समलैंगिक विवाह: LGBTQ बच्चों के माता-पिता ने CJI चंद्रचूड़ को लिखी चिट्ठी, जानें क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ में समलैंगिक विवाह पर सुनवाई के बीच LGBTQ समुदाय से आने वाले बच्चों के माता-पिता ने भारत के मुख्य न्यायधीश (CJI) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को एक चिट्ठी लिखी है। उन्होंने मांग की है कि उनके बच्चों द्वारा दाखिल की गई याचिकाओं पर विचार किया जाए और समलैंगिक विवाह को विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत कानूनी मान्यता दी जाए, ताकि उन्हें समाज में स्वीकार किया जा सके।
'स्वीकार- द रेनबो पेरेंट्स' संगठन से जुड़े माता-पिता ने लिखी चिट्ठी
जस्टिस चंद्रचूड़ को यह चिट्ठी 'स्वीकार- द रेनबो पेरेंट्स' नामक एक संगठन ने लिखी है, जो LGBTQ में आने वाले लोगों के माता-पिता का एक समूह है। यह समूह LGBTQ लोगों के माता-पिता द्वारा उनके बच्चों को समाज में स्वीकार्यता दिलवाने में मदद करने के मकसद से बनाया गया है। इस संगठन से देश के विभिन्न हिस्सों के LGBTQ समुदाय के लोगों के 400 से अधिक माता-पिता जुड़े हुए हैं।
माता-पिता बोले- हमें अपने बच्चों को समझने में लगा काफी समय
LGBTQ समुदाय के बच्चों के माता-पिता ने अपनी चिट्ठी में लिखा, "हमें लिंग और समलैंगिकता से लेकर अपने बच्चों के जीवन को समझने और उनकी लैंगिकता और उनके प्रेमी को स्वीकार करने में काफी समय लगा और कई तरह की भावनाओं को महसूस किया।" उन्होंने लिखा, "हम समलैंगिक विवाह का विरोध करने वालों के प्रति सहानुभूति रखते हैं क्योंकि हम में से कुछ लोग खुद पहले इसके खिलाफ थे। हमें आशा है कि अन्य लोग भी इस बात को समझेंगे।"
'बच्चों के संबंधों को विशेष विवाह अधिनियम के तहत मिले मान्यता'
चिट्ठी में आगे लिखा गया है, "हम अपने बच्चों के संबंधों को विशेष विवाह अधिनियम के तहत कानूनी मान्यता प्राप्त होता हुआ देखना चाहते हैं। हम लोग वृद्ध हो रहे हैं। हम में से कुछ लोग जल्द ही 80 वर्ष के हो जाएंगे। हम आशा करते हैं कि हम अपने जीवनकाल में अपने बच्चों के 'रेनबो विवाह' पर कानूनी मुहर लगते हुए देख सकेंगे।" बता दें कि रेनबो को LGBTQ समुदाय के प्रतीक चिह्न के तौर पर जाना जाता है।
हमें देश के संविधान पर पूरा भरोसा- संगठन
संगठन ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि उसे देश के लोगों, संविधान और लोकतंत्र पर पूरा भरोसा है। संगठन ने सुप्रीम कोर्ट के 2018 में धारा 377 पर दिए गए फैसले का जिक्र करते हुए लिखा, "समाज एक बदलती और विकसित होने वाली घटना है और जिस तरह एक उठती हुई लहर सभी नावों को ऊपर उठा देती है, माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने समाज पर एक गहरा प्रभाव पैदा किया, जिससे LGBTQ समुदाय को स्वीकार किया गया।"
पिछले हफ्ते से सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ कर रही है मामले पर सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संवैधानिक पीठ पिछले हफ्ते से समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। CJI चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली इस संवैधानिक पीठ में जस्टिस एसके कौल, जस्टिस एस रवींद्र भट्ट, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस हिमा कोहली शामिल हैं। केंद्र सरकार सामाजिक परंपराओं का हवाला देते हुए समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दिए जाने का विरोध कर रही है।