यार्थी को अनाथ बच्चों की शिक्षा के लिए कार्य के लिए 2018 में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था।