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इस देश में बच्चा पैदा करने पर मां को सरकार की तरफ से मिलते हैं इनाम

इस देश में बच्चा पैदा करने पर मां को सरकार की तरफ से मिलते हैं इनाम

लेखन अंजली
Dec 18, 2019
06:39 pm

क्या है खबर?

जहां एक तरफ भारत और चीन जैसे देशों में सरकारी तौर पर कम बच्चे पैदा करने के लिए काफी प्रयास चल रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ इस दुनिया में कुछ देश ऐसे भी हैं, जहां पर बच्चे पैदा करने वाले नागरिकों को सरकार की ओर से कई इनाम दिए जा रहे हैं। दरअसल, फिनलैंड की सबसे छोटी नगरपालिकाओं में से एक लेस्टिजारवी में भी बच्चे पैदा करने पर मां को इनाम दिया जा रहा है। आइए जानें।

जानकारी

कम आबादी से निजात पाने के लिए बनाई गई योजना

लेस्टिजारवी के प्रशासकों ने यह योजना गांव में घटती जन्म दर के साथ-साथ सिकुड़ती आबादी से निजात पाने के लिए बनाई है। इसके लिए नगरपालिका ने 'बेबी बोनस' नाम से एक प्रोत्साहन शुरू किया और तय किया गया कि हर बच्चे के जन्म पर अगले 10 साल में बच्चे की मां को 10 हजार यूरो (लगभग आठ लाख रुपये) दिए जाएंगे। परिणामस्वरूप 800 लोगों के इस गांव में यह योजना सफल हो रही है।

अन्य योजनाएं

देश में कई अन्य योजनाएं भी हैं लागू

इस योजना के अलावा फिनलैंड की सरकार ने भी बच्चे के जन्म पर परिवार को बेबी बॉक्स स्टार्टर किट देने की योजना बनाई हुई है। वहीं फिनलैंड की कई अन्य नगर पालिकाओं ने भी कुछ सौ यूरो से लेकर 10 हजार यूरो तक का बेबी बोनस शुरू किया है। कई जगह माता-पिता को 70 फीसदी सैलरी के साथ नौ महीने तक की छुट्टी दी जाती है। बता दें कि इन इनामों का खर्च सरकारी पैसों द्वारा किया जाता है।

बयान

इस योजना के बारें में फिनलैंड के नागरिकों का क्या कहना है?

बेबी बोनस पाने वालों में से एक जोड़ा 50 वर्षीय जुक्का-पेक्का टुइक्का और 48 वर्षीय उनकी पत्नी जेनिका कृषि उद्यमी हैं। इन्होनें 2013 में अपनी दूसरी बेटी जनट को जन्म दिया था, जिसके बाद से उन्हें अब तक 6,000 यूरो मिल चुके हैं। टुइक्का को लगता है कि पैसे देने का फ़ैसला अहम कदम है जिससे पता चलता है कि स्थानीय नेता परिवारों के लिए मदद का हाथ बढ़ाने में दिलचस्पी रखते हैं।

जन्म दर

जन्म दर ऊंची रखना है यूरोप सरकार की प्राथमिकता

यूरोप की आबादी लगातार घटती जा रही है, लेकिन कई देशों के गांव और शहर के नागरिक जन्म दर बढ़ाने के लिए सरकार की मदद कर रहे हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि यह सिर्फ पैसे का मामला नहीं है। विशेषज्ञों और नागरिकों के आंकड़े के अनुसार, लोगों को इस योजना के लिए प्रोत्साहित करना एक जटिल मामला है, जिससे सिर्फ एक चेक देकर हल करना मुश्किल है। इसी वजह से यह योजना 2013 से लेकर अब तक लागू है।