कोरोना वायरस: इटली में पहली के मुकाबले दूसरी लहर में हो रही ज्यादा मरीजों की मौत

कोरोना वायरस महामारी के शुरुआती दिनों में संक्रमण का हॉटस्पॉट बने इटली में हालात फिर से बिगड़ चुके हैं। इन दिनों संक्रमण की दूसरी लहर का सामना कर रहे इटली में कई पाबंदियां लागू हैं। फिर भी यहां वायरस लगातार खतरनाक रूप लेता जा रहा है। यहां दूसरी लहर में जान गंवाने वाले मरीजों की संख्या पहली लहर में मरने वालों से ज्यादा हो गई है। इस महीने यहां रोजाना 600-800 मौतें हो रही हैं।
अल जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार यहां 1 सितंबर से 25 दिसंबर के बीच 35,417 लोगों की मौत हो चुकी है। अगर इसकी तुलना महामारी की पहली लहर से करें तो यहां 21 फरवरी से लेकर 31 अगस्त तक 35,376 मौतें हुई थीं। इसी दौरान इटली में संक्रमण पीक पर था। यानी जितनी मौतें पहले लगभग छह महीनों में नहीं हुईं, उससे ज्यादा बीते चार महीनों में हो चुकी हैं। इससे संक्रमण की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
दिसंबर आते-आते इटली में रोजाना होने वाली मौतों की संख्या में इजाफा देखने को मिला है। इस महीने यहां रोजाना 600-800 लोग कोरोना वायरस के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं। 3 दिसंबर को देश में 993 लोगों की मौत हुई थी, जो एक दिन में मरने वालों की सबसे बड़ी संख्या है। हालात बिगड़ते देखकर सरकार ने 25 दिसंबर से 1 जनवरी तक लोगों के एक से दूसरे स्थान पर जाने पर पाबंदियां लगा दी हैं।
मौतों की संख्या में इजाफे का कारण बताते हुए मिलान के मेडिकल एसोसिएशन के निदेशक कार्लो अल्बर्टो रोसी कहते हैं कि यहां पर स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत नहीं किया गया। उन्होंने कहा, "पहली लहर के दौरान हमने चेताया था कि कुछ कदम उठाए जाने की जरूरत है। इनमें से कुछ सुझावों को आंशिक तौर पर या बहुत देर से माना गया है।" उनका मानना है कि स्थानीय प्रशासन को अधिक डॉक्टरों की भर्ती करने की जरूरत थी।
रोसी ने आगे कहा कि पिछले कई सालों से स्थानीय अस्पतालों में डॉक्टरों की संख्या कम होती हो गई है और इस तरफ किसी का ध्यान नहीं गया। उन्होंने यह भी कहा कि जल्द ही बड़ी संख्या में कई डॉक्टर रिटायर हो जाएंगे, जिससे यह संकट और बढ़ सकता है। उन्होंने आगे कहा कि ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने के लिए काम किया जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है।
इसके अलावा मौतों की संख्या बढ़ने की दूसरी वजह कुछ हद तक जनसांख्यिकी भी है। यहां की 23 प्रतिशत आबादी 65 साल से अधिक की है, जिन्हें महामारी के कारण सबसे ज्यादा खतरा होता है। महामारी की शुरुआत में इटली में जिन लोगों की मौत हुई थी, उनमें से 86 प्रतिशत 70 साल से अधिक उम्र के मरीज थे। संक्रमण का हॉटस्पॉट बनने के कारण यहां की सरकार ने स्थिति सुधारने के लिए कड़े लॉकडाउन का सहारा लिया था।
लॉकडाउन के बाद के दिनों में इन प्रयासों का असर नजर आया और मामले कम होने शुरू हो गए। कुछ दिनों तक यहां स्थिति काबू में रही, लेकिन अक्टूबर आते-आते हालात फिर से पहले जैसे होने लगे। अक्टूबर के मध्य में इटली के सबसे बड़े डॉक्टर संगठन ने चेतावनी दी कि स्थिति नियंत्रण से बाहर हो रही है। उस वक्त सरकार ने भी माना कि संक्रमण पर काबू पाने की उसकी रणनीति असफल हो चुकी है।
कोरोना वायरस के खिलाफ इटली की लड़ाई में 27 दिसंबर का इंतजार किया जा रहा है। दरअसल, इस दिन यूरोपीय देशों में वैक्सीनेशन (टीकाकरण) शुरू हो रहा है। इसे देखते हुए माना जा रहा है कि संक्रमण पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी।