रूस में समलैंगिक विरोधी कानून के तहत पहली गिरफ्तारी, जानें क्या है मामला
रूस की एक कोर्ट ने LGBTQ+ समुदाय को अपराधी घोषित करने वाले नए कानून के तहत 2 बार कर्मियों को गिरफ्तार किया है। उन पर चरमपंथी संगठन चलाने का आरोप है। अगर वे दोषी पाए गए तो उन्हें 10 साल की सजा हो सकती है। पिछले साल नवंबर में रूस ने 'अंतरराष्ट्रीय LGBTQ आंदोलन' पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून पारित किया था, जिसके तहत ये पहली गिरफ्तारी है। आइए जानते हैं मामला क्या है।
क्या है गिरफ्तारी से जुड़ा मामला?
कोर्ट ने दक्षिण-पश्चिमी रूस के ऑरेनबर्ग में स्थित 'पोज बार' के अलेक्जेंडर क्लिमोव और डायना कामिल्यानोवा को हिरासत में लेने का आदेश दिया है। इन दोनों पर बार में आने वाले लोगों के बीच गैर-पारंपरिक यौन संबंधों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है। इसी साल मार्च में बार पर पुलिस ने छापा मारा था, जिसमें कई लोगों को अपमानजनक स्थिति में पकड़ा गया था। इसके वीडियो खूब वायरल हुए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने LGBTQ आंदोलन पर लगाया था प्रतिबंध
नवबंर, 2023 में रूस के सुप्रीम कोर्ट ने अंतरराष्ट्रीय LGBTQ आंदोलन पर प्रतिबंध लगाते हुए इसे एक चरमपंथी संगठन घोषित कर दिया था। पूरे देश में LGBTQ से जुड़ी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। कानून का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माने और सजा का प्रावधान है। तब न्याय मंत्रालय ने कहा था कि अधिकारियों ने रूस में चल रहे LGBTQ आंदोलन के उग्रवादी प्रभाव की पहचान की है। मामले की पूरी सुनवाई गुप्त तरीके से की गई थी।
कोर्ट ने क्यों लगाया था LGBTQ आंदोलन पर प्रतिबंध?
दरअसल, रूस के कानून मंत्रालय ने कोर्ट से LGBTQ आंदोलन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। मंत्रालय का कहना था कि इससे देश का सामाजिक और सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगड़ने का खतरा है। हालांकि, जानकार इसे रूस के पारंपरिक पारिवारिक मूल्यों और पश्चिम विरोधी नीति से जोड़कर देखते हैं। एक रूसी सांसद के मुताबिक, ये LGBT लोगों के निजी जीवन के बारे में नहीं, बल्कि आंदोलन के राजनीतिक एजेंडे के बारे में है, जो रूसी संविधान का उल्लंघन करता है।
LGBTQ आंदोलन के बारे में कोर्ट ने क्या कहा था?
कोर्ट ने कहा था कि गैर-पारंपरिक यौन रुझान वाले आरोपियों ने लोगों के एक समूह के साथ पूर्व-निर्धारित तरीके से काम किया, जो अंतरराष्ट्रीय LGBTQ के विचारों और गतिविधियों का भी समर्थन करते हैं। इस फैसले को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर तुर्क ने LGBT लोगों के खिलाफ भेदभाव करने वाला बताते हुए तुरंत निरस्त करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि रूसी अधिकारियों को इस मामले पर जरूरी कदम उठाना चाहिए।
LGBTQ लोगों के प्रति सख्ती बरत रहा है रूस
बीते कुछ सालों से रूस LGBTQ समुदाय से जुड़े लोगों के प्रति सख्त रुख अपना रहा है। 3 साल पहले रूस ने कानून में संशोधन कर शादी की परिभाषा को पुरुष और महिला तक ही सीमित कर दिया था। 2013 में नाबालिगों के बीच गैर-पारंपरिक यौन संबंधों के प्रचार पर रोक लगाने वाला कानून लाया गया था। किताबों, फिल्मों, विज्ञापनों और टीवी शो से LGBTQ लोगों के संदर्भ हटा दिए गए हैं।