यूपी का रण: प्रधानमंत्री मोदी की 'सराब' के जवाब में सपा ने मोदी-शाह को बताया 'नशा'
लोकसभा चुनाव की गरमागरमी में गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और समाजवादी पार्टी के बीच वार-पलटवार का दौर देखने को मिला। इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी ने सुबह मेरठ की रैली में सपा और उसके गठबंधन के सहयोगियों को 'सराब' नाम देकर की। जवाब में सपा ने पलटवार करते हुए मोदी और शाह की जोड़ी को 'नशा' नाम दे दिया। दोनों पक्षों ने कैसे एक-दूसरे के यह नाम रखे, आइए जानें इसकी और इससे जुड़े बयानों की पूरी जानकारी।
मोदी ने यूपी के गठबंधन को बताया 'सराब' जितना हानिकारक
दरअसल, सपा यूपी में मायावती की बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल के साथ मिलकर गठबंधन में चुनाव लड़ेगी। इसी पर तंज कसते हुए पश्चिम यूपी के मेरठ की रैली में प्रधानमंत्री मोदी ने उनके गठबंधन को 'सराब' का नाम दिया। मोदी ने तीनों पार्टियों के नाम के पहले अक्षर को लेकर यह शब्द बनाया। मोदी ने इस दौरान कहा कि यह गठबंधन जनता को बर्बाद कर देगा। वह 'सराब' को 'शराब' बताने की कोशिश कर रहे थे।
अखिलेश ने ट्वीट कर बताया, किसे कहते हैं 'सराब'
प्रधानमंत्री मोदी के इस प्रहार पर सबसे पहले सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पलटवार किया। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, "सराब और शराब का अंतर वह लोग नहीं जानते जो नफ़रत के नशे को बढ़ावा देते हैं। सराब को मृगतृष्णा भी कहते हैं और यह वह धुंधला सा सपना है जो भाजपा 5 साल से दिखा रही है, लेकिन जो कभी हासिल नहीं होता। अब जब नया चुनाव आ गया तो वह नया सराब दिखा रहे हैं।"
अखिलेश ने कहा, भाजपा दिखा रही है नया 'सराब'
सपा प्रवक्ता ने मोदी-शाह को करार दिया 'नशा'
अखिलेश के ट्वीट के बाद उनकी पार्टी ने उनसे भी एक कदम आगे करते हुए मोदी पर उनकी ही भाषा में पलटवार किया। सपा प्रवक्ता मनोज राय धूपचंडी ने एक तस्वीर ट्वीट की जिसमें लिखा हुआ था कि हिंदुस्तान को 'नशा' मुक्त बनाना है। इस तस्वीर में प्रधानमंत्री मोदी के नाम के पहले अक्षर 'न' और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के उपनाम के पहले अक्षऱ 'शा' को मिलाते हुए 'नशा' लिखा हुआ है।
मोदी-शाह के नाम ने सपा ने बनाया 'नशा'
शाह ने कांग्रेस, सपा, बसपा को बताया था 'कसाब'
मोदी इस तरीके से अक्षर जोड़ कर पहले भी कई बार विपक्ष पर हमला कर चुके हैं। वहीं, उनके साथी अमित शाह ने पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस, सपा और बसपा के नाम के पहले अक्षरों का इस्तेमाल करते हुए उन्हें 'कसाब' की संज्ञा दी थी। कसाब 26/11 में शामिल एक आतंकी था जिसे भारत ने जिंदा पकड़ा था और उसे बाद में फांसी दी गई थी। शाह द्वारा इस भाषा का इस्तेमाल किए जाने पर काफी हंगामा हुआ था।