अफगानिस्तान: राष्ट्रपति अशरफ गनी बोले- सेना को संगठित करना प्राथमिकता, हिंसा रोकने पर ध्यान
क्या है खबर?
तालिबान के तेजी से बढ़ते कदमों के बीच आज पहली बार अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश को संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि अफगान सेना को संगठित करना उनकी पहली प्राथमिकता है और वो हिंसा से प्रभावित हुए लोगों की मदद की कोशिश कर रहे हैं।
गनी ने लोगों से कहा, "राष्ट्रपति के तौर पर मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि मेरा ध्यान आगे लोगों की अस्थिरता, हिंसा और विस्थापन को रोकने पर होगा।"
अशरफ गनी
संबोधन में इस्तीफे का जिक्र नहीं
संबोधन से पहले कयास लगाए जा रहे थे गनी अपने इस्तीफे का ऐलान कर सकते हैं और उन्होंने इस संबंध में अमेरिका के साथ विचार-विमर्श भी किया है। हालांकि, संबोधन में उन्होंने इसका जिक्र नहीं किया।
पहले से रिकॉर्डेड संदेश में राष्ट्रपति ने कहा कि वो अफगानिस्तान के लोगों पर युद्ध नहीं थोपे जाने देंगे। उन्होंने कहा कि वो जानते हैं कि अफगानिस्तान के लोगों को अपने भविष्य की चिंता सता रही है।
संबोधन
20 सालों में जो पाया, उसे नष्ट नहीं होने देंगे- गनी
देश के नाम संबोधन में गनी ने कहा, "हमने पिछले 20 सालों में जो पाया है, उसे अब जाने नहीं देंगे। हम अफगानों की और हत्याएं नहीं होने देंगे और न ही सरकारी संपत्ति को नष्ट होने देंगे।"
उन्होंने कहा, "हमने सरकार के भीतर और अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ राय-मशविरा किया है। यह बातचीत अभी भी चल रही है और इसके नतीजे जल्द ही आपके सामने होंगे।"
उनका यह संबोधन लगभग 2 मिनट 40 सेकंड चला था।
अशरफ गनी
इस्तीफे को लेकर अब भी स्थिति स्पष्ट नहीं
मीडिया में सूत्रों के हवाले से आ रही खबरों के अनुसार, अशरफ गनी पद से इस्तीफा दे सकते हैं और आज शाम तक अफगान सरकार इसका ऐलान कर सकती है।
हालांकि, गनी के करीबियों का कहना है कि वो इस्तीफा नहीं देंगे और अंतिम समय तक राष्ट्रपति बने रहेंगे।
याद दिला दें कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने बयान दिया था कि गनी के राष्ट्रपति रहते हुए तालिबान अफगानिस्तान सरकार के साथ बातचीत की मेज पर नहीं आएगा।
संघर्ष
अफगान सरकार की तरफ से पहला संबोधन
पिछले कई दिनों अफगानिस्तान में हालात बेहद खराब बने हुए हैं और तालिबान एक-एक कर कई शहरों पर कब्जा जमा चुका है। इस सबके बीच अफगान सरकार की तरफ से कोई बयान नहीं था।
शनिवार को जब राष्ट्रपति गनी ने संक्षिप्त संबोधन दिया, तब तक तालिबान देश की 34 प्रांतीय राजधानियों में से 18 पर कब्जा कर चुका है और तेजी से काबुल की तरफ बढ़ रहा है। उसकी तेजी ने विशेषज्ञों को भी चौंका दिया है।
जानकारी
अपनों को निकालने अफगानिस्तान पहुंचे अमेरिकी सैनिक
गनी के संबोधन के दिन ही अमेरिका से सैनिकों का पहला जत्था काबुल पहुंचा है। अमेरिका ने दूतावासों से अपने राजनयिकों और कर्मचारियों को निकालने के लिए इन सैनिकों को भेजा है। ब्रिटेन भी इसी काम के लिए सैनिक भेजने का ऐलान कर चुका है।
अफगानिस्तान
18 प्रांतीय राजधानियों पर तालिबान का कब्जा
बता दें कि अमेरिका और नाटो अफगानिस्तान से अपने अंतिम सैनिकों की वापसी को पूरा करने के अंतिम दौर में हैं।
इसको देखते हुए तालिबान ने अफगानी सुरक्षाबलों और आम नागरिकों पर हमले तेज कर दिए हैं।
अब तक वह कुंदूज, सर-ए-पोल, तालोकान, निमरोज, लोगार, नोवज्जान प्रांत की राजधानी शबरघान, गजनी, शरना, कंधार और हेरात सहित 18 प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा कर चुका है।
फिलहाल मैदान शहर में तालिबान और अफगान सुरक्षाबलों की लड़ाई चल रही है।
जानकारी
सत्ता साझेदारी का प्रस्ताव भी दे चुकी सरकार
अफगानिस्तान सरकार ने हिंसा रोकने के लिए तालिबान को सत्ता साझेदारी का प्रस्ताव दिया था। सरकार ने मध्यस्थ के तौर पर कतर को यह प्रस्ताव सौंपा था। इसमें हिंसा रोकने के बदले तालिबान को सत्ता में साझेदारी देने की बात कही गई थी।