डेल्टा वेरिएंट: तीन महीने में कम हो जाती है फाइजर और एस्ट्राजेनेका वैक्सीन से मिली सुरक्षा
क्या है खबर?
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक नए शोध में सामने आया है कि फाइजर और एस्ट्राजेनेका वैक्सीन (कोविशील्ड) से डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ मिली सुरक्षा तीन महीने बाद कम हो जाती है। ये दोनों ही दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली वैक्सीनों में शामिल हैं।
शोध में यह भी पता चला है कि जो लोग वैक्सीन की दोनों खुराक लगवाने के बाद डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित होते हैं, उनमें वैक्सीन न लगवाने वाले लोगों के बराबर वायरल लोड होता है।
कोरोना वैक्सीन
डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी हैं दोनों वैक्सीनें
शोधकर्ताओं ने बताया कि कोविशील्ड और फाइजर वैक्सीन डेल्टा वेरिएंट से नए संक्रमण के खिलाफ अच्छी सुरक्षा देती है।
इनमें से किसी भी वैक्सीन की दो खुराक लेने के बाद शरीर में उतनी ही एंटीबॉडीज बनती हैं, जितनी एक बार संक्रमण से ठीक होने के बाद शरीर में होती हैं।
बता दें कि अभी तक इस अध्ययन को पीयर रिव्यू नहीं किया गया है। हालांकि, इसके नतीजे अमेरिका के सेंटर ऑफ डिसीज कंट्रोल की समीक्षा से मिलते-जुलते हैं।
जानकारी
कितनी कम हो जाती है सुरक्षा?
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया कि दूसरी खुराक के 90 दिनों बाद कोविशील्ड से मिलने वाली सुरक्षा 68 फीसदी से गिरकर 61 प्रतिशत और फाइजर वैक्सीन से मिली सुरक्षा 85 प्रतिशत से कम होकर 75 फीसदी रह जाती है।
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कितने लोगों पर किया गया शोध?
यह शोध 18 साल से अधिक उम्र के 3.84 लाख लोगों से लिए गए सैंपलों पर किया गया था। ये सैंपल 1 दिसंबर, 2020 से लेकर 1 अगस्त 2021 के बीच लिए गए थे। इसमें 17 मई, 2021 से पहले और बाद वैक्सीन से मिलने वाली सुरक्षा की तुलना की गई थी।
दरअसल, सबसे पहले भारत में मिला डेल्टा 17 मई, 2021 को यूनाइटेड किंगडम में प्रमुखता से फैलने वाला वेरिएंट बन चुका था।
कोरोना वैक्सीन
मॉडर्ना वैक्सीन की एक खुराक बाकियों से अधिक प्रभावी
फाइजर वैक्सीन की दोनों खुराकें शुरुआत में डेल्टा के खिलाफ अधिक प्रभावी होती हैं, लेकिन इससे मिली सुरक्षा कोविशील्ड की तुलना में अधिक तेजी से कम होती है। चार-पांच महीने बाद संक्रमण से सुरक्षा देने के मामले में कोविशील्ड और फाइजर एक बराबर ही है।
इसके अलावा शोधकर्ताओं ने पाया कि मॉडर्ना वैक्सीन की एक खुराक डेल्टा वेरिएंट से सुरक्षा देने के मामले में बाकी सभी वैक्सीनों की एक खुराक से अधिक प्रभावी है।
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शोध में ये बातें भी आईं सामने
शोध में यह भी पता चला है कि एक बार कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद वैक्सीन लगवाने वाले लोगों में सिर्फ वैक्सीन लगवाने वाले लोगों की तुलना में अधिक एंटीबॉडीज होती है।
इसके अलावा डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित व्यक्ति को अगर दोनों खुराकें लग चुकी है तो भी उसके अंदर वायरल लोड बिना वैक्सीन के संक्रमित हुए व्यक्ति के बराबर होता है, जबकि अल्फा वेरिएंट में वैक्सीन के बाद वायरल लोड काफी कम हो जाता है।
कोरोना वायरस
दुनिया में क्या है संक्रमण के हालात?
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक, दुनियाभर में अब तक लगभग 20.93 करोड़ लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, वहीं 43.95 लाख लोगों की मौत हुई है।
सर्वाधिक प्रभावित अमेरिका में 3.71 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके हैं और 6.24 लाख लोगों की मौत हुई है। अमेरिका के बाद भारत दूसरा सर्वाधिक प्रभावित देश है।
भारत में 3.23 करोड़ लोगों में संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है, जिनमें से 4.33 लाख लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।