10 दिनों में 12 देशों में सामने आए मंकीपॉक्स के मामले, और बढ़ने की आशंका- WHO
पिछले कुछ दिनों में दुनिया के कई देशों में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं। रविवार को इसकी जानकारी देते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बताया कि 13 मई के बाद से 12 देशों में इस बीमारी के 92 मामले सामने आ चुके हैं और आने वाले दिनों में इनमें और इजाफा हो सकता है। संगठन की तरफ से कहा गया है कि इसके संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए जरूरी कदम उठाने की जरूरत है।
क्या है मंकीपॉक्स?
मंकीपॉक्स एक जूनोटिक (एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में फैलने वाली) बीमारी है। ये बीमारी मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमण के कारण होती है जो पॉक्सविरिडाइ फैमिली के ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से आता है। ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस में चेचक (स्मालपॉक्स) और काउपॉक्स बीमारी फैलाने वाले वायरस भी आते हैं। मंकीपॉक्स वायरस का सबसे पहले 1958 में पता चला था। तब रिसर्च के लिए तैयार की गईं बंदरों की बस्तियों में इस वायरस के कारण पॉक्स जैसी बीमारी देखी गई थी।
कई संदिग्ध मरीजों की जांच जारी
संगठन ने कहा कि अभी कई संदिग्ध मरीजों की जांच रिपोर्ट आना बाकी है। इसके अलावा आने वाले दिनों में जब निगरानी और टेस्टिंग बढ़ेगी, तब इसके मामलों में और इजाफा दर्ज किया जा सकता है।
इन देशों में दर्ज हुए मंकीपॉक्स के मामले
अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, स्वीडन, इटली, बेल्जियम, फ्रांस, नीदरलैंड, जर्मनी, ब्रिटेन, पुर्तगाल और स्पेन में इस बीमारी के मरीज पाए जा चुके हैं। अभी तक मंकीपॉक्स के कारण किसी मरीज की मौत नहीं हुई है। ब्रिटेन, पुर्तगाल और स्पेन इससे सर्वाधिक प्रभावित यूरोपीय देश हैं। आमतौर पर मंकीपॉक्स के मामले मध्य और पश्चिमी अफ्रीका की यात्रा से आए लोगों से जुड़े होते हैं, लेकिन इस बार बिना यात्रा इतिहास के लोग भी इस बीमारी से संक्रमित पाए जा रहे हैं।
यौन क्लिनिक्स से दर्ज हुए ज्यादातर मामले
संगठन ने बताया है कि इस बीमारी के अधिकतर मामले यौन स्वास्थ्य क्लिनिक से दर्ज किए गए हैं। इनमें से ज्यादातर मरीज ऐसे पुरुष हैं, जिन्होंने पुरुषों के साथ संबंध बनाए थे और यौन स्वास्थ्य क्लिनिक्स में प्राथमिक उपचार ले रहे हैं। गौरतलब है कि ब्रिटेन ने इस बीमारी के शुरुआती मामले दर्ज होने के बाद समलैंगिंक लोगों को चेताया था। बता दें कि यह वायरस करीबी संपर्क में रहे लोगों के बीच तेजी से फैलता है।
डॉक्टरों ने यौन स्वास्थ्य पर असर को लेकर चेताया
डॉक्टरों ने चेताया है कि मंकीपॉक्स संक्रमण के चलते यौन स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच पर गंभीर असर पड़ सकता है। अगर किसी क्लिनिक में कोई कर्मचारी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आ जाता है तो उसे खुद को आइसोलेट करना पड़ रहा है। लंदन में इस बीमारी के मामले सामने आने के बाद यौन स्वास्थ्य केंद्रों ने लोगों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया है। डॉक्टरों की चिंता है कि दूसरे संक्रमण पर भी इसका असर पड़ सकता है।
कैसे फैलता है मंकीपॉक्स वायरस?
मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित किसी जानवर या इंसान के संपर्क में आने पर कोई भी व्यक्ति इस वायरस से संक्रमित हो सकता है। ये वायरस टूटी त्वचा, सांस और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। ये वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान में भी फैल सकता है। छींक या खांसी के दौरान निकलने वाली बड़ी श्वसन बूंदों से ये प्रसार होता है। संक्रमित व्यक्ति की किसी चीज से संपर्क में आने पर भी ये वायरस फैल सकता है।
क्या हैं मंकीपॉक्स से संक्रमण के लक्षण?
इंसानों में मंकीपॉक्स से संक्रमण के लक्षण चेचक जैसे ही हैं, हालांकि ये थोड़े हल्के होते हैं। बीमारी की शुरूआत बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और पीठ में दर्द, थकावट और ठंड लगने से होती है। लक्षण दिखने के एक से तीन दिन के अंदर पीड़ित के दाने होने लगते हैं। सबसे पहले उसके चेहरे पर दाने होते हैं और फिर वो पूरे शरीर पर फैल जाते हैं। दो से चार हफ्ते बाद ये बीमारी ठीक हो जाती है।
क्या है मंकीपॉक्स का इलाज और इससे कैसे बचें?
अभी तक मंकीपॉक्स का कोई भी प्रमाणित उपचार नहीं है। हालांकि, CDC के अनुसार, चेचक की वैक्सीन, एंटीवायरल दवाओं और चेचक की एंटीबॉडीज (वैक्सिनिया इम्यून ग्लोबुलिन) की मदद से इसे रोका जा सकता है। स्टडीज में पाया गया है कि चेचक की वैक्सिनिया वैक्सीन मंकीपॉक्स को रोकने में 85 प्रतिशत तक प्रभावी है। बचाव की बात करें तो संक्रमित व्यक्ति या जानवर से दूर रहकर इस बीमारी से बचा जा सकता है।