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अश्विन हासिल कर सकते हैं टेस्ट में 800 विकेट, ल्योन उतने काबिल नहीं- मुरलीधरन

अश्विन हासिल कर सकते हैं टेस्ट में 800 विकेट, ल्योन उतने काबिल नहीं- मुरलीधरन

Jan 14, 2021
07:17 pm

क्या है खबर?

श्रीलंका के महान स्पिनर मुथैया मुरलीधरन का मानना है कि आर अश्विन वर्तमान में सबसे शानदार गेंदबाज हैं और टेस्ट क्रिकेट में 700 से 800 विकेट हासिल कर सकते हैं। इसके अलावा उनका मानना है कि वर्तमान में कोई अन्य स्पिनर इस उपलब्धि तक नहीं पहुंच पाएगा। बता दें मुरलीधरन ने ये बातें पूर्व इंग्लिश कप्तान माइकल वॉन के कॉलम में कही हैं। आइए एक नजर डालते हैं पूरी खबर पर।

क्या आप जानते हैं?

टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक विकेट वाले गेंदबाज हैं मुरलीधरन

श्रीलंकाई दिग्गज मुथैया मुरलीधरन के नाम टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा 800 विकेट हैं। इनके बाद शेन वॉर्न (708) दूसरे और अनिल कुंबले (619) तीसरे सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं।

बयान

नाथन ल्योन भी 800 विकेट नहीं ले पाएंगे- मुरलीधरन

मुरलीधरन का मानना है कि नाथन ल्योन भी इस उपलब्धि तक नहीं पहुंच पाएंगे। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबकि उन्होंने कहा, "अश्विन के पास एक मौका है क्योंकि वह एक महान गेंदबाज है। इसके अलावा, मुझे नहीं लगता कि आने वाला कोई भी युवा गेंदबाज 800 विकेट तक पहुंचेगा। शायद नाथन ल्योन भी ऐसा नहीं कर पाएंगे। वह 400 विकेट के करीब है, लेकिन उन्हें वहां पहुंचने के लिए कई मैच खेलने पड़ेंगे।"

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करियर

ऐसा है अश्विन और ल्योन का टेस्ट करियर

भारतीय स्पिनर आर अश्विन ने अब तक अपने टेस्ट करियर में 74 मैचों में 25.53 की औसत से 377 विकेट लिए हैं। इस बीच उनका पारी में बेस्ट प्रदर्शन 59 रन देकर सात विकेट रहा है। दूसरी तरफ ऑस्ट्रेलियाई स्पिनर नाथन ल्योन ने अब तक 99 टेस्ट खेले हैं और इस दौरान उन्होंने 31.98 की औसत से 396 विकेट लिए हैं। इस बीच उनका पारी में बेस्ट प्रदर्शन 8/50 रहा है।

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बयान

हमारे दौर में बल्लेबाज का विकेट लेना मुश्किल होता था- मुरलीधरन

मुरलीधरन का मानना है कि ज्यादा लिमिटेड ओवर क्रिकेट के कारण बल्लेबाज तकनीकी रूप से उतने सक्षम नहीं बचे हैं। उन्होंने आगे कहा, "टी-20 और वनडे क्रिकेट से सब कुछ बदल गया है। जब मैं खेलता था तब बल्लेबाज तकनीक रूप से मजबूत होते थे और विकेट सपाट रहते थे। अब तो तीन दिन में मैच खत्म हो रहे हैं। मेरे दौर में गेंदबाजों को नतीजे लाने और स्पिन का कमाल दिखाने के लिये अतिरिक्त प्रयास करने पड़ते थे।"

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