
पहलगाम आतंकी हमले के मामले में चीन ने किया पाकिस्तान का समर्थन, दिया बड़ा बयान
क्या है खबर?
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में खटास उच्च स्तर पर पहुंच गई है।
अमेरिका, रूस सहित यूरोपीय देशों ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत का समर्थन किया है।
इस बीच चीन ने अपने करीबी सहयोगी पाकिस्तान को उसकी संप्रभुता और सुरक्षा हितों की रक्षा करने में समर्थन देने का ऐलान किया है। उसने मामले में भारत और पाकिस्तान से सयंम बरतने का भी आह्वान किया है।
बयान
चीन ने क्या दिया है बयान?
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा, "चीन ने हमेशा पाकिस्तान के आतंकवाद विरोधी कदमों का समर्थन किया है। चीन पक्के दोस्त और हर मौसम में साथ देने वाले रणनीतिक साझेदार के रूप में पाकिस्तान की सुरक्षा चिंताओं को अच्छी तरह समझता है और अपनी संप्रभुता के साथ सुरक्षा हितों की रक्षा करने में पाकिस्तान का समर्थन करता है।"
उन्होंने कहा कि चीन मौजूदा स्थिति पर करीबी नजर बनाए हुए है और जल्द निष्पक्ष जांच का समर्थन करता है।
अपील
चीन ने की संयम से काम लेने की अपील
वांग ने आगे कहा, "संघर्ष भारत और पाकिस्तान के मौलिक हितों में नहीं है। यह क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के अनुकूल भी नहीं है। ऐसे में दोनों देशों को सयंम से काम लेना चाहिए, एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना चाहिए और तनाव को खत्म करने के प्रयास करने चाहिए।"
इससे पहले पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री मोहम्मद इशाक डार ने वांग से फोन पर बात कर मामले की निष्पक्ष जांच की मांग में समर्थन मांगा था।
हमला
पहलगाम में कैसे हुआ था आतंकी हमला?
22 अप्रैल को पहलगाम के एक रिसॉर्ट में 4 आतंकवादियों ने गोलीबारी की। यह हमला उस समय हुआ जब पर्यटक खच्चर की सवारी का आनंद ले रहे थे। इस हमले में 26 पर्यटकों की मौत हो गई।
इस हमले से पूरा देश स्तब्ध है तथा भारत और विदेशों में इसकी कड़ी निंदा की है।
यह देश में पिछले दो दशकों में हुए सबसे घातक नागरिक हमलों में से एक है। सुरक्षा बल आतंकियों की तलाश में जुटे हैं।
सख्ती
भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ उठाए हैं कई सख्त कदम
आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए हैं।
इसमें सिंधु जल संधि को निलंबित करना, अटारी सीमा पर एकीकृत चेक पोस्ट को बंद करना, पाकिस्तानी नागरिकों को जारी सभी वीजा रद्द करना, पाकिस्तानी उच्चायोग के रक्षा, सैन्य, नौसेना और वायु सलाहकारों को अवांछित व्यक्ति घोषित करना और पाकिस्तान में भारतीय उच्चायोग के कर्मचारियों की संख्या कम करना शामिल है।
सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों को 27 अप्रैल तक देश छोड़ने का आदेश दिया है।