म्यांमार सेना के साथ मिलकर भारतीय सेना ने तबाह किए चीन समर्थित उग्रवादी संगठन के कैंप
पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक करने के बाद अब भारतीय सेना ने म्यांमार से लगी पूर्वी सीमा पर उग्रवादियों के खिलाफ कार्रवाई की है। भारतीय सेना ने यह ऑपरेशन म्यांमार की सेना के साथ मिलकर चलाया। ऑपरेशन में पूर्वी सीमा पर उग्रवादी कैंपों को नेस्तनाबूद करने का दावा किया जा रहा है। अधिकारियों के अनुसार, ऑपरेशन उत्तर-पूर्व राज्यों में आवाजाही को सुधारने के लिए जरूरी कलादान परिवहन योजना पर संभावित खतरे को देखते हुए की गई है।
उग्रवादी संगठन अराकान सेना को बनाया निशाना
अंग्रेजी अखबार 'इंडियन एक्सप्रेस' से बात करते हुए सरकारी सूत्रों ने बताया कि यह साझा ऑपरेशन 17 फरवरी को शुरु हुआ था और 2 मार्च को पूरा हुआ। दोनों सेनाओं ने इस दौरान उग्रवादी संगठन अराकान सेना के कैंपों पर हमला कर उन्हें तबाह कर दिया। ऑपरेशन में कितने उग्रवादी मारे गए, इसके बारे में कुछ नहीं बताया गया। बता दें कि भारत ने इसी बीच 26 फरवरी को पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक की थी।
कौन है अराकान सेना?
अराकान सेना चीन समर्थित कचिन इंडिपंडेंट आर्मी का एक उग्रवादी संगठन है। वह कोलकाता को समुद्र मार्ग के जरिए म्यांमार के सितवे से जोड़ने वाली कलादान परियोजना को निशाना बनाना चाहता था। बता दें कि इस ऑपरेशन को 'ऑपरेशन सनराइज' नाम दिया जा रहा है।
भारतीय सीमा की तरफ बढ़ रहे थे उग्रवादी
उत्तर-पूर्व मीडिया के अनुसार, म्यांमार के सगैंग क्षेत्र के तागा स्थित NSCN-K बेस पर ऑपरेशन के बाद म्यांमार सेना ने उसके एक दर्जन से अधिक नेताओं को हिरासत में लिया है। भारतीय सेना पर कई बार हमला कर चुका यह संगठन भारत में प्रतिबंधित है। भारतीय एजेंसियों के अनुसार, अराकान सेना के कुछ सदस्यों ने दक्षिण म्यांमार की तरफ जाना शुरु कर दिया था, जबकि उनके ज्यादातर बेस देश के उत्तर में स्थित हैं।
ऑपरेशन से पहले सीमा पर बढ़ाई गई थी जवानों की संख्या
रिपोर्ट्स के अनुसार, अराकान सेना के सदस्य भारत की सीमा से लगे म्यांमार के रखाइन राज्य में 2017 के बाद से 8-10 कैंप लगाने में कामयाब रहे थे। ज्यादातर कैंप मिजोरम-म्यांमार सीमा पर स्थित थे। अधिकारियों के अनुसार, ऑपरेशन से पहले दोनों देशों की सेनाओं ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अतिरिक्त जवानों की तैनाती की थी। इसमें म्यांमार सीमा की रखवाली के लिए जिम्मेदार असम राइफल्स के अलावा सेना और विशेष बलों के जवान भी शामिल थे।
भारत ने नहीं पार की अंतरराष्ट्रीय सीमा
इस दौरान अधिकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय सेना ने सीमा पार नहीं की और केवल म्यांमार सेना को सहायता प्रदान की। दो हफ्ते चले ऑपरेशन में अराकान सेना के कैंप और अन्य व्यवस्थाओं को पूरी तरह तबाह कर दिया गया। अराकान सेना का भारतीय सीमा के तरफ बढ़ने के पीछे क्या उद्देश्य था, यह अभी तक साफ नहीं है। संभव है कि भारत की महत्वाकांक्षी कलादान परियोजना को नुकसान पहुंचाना चाहता हो।