क्या है दावोस में हो रही वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम की बैठक?
स्विट्जरलैंड के दावोस में इन दिनों वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम (WEF) की सालाना बैठक चल रही है। यूरोप के सबसे ऊंचे शहर दावोस में इस बैठक का आयोजन 21 जनवरी को शुरू हुआ और 24 जनवरी तक चलेगा। इस बैठक में दुनियाभर के शीर्ष राजनेता, कारोबारी और दूसरी बड़ी हस्तियां जुटती हैं। वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम की शुरुआत 1971 में हुई थी और यह दुनिया की स्थिति को बेहतर बनाने के उद्देश्य से काम कर रही है। आइए इसके बारे में जानें।
क्यों खास है दावोस?
दावोस को असल पहचान यहां के अल्पाइन स्काई रिजॉर्ट में हर साल होने वाली वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम की बैठक से मिली है। दावोस स्विट्जरलैंड में वासर नदी के किनारे पर प्राटिगाउ शहर में स्थित है। यह चारों तरफ से पहाड़ों की घिरा है और इस मौसम में यहां बर्फ की चादर बिछ जाती है। यहां हर साल के अंत में आइस हॉकी टूर्नामेंट भी होता है। WEF की सालाना बैठक से पहले यहां सुरक्षा को चाक-चौबंद कर दिया जाता है।
वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम क्या है?
वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम की शुरुआत 1971 में हुई थी और इसका मुख्यालय स्विट्जरलैंड के शहर जेनेवा में है। इसकी वेबसाइट पर लिखा गया है कि यह स्वतंत्र और निष्पक्ष संस्था है। यह प्रशासन के उच्चतम स्तर को बरकरार रखते हुए दुनिया की बेहतरी के लिए काम कर रही है। 1971 से पहले इसे यूरोपियन मैनेजमेंट फोरम के तौर पर जाना जाता था और इसकी नींव अर्थशास्त्री प्रोफेसर क्लॉज श्वॉब ने एक गैर-लाभकारी संगठन के तौर पर रखी थी।
हस्तियों को भेजा जाता है आमंत्रण
WEF की बैठक में अलग-अलग देशों के नेता और कारोबारी आदि हिस्सा लेते हैं। इनके अलावा अलग-अलग क्षेत्रों में बेहतरीन काम करने वाली हस्तियों को भी इसमें भाग लेने के लिए बुलाया जाता है।
वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम की बैठक का इतिहास
जनवरी, 1974 में पहली बार इस बैठक में राजनीतिक नेता शामिल हुए थे। बीबीसी के मुताबिक, इससे पहले इस बैठक में यूरोपीय कंपनियों द्वारा अमेरिकी कंपनियों को टक्कर देने की तरीके पर विचार-विमर्श किया जाता था। धीरे-धीरे इसमें राजनेता शिरकत करने लगे और बाद में फोरम ने दुनिया की 1,000 बड़ी कंपनियों को मेंबरशिप देने की व्यवस्था शुरू की। बाद में इसे अंतरराष्ट्रीय संस्थान का दर्जा मिल गया। इस बैठक में हर साल लगभग 3,000 लोग भाग लेते हैं।
आलोचनाओं से दूर नहीं है यह बैठक
बर्फ से घिरी से वादियों के बीच दुनिया की बड़ी शख्सियतों की मौजूदगी वाली यह बैठक आलोचनाओं से भी दूर नहीं है। इसका विरोध करने वाले लोग इसे अमीरों की बैठक बताकर इसकी आलोचना करते हैं।
इस बैठक का फायदा क्या होता है?
इस बैठक में शामिल होने वाले अलग-अलग नेता एक-दूसरे से मिलकर महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करते हैं। साथ ही समारोह में शिरकत करने आए कारोबारी व्यापारिक सौदों की बात आगे बढ़ाते हैं। कई मौके पर इस मंच का इस्तेमाल दूसरे जरूरी मुद्दे उठाने के लिए किया जाता है। उदाहरण के तौर पर इस बार की बैठक में पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग को बुलाया गया है। पिछली बार इस मंच से मानसिक स्वास्थ्य को लेकर बात उठी थी।
ये दिग्गज होंगे बैठक में शामिल
50वीं बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन, जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल आदि नेता शामिल होंगे। इनके अलावा अफगानिस्तान, आयरलैंड, फिनलैंड, ब्राजील, इराक, सिंगापुर और पाकिस्तान आदि देशों के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भी इसमें शिरकत कर सकते हैं।
भारत की तरफ से कौन-कौन जा रहा है?
इस बैठक में शामिल होने के लिए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल दावोस जा रहा है। इसमें केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा आदि शामिल होंगे। इनके साथ-साथ गौतम अडाणी, मुकेश अंबानी, राहुल व संजीव बजाज, कुमार मंगलम बिड़ला, एन चंद्रशेखरन, सज्जन जिंदल, उदय कोटक, आनंद महिंद्रा और पवन मुंजाल आदि कारोबारी इसमें भाग लेंगे। पिछले साल प्रधानमंत्री मोदी भी दावोस गए थे।
दीपिका पादुकोण को मिला दावोस में सम्मान
फिल्म अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने भी इस साल WEF की बैठक में शिरकत की। यहां पर उन्हें मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता फैलाने के लिए क्रिस्टल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। दीपिका एकमात्र भारतीय अभिनेत्री हैं, जिन्हें यह सम्मान मिला है। इस दौरान दीपिका ने डिप्रेशन से अपनी जंग को याद करते हुए कहा, "मेरी लव और हेट रिलेशनशिप ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है और मैं इससे पीड़ित हर किसी को बताना चाहता हूं कि आप अकेले नहीं हैं।"