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अमेरिका की नई सोशल मीडिया नीति भारतीय ग्रीन कार्ड धारकों को कैसे करेगी प्रभावित?
अमेरिकी की नई सोशल मीडिया नीति से ग्रीन कार्ड धारक भारतीयों को होगी परेशानी

अमेरिका की नई सोशल मीडिया नीति भारतीय ग्रीन कार्ड धारकों को कैसे करेगी प्रभावित?

Mar 25, 2025
07:01 pm

क्या है खबर?

अमेरिका अवैध प्रवासियों को देश से बाहर निकालने की कार्रवाई के बीच अब नई सोशल मीडिया नीति लागू करने की तैयारी में है। इसका सीधा असर वहां रह रहे सभी ग्रीन कार्ड धारियों सहित स्थायी निवास के लिए आवेदन करने वालों पर पड़ेगा। दरअसल, इस नीति के तहत अमेरिका के सभी ग्रीन कार्ड धारियों को अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स का खुलासा कर उनकी पूरी जानकारी देनी होगी। आइए जानते हैं इससे भारतीयों पर क्यों असर पडे़गा।

प्रस्ताव

USCIS ने दिया प्रस्ताव

गत 5 मार्च को अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (USCIS) ने प्रस्ताव दिया था कि देश में रहने वाले सभी ग्रीन कार्ड धारकों से उनके सोशल मीडिया खातों की जानकारी ली जानी चाहिए। यह नीति स्थायी निवास के लिए आवेदन करने वाले या शरण मांगने वाले लोगों पर भी लागू हो। ऐसे में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने इस पर काम शुरू कर दिया है और जल्द ग्रीन कार्ड धारकों से उनके सोशल मीडिया खातों की जानकारी मांगी जा सकती है।

बयान

USCIS ने क्या जारी किया था बयान?

USCIS ने अपने प्रस्ताव में कहा था, "प्रवेश और लाभ निर्णयों के लिए एकत्र की गई जानकारी की समीक्षा में USCIS ने आवेदकों से सोशल मीडिया पहचानकर्ता (हैंडल) और संबंधित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के नाम एकत्र करने की आवश्यकता की पहचान की, ताकि पहचान सत्यापन, राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा जांच और संबंधित निरीक्षण में मदद मिल सके।" यह नीति ट्रंप प्रशासन के आलोचकों को अमेरिका में बसने से रोकने और देश से बाहर निकालने में मदद कर सकती है।

जानकारी

अभी इन लोगों से मांगी जाती है सोशल मीडिया की जानकारी

बता दें कि वर्तमान में अन्य देशों के आवेदकों को अमेरिकी यात्रा वीजा के लिए आवेदन करते समय अपना सोशल मीडिया हैंडल उपलब्ध कराना होता है। इस मूल मकसद सोशल मीडिया गतिविधियों के जरिए आवेदकों की छंटनी करना है।

कारण

USCIS ने क्यों दिया है यह प्रस्ताव?

USCIS ने प्रस्ताव का बचाव करते हुए कहा है कि इससे पहचान सत्यापन, राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा जांच, पुनरीक्षण और संबंधित निरीक्षण में सहायता मिलेगी। प्रस्ताव में राष्ट्रपति ट्रंप के उस कार्यकारी आदेश का हवाल दिया गया है जिसमें उन्होंने कहा था कि विदेशी आतंकवादियों, राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक सुरक्षा खतरों से अमेरिका की रक्षा करना के लिए वह हर आवश्यक कदम उठाएंगे। ऐसे में यह प्रस्ताव जल्द ही नई सोशल मीडिया नीति का रूप ले सकता है।

जांच

सोशल मीडिया खातों के जरिए क्या की जाएगी जांच?

USCIS का यह प्रस्ताव संघीय एजेंसियों को अप्रवासियों की जांच और उसकी प्रक्रियाओं को अधिक सख्त कर सकता है। यह सुरक्षा खतरों की पहचान करने के लिए आव्रजन और वीजा नीतियों का पुनर्मूल्यांकन करने पर भी जोर देगा। प्रस्ताव के अनुसार, USCIS आवेदकों की पहचान सत्यापित करने और किसी भी संभावित सुरक्षा या सार्वजनिक सुरक्षा जोखिम का आकलन करने के लिए सोशल मीडिया खातों की जानकारी लेगा। हालांकि, इसमें पासवर्ड शामिल नहीं होगा।

प्रतिक्रिया?

प्रस्ताव पर कैसी है लोगों की प्रतिक्रिया?

द इंडिपेंडेंट के अनुसार, इस प्रस्ताव पर लोगों की प्रतिक्रिया मांगने के बाद अब तक 143 प्रतिक्रियाएं आई हैं, जिनमें 29 में मुक्त भाषण के उल्लंघन पर चिंता व्यक्त की है। एक प्रतिक्रिया में लिखा है, 'जो प्रशासन को पसंद नहीं होगा, वह गलत होगा। शुद्ध विचारधारा का मतलब पूर्ण विनाश होगा। यह अमेरिकी संविधा के पहले संशोधन का उल्लंघन है।' एक अन्य प्रतिक्रिया में लिखा है, '"ऑनलाइन अभिव्यक्ति की सरकारी जांच का डर स्वतंत्र अभिव्यक्ति का गला घोंट देगा।'

प्रभाव

इस नीति से कितने लोग होंगे प्रभावित?

USCIS के अनुमान के अनुसार, प्रस्तावित नीति से 35 लाख से अधिक ग्रीन कार्ड धारक और स्थायी निवास के लिए आवेदन करने वाले लोगों के प्रभावित होने की उम्मीद है। इनमें 7.16 लाख ग्रीन कार्ड धारक भारतीय और करीब 12 लाख ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन कर चुके भारतीय शामिल हैं। सोशल मीडिया गतिविधि पर निगरानी रखने से यह आकलन करने में मदद मिलेगी कि आवेदक राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा हैं या नहीं।

खतरा

भारतीय ग्रीन कार्ड धारकों के लिए क्यों है बड़ा खतरा?

अमेरिका में कानूनी रूप से रहने वाले कई भारतीय इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं। इसका कारण है कि वह भारत और अमेरिका दोनों में राजनीतिक चर्चाओं में सक्रिय रूप से शामिल होते हैं। कड़ी जांच के कारण लोग नतीजों के डर से ऑनलाइन राजनीतिक विचार व्यक्त करने से हतोत्साहित हो जाएंगे। इसी तरह, जांच में किसी के राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा साबित होने पर उसे देश से निर्वासित भी किया जा सकेगा।