इंग्लैंड की लाइब्रेरी में अमेरिका से सालों बाद वापस आईं किताबें, सभी हैरान
पाठक कई बार किताब पढ़ने के लिए उसे लाइब्रेरी से लेते हैं। इसे अपने पास रखने की एक समयसीमा होती है और अगर समय पर किताब को ना लौटाया जाये तो हर एक दिन के हिसाब से जुर्माना लगता है। इसके बावजूद अकसर कुछ लोग किताब लौटाना भूल जाते हैं। इंग्लैंड से ऐसा ही एक बेहद अजीबोगरीब मामला सामने आया है। यहां एक लाइब्रेरी में अमेरिका से कई सालों बाद 2 किताबें लौटाईं गईं हैं।
क्या है मामला?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह पूरा मामला इंग्लैंड के डोरचेस्टर में स्थित मिडलसेक्स काउंटी लाइब्रेरी का है। यहां अमेरिका के मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय की क्लेयर टी कार्नी लाइब्रेरी से 2 किताबें भेजी गईं। इसमें एक किताब जीएम फोर्ड की 'नो मैन्स लैंड' और कैथी पिकेंस की 'हॉग वाइल्ड' शामिल थी। इन किताबों की जांच करके लाइब्रेरी के कर्मचारी भी हैरान रह गए।
लाइब्रेरी के कर्मचारियों को नहीं मिला किताबों का रिकॉर्ड
लाइब्रेरी के कर्मचारी एमी स्पार्जिनस्की ने बताया, "हमारे एक सहायक ने पोस्ट ऑफिस की यात्रा के दौरान देखा कि अमेरिका से एक पैकेट आया है। यह पैकेट मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय में क्लेयर टी कार्नी लाइब्रेरी से आया था, जो दिलचस्प था क्योंकि वे अकादमिक किताबें नहीं थीं।" उन्होंने आगे कहा कि किताबों पर एक नोट भी था, जो दूसरी लाइब्रेरी के कर्मचारियों ने लिखकर भेजा था। उस पर लिखा था कि उनके पास इन किताबों का कोई रिकॉर्ड नहीं है।
किताबों को लेकर ये लगाया गया अनुमान
इस मामले पर लाइब्रेरी के अन्य अधिकारियों ने बताया कि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि किताबों की जांच किसने की थी क्योंकि उन किताबों के रिकॉर्ड नहीं थे और वे लंबे समय से गायब थीं। उन्होंने आगे कहा, "दोनों किताबें अब उनके सिस्टम में सूचीबद्ध नहीं हैं, लेकिन ये किताबें 2005 और 2007 में लाइब्रेरी के संग्रह में आई थीं। हमारा ऐसा अनुमान है कि लगभग 7 साल पहले किसी ने उन किताबों को लिया गया होगा।"
पहले भी सामने आ चुके हैं ऐसे मामले
यह पहला मामला नहीं है, जब किसी ने इतने साल बाद लाइब्रेरी में किताब वापस की हो। इससे पहले अमेरिका के ही वाशिंगटन के एबरडीन में 30 मार्च, 1942 को इशू कराई गई एक किताब 81 साल बाद लाइब्रेरी को लौटाई गई थी। दरअसल, लाइब्रेरी की यह किताब किसी को पुराने सामान में पड़ी मिली थी, जिसके बाद उसने इसे लाइब्रेरी को लौटाने का फैसला किया। हिसाब लागने पर पता चला कि किताब का जुर्माना लगभग 40,000 रुपये बनता है।