खाद्य पदार्थों में शाकाहारी और मांसाहारी सामग्री का किया जाए खुलासा- दिल्ली हाई कोर्ट
दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को खाद्य पदार्थों में इस्तेमाल होने वाली सामग्री (शाकाहारी और मांसाहारी) का आवश्यक रूप से खुलासा किए जाने के आदेश दिए हैं। हाई कोर्ट ने यह आदेश एक एक निजी ट्रस्ट की ओर से खाद्य पदार्थों में उपयोग ली जा रही सामग्रियों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराए जाने के संबंध में दायर याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि लोगों को खाद्य पदार्थों में उपयोग सामग्री के बारे में जानने का अधिकार है।
राम गौ रक्षा दल ने दायर की थी याचिका
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, गैर-सरकारी ट्रस्ट राम गौ रक्षा दल ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर लोगों के 'जानने का अधिकार' का सम्मान करने और अधिकारियों को खाद्य उत्पादों और सौंदर्य प्रसाधनों के लेबलिंग के लिए लागू नियमों का सख्ती से पालन कराने के आदेश देने की मांग की थी। ट्रस्ट ने बताया कि उनके सदस्य नामधारी संप्रदाय के अनुयायी हैं और सख्त शाकाहार मानते हैं, लेकिन बाजार के खाद्य पदार्थों में इसका स्पष्ट खुलासा नहीं किया जाता है।
याचिका में दी गई थी यह दलील
याचिका में कहा गया था कि कई वस्तुएं हैं जिनका उपयोग आम जीवन में किया जाता है और शाकाहारी लोगों को इस बात का अंदाजा भी नहीं होता कि इन्हें बनाने में जानवरों के उत्पादों का उपयोग किया गया है। उन्होंने कहा कि सफेद चीनी को चमकाने के लिए बोन चार या प्राकृतिक कार्बन का उपयोग होता है, जो शाकाहार मानने वाले लोगों के उपभोग के लिए उपयुक्त नहीं है। बोन चार उत्पादों में पशु मूल के तत्व होते हैं।
हाई कोर्ट ने 12 नवंबर को सरकार को जारी किया था नोटिस
याचिका में सभी उपयोग की जाने वाली वस्तुओं को न केवल उनके अवयवों के आधार पर बल्कि निर्माण प्रक्रियाओं के दौरान उपयोग की जाने वाली वस्तुओं के आधार पर भी लेबल करने की संभावना की जांच करने की मांग की गई थी। इस पर 11 नवंबर को हुई सुनवाई में कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा था कि प्रत्येक व्यक्ति को 'जानने का अधिकार' है। ऐसे में अधिकारियों को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए।
हाई कोर्ट ने दिए उपयोग की गई सभी सामग्रियों का खुलासा करने के आदेश
मामले में मंगलवार को हुई सुनवाई में जस्टिस विपिन सांघी और जसमीत सिंह की खंडपीठ ने कहा, "सभी को जानने का अधिकार है कि वो क्या खा रहे हैं। ऐसे में सभी खाद्य व्यवसाय संचालकों के लिए अनिवार्य है कि वो किसी भी खाद्य पदार्थ को बनाने में उपयोग की जाने वाली सभी सामग्रियों का पूर्ण और स्पष्ट खुलासा करें।" कोर्ट ने कहा, "यह भी स्पष्ट खुलासा होना चाहिए कि पदार्थ में शाकाहारी और मांसाहारी सामग्री का स्रोत क्या है।"
कोर्ट ने दिए सामग्री का स्पष्ट खुलासा करने के आदेश
हाई कोर्ट ने कहा कि खाद्य उत्पादों का लेबलीकरण न केवल उनके कोड नामों से होना चाहिए, बल्कि यह भी खुलासा करना चाहिए कि उसमें वनस्पति और पशुओं से तैयार कौनसी सामग्री कितनी मात्रा में हैं। या फिर उन्हें प्रयोगशाला में तैयार किया गया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि खाद्य व्यवसाय संचालकों द्वारा आदेशों की अवहेलना उन्हें मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के लिए कार्रवाई किए जाने और दंडात्मक कार्रवाई किए जाने के लिए जिम्मेदार बनाएगी।
जिम्मेदार अधिकारियों पर की जाएगी कार्रवाई
हाई कोर्ट ने कहा कि भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) को खाद्य व्यवसाय संचालकों द्वारा किए गए ऐसे सभी दावों का सत्यापन करना चाहिए। इसी तरह FSSAI या उसके अधिकारियों की ओर से अपने कर्तव्यों का पालन करने में लापरवाही या मिलिभगत में लिप्त पाए जाने पर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। लोगों को खाद्य पदार्थों के इस्तेमाल से पहले उसमें मौजूद सामग्री के बारे में जानने का पूरा अधिकार है।