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    जापान: 'बुखार' से निपटने के लिए हर साल देवदार और सरू के 70,000 पेड़ काटेगी सरकार
    जापान में हे फीवर की वजह से हजारों पेड़ काटे जाने की तैयारी हो रही है

    जापान: 'बुखार' से निपटने के लिए हर साल देवदार और सरू के 70,000 पेड़ काटेगी सरकार

    लेखन अंजली
    May 31, 2023
    04:20 pm

    क्या है खबर?

    जहां एक तरफ दुनिया को ज्यादा हरियाली की जरूरत है, वहीं जापान में देवदार और सरू के हजारों पेड़ों को काटने की तैयारी हो रही है।

    इसका कारण यह है कि इन पेड़ों से निकलने वाले पराग कण से लोगों के स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो रही है।

    इससे देश में हे फिवर (पेड़-पौधों के पराग से होने वाला बुखार) के मामले बढ़ रहे हैं, जिससे परेशान होकर सरकार ने हजारों पेड़ काटने का फैसला किया है।

    पूरा मामला समझते हैं।

    समस्या

    काफी मुश्किल पैदा कर सकते हैं ये पेड़- फुमियो

    जापानी मीडिया NHK की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने कहा कि इन पेड़ों के कारण देश में हे फीवर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

    उन्होंने कहा, "यह एक गंभीर समस्‍या बन गया है और अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो आगे चलकर काफी मुश्क‍िल होने वाली है, इसल‍िए सरकार ने अगले 10 वर्षों में देवदार के पेड़ों के क्षेत्र को लगभग 20 प्रतिशत तक कम करने की योजना बनाई है।"

    आबादी

    हर साल हजारों लोग हे फीवर का करते हैं सामना 

    जापान टाइम्‍स के मुताबिक, जापानी सरकार ने देवदार और सरू के 70,000 पेड़ों को हर साल काटने का फैसला लिया है क्योंकि हर साल हजारों की संख्या में लोग इनकी वजह से हे फीवर की चपेट में आते हैं।

    वर्ल्‍ड इकोनॉमिक फोरम की रिपोर्ट के अनुसार, जापान में हे फीवर के 70 फीसदी मामले देवदार के पराग कणों से ही फैलते हैं, इसलिए सरकार इन पेड़ों की काटना ही बेहतर विकल्प मान रही है।

    आर्थिक संकट

    आर्थिक संकट उत्पन्न कर सकता है हे फीवर

    साल 2020 में पैनासोनिक होल्डिंग्स कॉर्प द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, जापान में हे फीवर के लगभग 80 प्रतिशत रोगियों ने कहा कि एलर्जी ने उनकी उत्पादकता को कम कर दिया है।

    ब्लूमबर्ग के अनुसार, हे फीवर से कर्मचारियों की एकाग्रता में कमी और काम करने की क्षमता प्रभावित होती है। इससे प्रतिदिन 221.5 अरब येन (लगभग 140 करोड़ रुपये) का आर्थिक नुकसान होता है।

    देवदार पेड़

    18 फीसदी जंगलों में हैं देवदार के पेड़

    देवदार के पेड़ देश के 18 फीसदी जंगलों में फैले हुए हैं।

    द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद जापान ने निर्माण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए इन पेड़ों को लगाया था। ये पेड़ हर साल की शुरुआत में पराग कण गिराते हैं, जिससे हे फीवर के मामलों बढ़ने लगते है।

    हे फीवर के लक्षणों में नाक बहना, खुजली होना, आंखों से पानी निकलना और सांस लेने में तकलीफ शामिल हैं।

    योजना

    पेड़ो की कटाई से हुए नुकसान की भरपाई कैसे करेगी सरकार?

    सरकार ने इन पेड़ों को हटाकर इनकी जगह ऐसे पौधों या देवदार की उन किस्मों को लगाने का फैसला किया है, जो कम पराग कण बहाते हैं।

    इसके अतिरिक्त, देवदार के पेड़ों को काटने के बाद इनकी लकड़ी के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा।

    जापान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, हे फीवर के लक्षणों को कम करने के लिए सरकार इम्यूनोथेरेपी दवाओं के उत्पादन को बढ़ावा देगी।

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