दिल्ली हाई कोर्ट की उत्तर प्रदेश पुलिस को कड़ी फटकार, कहा- यहां नहीं चलेगा गैरकानूनी काम
क्या है खबर?
दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस को जमकर फटकार लगाई है।
कोर्ट ने एक कथित अपहरण के मामले में दो लोगों की गिरफ्तारी करने पर उत्तर प्रदेश पुलिस को कहा कि दिल्ली में ऐसे 'गैरकानूनी काम' बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।
कोर्ट ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने इस मामले में हर कदम पर कानून का उल्लंघन किया है और ऐसी गैरकानूनी गतिविधियों की इजाजत नहीं दी जा सकती।
मामला
क्या है मामला?
एक दंपत्ति ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि उन्होंने 1 जुलाई को अपनी मर्जी से शादी की है। महिला के घर वाले उनकी शादी के खिलाफ हैं और लगातार धमकियां दे रहे हैं।
इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस ने 6 और 7 अगस्त को महिला के ससुर और देवर को उनके घर से गिरफ्तार कर लिया था।
दंपत्ति का कहना है कि दोनों को इस वक्त कहां रखा गया है, इसकी जानकारी नहीं है।
फटकार
कोर्ट ने कहा- दिल्ली में ऐसा नहीं चलेगा
गुरुवार को इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने उत्तर प्रदेश के पुलिस अधिकारियों से कहा, "ये काम यहां दिल्ली में नहीं चलेगा। गैरकानूनी काम कोई भी कि आप दिल्ली से लोगों को उठा दें और कह दें कि हमने शामली से उठाया था और अरेस्ट दिखा दें। ये हम यहां नहीं चलने देंगे। अगर आप बिल्कुल आंख और दिमाग बंद करके काम करते हैं तो हमारे पास कोई इलाज नहीं है।"
बयान
"दिल्ली में ये चीजें बर्दाश्त नहीं होंगी"
कोर्ट ने आगे कहा, "आप जब दिल्ली आएंगे, इंटीमेशन लोकल थाने को देंगे। उसके बाद कार्रवाई करेंगे। अपनी मर्जी से उठाके किसी को नहीं ले जा सकते। यही कानून कहता है ना? हर कदम पर कानून तोड़ा है। ये चीज दिल्ली में बर्दाश्त नहीं करेंगे।"
मामला
गिरफ्तारी की जगह को लेकर संशय
दिल्ली पुलिस ने बताया कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने उसे जानकारी दी थी कि 6 सितंबर को महिला की मां की शिकायत के आधार पर IPC की धारा 366 के तहत दर्ज मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि उन्हें शामली से पुलिस के आने की सूचना नहीं दी गई थी।
वहीं उत्तर प्रदेश पुलिस का कहना है कि उन्हें शामली जिले के कुढ़ाना बस स्टैंड से गिरफ्तार किया गया था।
सुनवाई
कोर्ट ने पूछा गिरफ्तारी का सच
इस पर कोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस से पूछा कि उन्होंने मामले में कार्रवाई करने से पहले महिला की उम्र सत्यापित क्यों नहीं की?
जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने पूछा, "क्या आपने पूछा कि लड़की नाबालिग है या बालिग? अगर वह बालिग है तो उसके परिजनों की मर्जी नहीं चलेगी। जब आप जांच करते हैं तो आप शिकायतकर्ता से पूछे बिना ही आरोपी को गिरफ्तार करना शुरू कर देंगे?"
कोर्ट ने पुलिस से गिरफ्तारी का सच बताने को कहा है।
सुनवाई
जांच को लेकर कोर्ट ने जताई हैरानी
दिल्ली हाई कोर्ट ने इस बात पर भी हैरानी व्यक्त की कि पुलिस ने महिला से बात नहीं की, लेकिन उसके पति के पिता और भाई को गिरफ्तार कर लिया।
कोर्ट ने यह भी कहा कि FIR में साफ लिखा हुआ है कि महिला की उम्र 21 साल है और वह नाबालिग नहीं है। इस पर कोर्ट ने कहा, "अगर आपको और आपके जांच अधिकारी को फाइल पढ़नी नहीं आती तो मेरे पास इसका कोई इलाज नहीं है।"