कर्नाटक के 8 वर्षीय ऋषि का आइंस्टीन से भी तेज है दिमाग, मिला राष्ट्रीय बाल पुरस्कार
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 23 जनवरी को 11 बच्चों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2023 से सम्मानित किया। इन बच्चों में कर्नाटक के रहने वाले आठ वर्षीय ऋषि शिव प्रसन्ना भी शामिल है। ऋषि ने एंड्रॉयड ऐप स्टोर के लिए तीन ऐप बनाए हैं, जिसके लिए उन्हें यह पुरस्कार मिला है। उन्हें आइंस्टीन से भी ज्यादा बुद्धिमान माना जाता है। आइए आज हम आपको ऋषि के बारे में विस्तार से बताते हैं।
कौन हैं ऋषि?
बेंगलुरू में रहने वाले ऋषि सबसे कम उम्र के गूगल सर्टिफाइड एंड्रॉयड ऐप डेवलपर हैं। उन्होंने बच्चों के लिए IQ टेस्ट ऐप, कंट्री ऑफ द वर्ल्ड और CHB नामक ऐप्स बनाई हैं। इसके अलावा पांच साल की उम्र में उन्होंने जेके राउलिंग की पूरी हैरी पॉटर सीरीज भी पढ़ी है। पढ़ने के अलावा ऋषि 'लर्न विटामिन्स विद हैरी पॉटर' और 'एलीमेंट्स ऑफ अर्थ' नामक दो किताब भी लिख चुके हैं।
आइंस्टीन से भी ज्यादा है ऋषि का IQ
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऋषि का IQ लेवल दुनिया के सबसे बुद्धिमान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन से भी ज्यादा है। दरअसल, ऋषि चार साल की उम्र में ही दुनिया के सबसे बड़े IQ सोसायटी मेन्सा इंटरनेशनल में शामिल हो गए थे। इसमें ऋषि का IQ टेस्ट 180 आंका गया था, जबकि आइंस्टीन का IQ 160 है। छोटी उम्र में ही ऋषि ने पढ़ना सीख लिया था और सौर मंडल, ग्रहों, आकृतियों और ब्रह्मांड वगैरह के बारे में जानने लगे थे।
5 साल की उम्र में ऋषि ने सीखी थी कोडिंग
ऋषि की रुचि विज्ञान, टेक्निकल और कोडिंग में है। उन्होंने पांच साल की उम्र में ही कोडिंग भी सीख ली थी। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन से परेशान ऋषि बड़े होकर वैज्ञानिक बनना चाहते हैं ताकि वह पृथ्वी की रक्षा करने में मदद कर सकें।
ऋषि के लिए एक्सरसाइज करने जैसा है पढ़ना
पिछले साल एक कार्यक्रम में ऋषि ने कहा था, "बहुत सारी किताबें पढ़ने से ही आप ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। जब अध्ययन किया जाता है तो सभी सवालों के जवाब मिल जाते हैं। ऐसे में फिर किसी भी तरह के सवाल का जवाब देने में डर नहीं लगता है।" उन्होंने आगे कहा था कि अगर कोई दो घंटे में एक किताब नहीं पढ़ता है तो वह अगले चार घंटे तक अनपढ़ रहेगा।
न्यूजबाइट्स प्लस
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार भारत में रहने वाले पांच साल से 18 साल तक के बच्चों को नवाचार, शिक्षा, खेल, कला, विज्ञान, इनोवेशन, समाज सेवा और बहादुरी जैसे क्षेत्रों में उत्कृष्ट उपलब्धि हासिल करने पर दिया जाता है। इसकी शुरुआत 1996 में की गई थी।