कैसे सिंगापुर ने कोरोना वायरस पर लगाम लगाकर दूसरे देशों के लिए उदाहरण पेश किया है?
चीन से शुरू हुआ कोरोना वायरस अब यूरोपीय देशों में तेजी से फैल रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने यूरोप को आधिकारिक तौर पर इसका मूलकेंद्र घोषित कर दिया है। यूरोपीय देश इटली में बुधवार को बड़ी संख्या में नए मामले सामने आए। सिंगापुर में यहा वायरस इटली से पहले पहुंचा था, लेकिन इसकी तुलना में यहां इसके चलते एक भी मौत नहीं हुई संक्रमित लोगों की संख्या भी 200 से कम है।
सिंगापुर ने वायरस को फैलने से रोकने के लिए क्या तरीका अपनाया?
चीन के वुहान शहर में पिछले साल दिसंबर में इसका पहला मामला सामने आया था। तब से लेकर खबर लिखे जाने तक 123 देशों में यह वायरस फैल चुका है और लगभग 1.37 लाख लोग इससे संक्रमित हैं। अभी तक इससे बचने का एक ही तरीका है और वो है कि इससे फैलने से रोका जाए। सिंगापुर ने समय रहते यह बात समझ ली और उसी हिसाब से अपनी तैयारियों को पुख्ता करना शुरू कर दिया।
लोगों के आने पर लगाया प्रतिबंध
जैसे ही कोरोना वायरस के मामले आने शुरू हुए, सिंगापुर ने इसके टेस्ट के लिए जरूरी सामान का उत्पादन बढ़ा दिया। इसके बाद एक फरवरी को सिंगापुर ने चीन से आने वाले लोगों पर प्रतिबंध लगा दिया। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस कदम को 'अनुचित' बताया था, लेकिन सिंगापुर अपने फैसले पर अड़ा रहा। सिंगापुर तीसरा ऐसा देश था, जहां कोरोना ने अपने पैर पसारे थे, लेकिन उसने जरूरी सावधानियां अपनाकर इन पर रोक लगाई।
बाकी देशों की तुलना में तीन गुना जांच कर रहा था सिंगापुर
सिंगापुर ने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए देशभर में बुखार और निमोनिया के लक्षण दिखाने वाले सभी लोगों की जांच की ताकि कोई भी संदिग्ध मामला प्रशासन की नजर से न बच पाए। सिंगापुर ने संदिग्ध मामलों की जांच में कोई कोताही नहीं बरती, जिस कारण यह वायरस काफी सीमित हो गया। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के मुताबिक, एक समय सिंगापुर बाकी किसी भी देश की तुलना में तीन गुना लोगों की जांच कर रहा था।
हर इमारत के बाहर हो रही थी लोगों की जांच
मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक, यहां स्वास्थ्य अधिकारी स्कूल, जिम, सरकारी दफ्तरों समेत हर इमारत में आने-जाने वाले लोगों की जांच कर रहे थे। जिन लोगों को बुखार पाया जाता उन्हें एक स्टिकर दिया जाता है। सरकार हर सुबह अखबारों के माध्यम से लोगों से कोरोना वायरस के लक्षण दिखने पर चेकअप कराने की अपील करती थी। इसी दौरान सरकार ने स्कूल-कॉलेज बंद कर दिये और लोगों के इकट्ठा होने पर भी रोक लगा दी।
सभी टेस्ट और इलाज किए गए फ्री
लोगों के कोरोना वायरस के टेस्ट के लिए पैसों की चिंता न करनी पड़े, इसलिए सिंगापुर ने सभी टेस्ट और इसका इलाज फ्री कर दिया। कई वेबसाइट पर इस वायरस से जुड़ी रियल टाइम जानकारी दी जा रही है ताकि किसी तरह की अफवाह न फैलें। इसके अलावा व्हाट्सऐप के जरिए भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है। लोगों को संक्रमित लोगों और उनकी लोकेशन आदि के बारे में बताया जा रहा है ताकि वो सुरक्षित रह सकें।
गलत जानकारी देने पर बरती जा रही सख्ती
सिंगापुर सरकार ने अपनी यात्रा को लेकर गलत जानकारी देने के कारण दो विदेशी छात्रों के वीजा रद्द कर दिए थे। वहीं घर पर रहने के आदेशों की अवहेलना कर सिंगापुर छोड़कर जाने वाले व्यक्ति का रेजिडेंट परमिट रद्द कर दिया गया है।
नियम तोड़ने वालों पर लग रहा लाखों का जुर्माना
जो लोग अपना खुद का काम करते हैं और जिन्हें एकांत में रखा गया है, उन्हें सरकार रोजाना 100 डॉलर (लगभग 7,400 रुपये) दे रही है। हालांकि, सरकार ने लोगों पर कुछ पाबंदियां भी लगाई हैं। अगर वो नियम तोड़ते हैं तो उनसे जुर्माना वसूला जा रहा है। गश्त कर रहे अधिकारियों को अगर कोई व्यक्ति नियम तोड़ता हुआ दिख रहा है तो उस पर वहीं 10,000 डॉलर (लगभग 7.40 लाख रुपये) का जुर्माना लगाया जा रहा है।
इतिहास से सीखे सबक
सिंगापुर ने इतिहास से सबक सीखते हुए यह कामयाबी पाई है। 2002 और 2003 में यहां SARC की वजर से 33 लोगों की मौत हुई थी। 2009 में स्वाइन फ्लू के कारण में भी सिंगापुर को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। इसके बाद यहां स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारा गया। इस बार जब कोरोना वायरस ने यहां अपने पैर पसारने शुरू किए उससे पहले ही सिंगापुर ने खुद को पूरी तरह तैयार कर लिया था।