मैच विजेता खिलाड़ियों को पहचानना और उन्हें तैयार करना मेरी सबसे बड़ी विरासत- गांगुली
क्या है खबर?
पूर्व भारतीय कप्तान और वर्तमान बोर्ड ऑफ क्रिकेट कंट्रोल इन इंडिया (BCCI) प्रेसीडेंट सौरव गांगुली की लीडरशिप की काफी सराहना होती है।
गांगुली ने मुश्किल समय में भारतीय टीम की कप्तानी संभाली और फिर टीम को काफी निडर बनाया।
उनकी कप्तानी में कई खिलाड़ियों ने अपना डेब्यू किया और लंबे समय तक भारतीय टीम का अहम हिस्सा रहे।
गांगुली ने भी अब कहा है कि ऐसे खिलाड़ियों की पहचान करना ही उनकी सबसे बड़ी विरासत है।
बयान
मैच विजेता खिलाड़ियों की पहचान करना मेरी विरासत- गांगुली
Unacademy के साथ ऑनलाइन लेक्चर के दौरान गांगुली ने कहा कि जो खिलाड़ी मैच विजेता साबित हो सकते हैं उनकी पहचान करना और उन्हें बैक करना उनकी विरासत है।
गांगुली ने आगे कहा, "2011 विश्वकप जीतने वाली टीम में 7-8 खिलाड़ी ऐसे थे जिनका करियर मेरी कप्तानी में ही शुरु हुआ था। सहवाग, धोनी, युवराज, जहीर, हरभजन और नेहरा जैसे खिलाड़ी उनमें शामिल हैं। एक कप्तान के रूप में मैं ये विरासत छोड़कर काफी गर्व महसूस करता हूं।"
भारतीय टीम
दादा ने तैयार की थी युवा खिलाड़ियों की फौज
दादा के कप्तान बनने के बाद युवराज सिंह. हरभजन सिंह और वीरेन्द्र सहवाग जैसे खिलाड़ी नेशनल टीम में अपनी जगह पक्की करने में कामयाब रहे।
ऑफ स्पिनर और निचले क्रम के बल्लेबाज के रूप में इंटरनेशनल करियर शुरु करने वाले सहवाग को गांगुली ने ही ओपनिंग कराया था।
ओपनिंग करने के बाद से सहवाग ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। हरभजन सिंह को भी दादा ने अटैक करने की पूरी आजादी दी थी।
2011 विश्वकप जीत
2011 विश्वकप की जीत में अहम भूमिका निभाने वाले खिलाड़ी
भारत को 2011 विश्वकप जिताने में सबसे अहम भूमिका युवराज सिंह ने निभाई थी। युवराज ने 362 रन बनाने के साथ ही 15 विकेट भी हासिल किए थे और मैन ऑफ द टूर्नामेंट रहे थे।
सहवाग ने आठ मैचों में 380 रन बनाए थे जिसमें बांग्लादेश के खिलाफ खेली 175 रनों की पारी शामिल रही थी।
जहीर खान (21) संयुक्त रूप से सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज रहे थे।
विश्वकप जीत
2011 में धोनी की टीम को जीतते देखकर रोमांचित थे गांगुली
2003 में गांगुली की कप्तानी में भारतीय टीम विश्वकप के फाइनल में पहुंची थी, लेकिन उन्हें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हार झेलनी पड़ी थी।
गांगुली ने 2011 की जीत पर कहा, "मुझे याद है कि मैं वानखेड़े में था और मैं धोनी और उनकी टीम को देखने के लिए कमेंट्री बॉक्स ने नीचे आया था। 2003 में मेरी कप्तानी में टीम को हार मिली थी तो मैं इस बात से खुश था कि धोनी को खिताब जीतने का मौका मिला है।"