श्रीलंका बम धमाके: 290 लोगों की मौत, 500 घायल, मरने वालों में 5 भारतीय शामिल
ईस्टर के पवित्र मौके पर श्रीलंका में चर्चों और आलीशाल होटलों में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में 290 लोगों की मौत हो गई है, जबकि लगभग 500 लोग घायल हैं। मरने वालों में लगभग 30 विदेशी शामिल हैं, जिनमें 5 भारतीय भी हैं। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सोमवार को इसकी पुष्टि की। आतंकियों के निशाने पर मुख्य तौर पर ईसाई और विदेशी थे। साल 2009 में गृहयुद्ध खत्म होने के बाद यह श्रीलंका में सबसे बड़ा आतंकी हमला है।
चर्चों और आलीशान होटलों को बनाया गया निशाना
रविवार को हुए इन बम धमाकों में सबसे पहले चर्चों को निशाना बनाया गया। ईसाइयों के सबसे पवित्र त्यौहारों में से एक ईस्टर होने के कारण चर्चों में भारी भीड़ थी। आतंकियों ने कोलंबो, नेगोम्बो और बट्टिकलोआ के चर्चों को निशाना बनाया। नेगोम्बो के सेंट सेबेस्टियन चर्च में सबसे ज्यादा नुकसान की खबरें हैं। इन्हीं धमाकों के साथ कोलंबो के 3 आलीशान होटलों द शंगरी ला, सिनामन ग्रांड और किंग्सबरी में भी बम धमाके हुए।
धमाकों के लिए आत्मघाती हमलावरों को प्रयोग
सातवां धमाका थोड़ी देर बाद देहिवाला माउंट लैविनिया के एक होटल में हुआ। आखिरी धमाका कोलंबो के महाविला गार्डन स्थित एक निजी घर में उस समय हुआ, जब पुलिस ने हमलों के संबंध में वहां छापा मारा। इस धमाके में 3 पुलिसवाले मारे गए। इसके अलावा देर शामल कोलंबो के मुख्य एयरपोर्ट पर भी एक बम मिला, जिसे निष्क्रिय कर दिया गया। खबरों के अनुसार, हमलों के लिए आत्मघाती हमलावरों को इस्तेमाल किया गया था।
सरकार ने किया सोशल मीडिया बंद
सरकार ने हमले के बाद फेसबुक सहित अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को अस्थाई तौर पर बंद कर दिया है। रविवार शाम को देशभर में कर्फ्यू भी लगाया गया, जिसे सोमवार सुबह हटा दिया गया। पुलिस ने मामले में 24 लोगों को गिरफ्तार किया है।
पहले से थी धमाकों की खुफिया जानकारी
हमलों से 10 दिन पहले ही श्रीलंका पुलिस प्रमुख पुजुथ जयसुंदरा ने प्रसिद्ध चर्चों पर आत्मघाती हमले का अलर्ट जारी किया था। इसके बावजूद आतंकी हमला करने में सफल रहे। अलर्ट में कहा गया था, "एक विदेशी खुफिया एजेंसी ने सूचना दी है कि नेशनल तौहीद जमात (NTJ) प्रसिद्ध चर्चों और कोलंबो स्थित भारतीय दूतावास पर आत्मघाती हमला करने की योजना बना रहा है।" NTJ एक इस्लामिक चरमपंथी संगठन हैं और इसे तमिलनाडु में भी सक्रिय बताया जाता है।
अभी तक किसी ने नहीं ली हमले की जिम्मेदारी
हालांकि अभी तक किसी भी आतंकी संगठन ने धमाकों की जिम्मेदारी नहीं ली है। खुफिया एजेंसियों को अन्य आतंकी संगठनों पर भी शक है, लेकिन शक की सुईयां सबसे अधिक NTJ पर हैं। NTJ ने पिछले साल श्रीलंका में भगवान बुद्ध की मूर्तियां तोड़ीं थीं।
कौन था निशाने पर?
धमाकों के लिए ईस्टर का दिन चुनने और चर्चों को निशाना बनाए जाने से साफ है कि आतंकियों के निशाने पर अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय था। श्रीलंका की कुल 2.14 करोड़ जनसंख्या में 8 प्रतिशत से भी कम ईसाई हैं। समुदाय पर पहले भी हमले होते रहे हैं, लेकिन इससे पहले कभी भी इतना बड़ा हमला नहीं हुआ। इन धमाकों ने 2009 में गृहयुद्ध खत्म होने के बाद देश में आई शांति को खतरे में डाल दिया है।