भारत ने किया श्रीलंका को अलर्ट, फिर से हमला करने के लिए तैयार हैं आतंकी
रविवार को हुए बम धमाकों के बाद भारत ने श्रीलंका को अलर्ट जारी करते हुए कहा है कि जिहादी संगठन नेशनल तौहीद जमात (NTJ) की दूसरी टीम फिर से हमला करने के लिए तैयार है। रविवार को ईस्टर के मौके पर श्रीलंका के चर्चों और होटलों में हुए बम धमाकों के लिए NTJ को ही जिम्मेदार माना जा रहा है। आठ जगह हुए इन धमाकों में 300 से अधिक मारे गए, जिनमें 30 से अधिक विदेशी भी शामिल हैं।
दोबारा हमला करने को तैयार NTJ की टीम
खुफिया विभाग के एक अधिकारी ने अंग्रेजी अखबार 'हिंदुस्तान टाइम्स' को अलर्ट और हमलों के बारे में जानकारी दी है। उनके अनुसार, जल अल-क्विटल उर्फ रिलवान मारजाग के नेतृत्व में NTJ की एक और टीम दोबारा बम धमाके करने के लिए तैयार है। बता दें कि भारत ने 4 अप्रैल को भी श्रीलंका को 22 अप्रैल को या उससे पहले चर्चों और होटलों पर हमले का खुफिया अलर्ट जारी किया था। लेकिन श्रीलंका ने अलर्ट पर खास ध्यान नहीं दिया।
आतंकी संगठन IS से प्रेरित है NTJ
मामले की जानकारी रखने वाले लोगों के अनुसार, NTJ को दुनिया के सबसे खूंखार आतंकी संगठन IS से प्रेरित माना जा रहा है। जिस तरीके से बम धमाकों को अंजाम दिया गया, वह काफी हद तक IS के तरीके से मिलता है। IS भी ईसाइयों को उनके पवित्र दिनों के मौके पर निशाना बनाने के लिए जाना जाता है। पिछले साल मई के बाद से वह फिलिपींस और इंडोनेशिया के चर्चों पर हुए हमलों की जिम्मेदारी लेता है।
IS समर्थकों ने मनाया था हमले का जश्न
खुफिया एजेंसी SITE के अनुसार, IS के समर्थकों ने बम धमाकों का जश्न मनाया था और तीन हमलावरों को 'कमांडो' बताते हुए उनकी तस्वीरें भी जारी की थी। हालांकि, दोनों संगठनों के बीच सीधा संबंध होने का कोई सबूत अभी तक नहीं मिला है।
2014 में हुआ था NTJ का गठन
NTJ का गठन पूर्वी श्रीलंका के मुस्लिम बहुल इलाके कट्टनकुडी में 2014 में हुआ था। इसका संस्थापक जहरान हाशिम उर्फ अबू उबैदा को माना जा रहा है। हाशिम ने ही रविवार को कोलंबो के शांगरी ला होटल पर आत्मघाती हमला किया था। उसकी मौत के बाद उसका बहनोई नौफर मौलवी के हाथों में संगठन की कमान है। वह हाल ही में कतर से श्रीलंका लौटा है। उसकी गतिविधियां बौद्धों और मुस्लिम के बीच तनाव का कारण बनती हैं।
भारत दे रहा है तकनीकी और खुफिया सहायता
बता दें कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को श्रीलंकाई राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना और प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे से बात की थी और उन्हें आतंकवाद रोधी और मेडिकल सहायता प्रदान करने की पेशकश की थी। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने भी श्रीलंकाई नेतृत्व से बात की। हालांकि, राजनीतिक संवेदनशीलता को देखते हुए भारत बेहद सक्रिय भूमिका निभाने की बजाय केवल तकनीकी और खुफिया सहायता प्रदान कर रहा है।