इंग्लैंड: 45 साल बाद लाइब्रेरी को लौटाई किताब, फिर भी नहीं लगा जुर्माना; सभी हैरान
क्या है खबर?
लोग लाइब्रेरी में किताबें पढ़ने जाते हैं और कई बार वहां से किताबों को इश्यू भी कराते हैं।
हालांकि, इसे अपने पास रखने की एक समयसीमा होती है और अगर तय समय पर इसे न लौटाया जाए तो जुर्माना लगता है। इसके बावजूद कुछ लोग सालों तक किताबें लौटाना भूल जाते हैं।
ऐसा ही एक मामला इंग्लैंड से भी सामने आया है।
यहां एक लाइब्रेरी में 45 साल बाद एक किताब लौटाई गई है।
मामला
क्या है मामला?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह पूरा मामला ब्लैकपूल लाइब्रेरी का है।
यहां हाल ही में एक अज्ञात महिला ने लाइब्रेरी की उस किताब को लौटाया है, जो उसने साल 1976 में इश्यू करवाई थी।
45 साल बाद लौटी इस किताब की जांच करके लाइब्रेरी के कर्मचारी भी हैरान हैं।
उन्होंने इस दिलचस्प कहानी को फेसबुक पर साझा किया है। साथ ही लंबे समय गायब उस किताब की एक तस्वीर भी साझा की है।
फेसबुक पोस्ट
लाइब्रेरी ने फेसबुक पर क्या जानकारी दीं?
लाइब्रेरी की फेसबुक पोस्ट के मुताबिक, महिला ने रान्डेल हेल्म्स की किताब 'टॉक्लिन्स वर्ल्ड' लाइब्रेरी में वापस लौटाई है।
पोस्ट में लिखा है, 'महिला 1970 के दशक में शहर के वूलवर्थ स्टोर में काम करती थी और दोपहर के समय किताबें लेने लाइब्रेरी आती थी। जब वूलवर्थ बंद हो गया तो उसने किताबें वापस कर दी, लेकिन हाल ही में सफाई के दौरान उसे यह किताब मिली, जिसे 45 साल बाद अब उसने लौटा दी है।'
जुर्माना
जुर्माना नहीं लगाने का है नियम
लाइब्रेरी के फेसबुक पेज पर दी जानकारी के मुताबिक, ब्लैकपूल लाइब्रेरी देर से किताबें लौटाने पर ग्राहकों पर जुर्माना नहीं लगाती, फिर चाहें इसमें कई दशक ही क्यों न लग जाए, इसलिए ग्राहकों को इसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने लिखा, 'अगर आप 1976 में एक किताब खो जाने के कारण हमसे जुर्माने को लेकर बच रहे हैं तो घबराए नहीं। हम वादा करते हैं कि हम ग्राहकों पर जुर्माना नहीं लगाते।'
अन्य मामला
इंग्लैंड की लाइब्रेरी में अमेरिका से वापस आईं थीं किताबें
इससे पहले इंग्लैंड में स्थित मिडलसेक्स काउंटी लाइब्रेरी में अमेरिका के मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय की क्लेयर टी कार्नी लाइब्रेरी से 2 किताबें भेजी गईं थी। उसमें नो मैन्स लैंड और हॉग वाइल्ड किताबें शामिल थी।
उस वक्त लाइब्रेरी के कर्मचारियों को इन किताबों का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला था, लेकिन ये किताबें 2005 और 2007 में लाइब्रेरी के संग्रह में आई थीं, इसलिए ऐसा अनुमान लगाया गया था कि लगभग 7 साल पहले किसी ने उन किताबों को इश्यू करवाया होगा।