नौ साल की उम्र से ही शॉर्ट-पिच गेंदबाजी के लिए तैयार हो रहे थे गिल

युवा भारतीय बल्लेबाज शुभमन गिल ने ऑस्ट्रेलिया में अपना टेस्ट डेब्यू किया और काफी सफल रहे। गिल ने ऑस्ट्रेलियाई पिचों पर मजबूत गेंदबाजी आक्रमण का सामना किया और उन्हें खुद पर हावी होने का मौका नहीं दिया। खास तौर से शॉर्ट-पिच गेंदों पर गिल द्वारा लगाए शॉट्स ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। अब गिल के पिता लखविंदर सिंह ने अपने बेटे की इस सफलता के पीछे का राज बताया है।
शुभमन के पिता ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि नौ साल की उम्र से ही वह अपने बेटे को रोजाना 1,500 शॉर्ट गेंद खिलाते थे। उन्होंने आगे कहा, "उसे तेज गेंदबाजी खेलने का आदी बनाने के लिए मैं चारपाई के ऊपर से गेंद फेंकता था। चारपाई पर सरकने के बाद गेंद स्किड होकर काफी तेज जाती थी। इसके अलावा वह बल्ले की जगह केवल एक स्टंप लेकर भी खेलता था।"
शुभमन के पिता खुद भी क्रिकेटर बनना चाहते थे, लेकिन सुविधाओं की कमी के कारण उनका सपना पूरा नहीं हो सका। उनका घर मोहाली से 300 किलोमीटर दूर पंजाब के एक छोटे से गांव में था। हालांकि, बेटे को क्रिकेटर बनाने का सपना लिए वह परिवार सहित मोहाली में ही आकर बस गए थे। यहां आकर उन्होंने शुभमन को मोहाली क्रिकेट अकादमी में दाखिल कराया था। हालांकि, इसके बाद भी घर पर अलग से ट्रेनिंग चलती थी।
लखविंदर ने यह भी बताया कि शुभमन ने काफी ज्यादा समय मैट की पिच पर बल्लेबाजी करते हुए भी बिताया है। उन्होंने कहा, "मैट की पिच पर गेंद में काफी उछाल आती है जिससे कि आपको लाइन में आने पर मजबूर होना पड़ता है। जिन बल्लेबाजों ने मैट की पिच पर खेला है उनका बैकफुट खेल काफी मजबूत होता है जो उच्च लेवल की क्रिकेट में काफी जरूरी है।"
ऑस्ट्रेलिया दौरे पर शुभमन ने अपनी डेब्यू टेस्ट सीरीज में तीन मैचों में 51.80 की औसत से 259 रन बनाए थे। शुभमन ने तीनो मैचों में अटैकिंग खेल दिखाया और यही कारण है कि वह दौरे पर दूसरे सबसे अधिक स्ट्राइक-रेट रखने वाले बल्लेबाज रहे थे। अंतिम टेस्ट के अंतिम दिन वाली पिच पर गिल ने मिचेल स्टार्क के एक ओवर में 20 रन लेकर दिखाया था कि वह पटकी गेंदों से डरने वाले नहीं हैं।