LoC पर रक्षा ढांचा बनाने में पाकिस्तानी सेना की मदद कर रहा है चीन- अधिकारी
क्या है खबर?
चीन नियंत्रण रेखा (LoC) पर रक्षा ढांचे के निर्माण में पाकिस्तानी सेना की लगातार मदद कर रहा है। भारतीय अधिकारियों ने हाल ही में इस बात का खुलासा किया है।
चीन पाकिस्तान को मानव रहित हवाई वाहन उपलब्ध करवाने के साथ-साथ संचार टावर स्थापित करने और भूमिगत केबल बिछाने में भी मदद कर रहा है।
गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान के बीच LoC पर फरवरी, 2021 से सीजफायर (संघर्ष विराम) लागू है।
मामला
बंकरों का भी निर्माण कर रहे हैं चीनी सैनिक और इंजीनियर
अधिकारियों ने न्यूज एजेंसी PTI को बताया कि नियंत्रण रेखा (LoC) की अग्रिम चौकियों पर प्रत्यक्ष तौर पर पीलप्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी नहीं पाई गई है। हालांकि, कुछ गुप्त संदेशों से पता चला है कि चीनी सैनिक और इंजीनियर LoC पर भूमिगत बंकरों का निर्माण कर रहे हैं।
बतौर रिपोर्ट्स, भारतीय सेना ने आधिकारिक तौर पर इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है, लेकिन वह खुफिया एजेंसियों को लगातार जानकारी दे रही है।
मामला
LoC पर देखी गईं पाकिस्तान की हॉवित्जर तोपें
अधिकारियों ने कहा कि हाल ही में ट्रक से संचालित की जाने वाली हॉवित्जर तोप SH-15 को LoC के पास कुछ स्थानों पर देखा गया है। ट्रक से संचालित की जाने वाली इस तोप को पिछले साल पाकिस्तान दिवस (23 मार्च) पर परेड के दौरान पहली बार प्रदर्शित किया गया था।
गौरतलब है कि पाकिस्तान ने चीनी कंपनी नोरिनको के साथ 236 तोप को लेकर अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे, जिसकी पहली खेप की आपूर्ति जनवरी, 2022 में हुई थी।
बयान
LoC के पास क्या कर रहा है चीन?
विशेषज्ञों के अनुसार, चीनी सेना की उपस्थिति चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के कारण है, जिसके तहत कराची में ग्वादर बंदरगाह को काराकोरम राजमार्ग के माध्यम से चीन के शिनजियांग प्रांत से जोड़ा जाएगा।
वहीं चीनी इंजीनियर ऑल-वेदर रोड (हर मौसम में खुली रहने वाली सड़क) बनाने की तैयारी के लिए पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित लीपा घाटी में कुछ सुरंगें खोद रहे हैं, जो काराकोरम राजमार्ग तक पहुंचने के लिए वैकल्पिक मार्ग के रूप में काम करेगी।
समझौता
भारत और पाकिस्तान के बीच 2021 में हुआ था सीजफायर समझौता
भारत और पाकिस्तान में 25 फरवरी, 2021 को सीमा पर सीजफायर कायम रखने का समझौता हुआ था।
दोनों देशों के सैन्य अभियानों के महानिदेशकों (DGMO) के बीच हॉटलाइन पर हुई बातचीत में यह सहमति बनी थी। इस बातचीत में दोनों पक्ष 2003 के सीजफायर समझौते समेत अन्य समझौतों का कड़ाई से पालन करने पर राजी हुए थे।
इसके बाद एक-दो घटनाओं को छोड़ दिया जाए तो यह सीजफायर कायम रहा है।