तालिबान के पास कितना पैसा है और यह कहां से आ रहा?
करीब 20 साल पहले अमेरिका के नेतृत्व वाली सेना ने तालिबान को अफगानिस्तान की सत्ता से बेदखल किया था। इन 20 सालों में तालिबान खुद को मजबूत बनाता गया और अब एक बार फिर काबुल की तरफ बढ़ रहा है। उसके लड़ाकों के पास आधुनिक हथियार और तेजी से दौड़ते नए सैन्य वाहन हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि तालिबान के पास कितना पैसा है और यह पैसा आ कहां से रहा है? आइये, इसका जवाब जानते हैं।
पहले शुरुआत के बारे में जानिये
तालिबान का उभार 1990 के दशक की शुरुआत में उस वक्त हुआ, जब सोवियत संघ अफगानिस्तान से अपने सैनिक वापस बुला रहा था। BBC के अनुसार, यह मदरसों में शुरू हुआ और सऊदी अरब ने इसे आर्थिक सहायता दी। इसके बाद यह अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच फैले पश्तून इलाके में शांति और सुरक्षा की स्थापना के साथ-साथ शरिया कानून को बढ़ावा देने लगा। 1995 में तालिबान ने हेरात और एक साल बाद काबुल पर कब्जा कर लिया।
तालिबान के पास कितना पैसा है?
साल 2016 में मशहूर पत्रिका फोर्ब्स ने तालिबान को दुनिया के 10 सबसे अमीर 'आतंकी' संगठनों की सूची में पांचवें स्थान पर रखा था। दो बिलियन अमेरिकी डॉलर की संपत्ति के साथ IS इसमें सबसे ऊपर था। फोर्ब्स ने तब बताया था कि तालिबान का सालाना टर्नओवर 400 मिलियन डॉलर का है और इसकी आमदनी का मुख्य स्त्रोत नशे की तस्करी और इसे मिलने वाला दान है। ध्यान रहे कि यह 2016 की रिपोर्ट थी।
चार सालों में बजट में हुई कई गुना बढ़ोतरी
इसके बाद रेडियो फ्री यूरोप ने नाटो की एक गोपनीय रिपोर्ट के आधार पर बताया था कि तालिबान का सालाना बजट 1.6 बिलियन डॉलर था। यानी 2016 के बाद के चार सालों में तालिबान के बजट में 400 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि तालिबान स्वतंत्र राजनीतिक और सैन्य पहचान बनाने के लिए आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने के लिए काम कर रहा है। रिपोर्ट में उसकी आमदनी के स्त्रोत भी बताए गए थे।
विदेशी दान पर कम कर रहा निर्भरता
नाटो के अनुसार, तालिबान ने 464 मिलियन डॉलर खनन, 416 मिलियन डॉलर ड्रग्स, 240 मिलियन डॉलर विदेशी चंदे, 240 मिलियन डॉलर निर्यात, 80 मिलियन डॉलर रियल एस्टेट और 160 मिलियन डॉलर वसूली आदि से कमाए थे। इंडिया टुडे पर छपी रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान पिछले कुछ सालों से विदेशी दान पर अपनी निर्भरता कम करता जा रहा है। 2017-18 में उसे विदेशी चंदे के रूप में करीब 500 मिलियन डॉलर प्राप्त हुए थे, जबकि 2020 में 240 मिलियन डॉलर मिले।
हिंसा को जायज ठहरा रहा तालिबान
BBC से बातचीत में हिंसा को जायज ठहराते हुए तालिबान के एक कमांडर ऐनुद्दीन ने कहा, "अमेरिका ने यह लड़ाई शुरू की थी। यहां हमारी सरकार थी, जिसे उखाड़ फेंका गया।" अफगानिस्तान की सरकार को कठपुतली सरकार बताते हुए वो कहते हैं, "वे पश्चिमी संस्कृति नहीं छोड़ रहे हैं। इसलिए हमें उनको मारना पड़ रहा है।" ऐनुद्दीन ने कहा कि हवा अब उनके पक्ष में बह रही है और उनका खोया हुआ प्रभुत्व वापस लौटने वाला है।
काबुल के करीब पहुंचा तालिबान
तालिबान हर नए दिन के साथ अफगानिस्तान पर अपनी पकड़ मजबूत करता जा रहा है। वह अब तक 13 प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा जमा चुका है। तालिबान ने कंधार और लश्कर गाह के साथ पूरे हेरात प्रांत पर भी कब्जा कर लिया है। अब वह राजधानी काबुल के करीब पहुंच गया है। यहां के कई पुलिस थाने खाली हो गए और सुरक्षाकर्मी बचाव के लिए भाग निकले हैं। तालिबान तेजी से काबुल की तरफ बढ़ रहा है।