पहली बार कोच रवि शास्त्री के साथ विवादों पर बोले सौरव गांगुली, कही ये बड़ी बात
क्या है खबर?
भारतीय क्रिकेट में सौरव गांगुली और रवि शास्त्री के बीच मतभेदों को लेकर कई तरह की खबरें सामने आ चुकी हैं। हालांकि, कभी इन दोनों दिग्गजों ने खुलकर इस बारे में बात नहीं की थी।
लेकिन शुक्रवार को इंडिया टुडे का कार्यक्रम में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के अध्यक्ष सौरव गांगुली ने टीम इंडिया के हेड कोच रवि शास्त्री के साथ विवादों पर खुलकर बात की।
आइये विस्तार से जानते हैं कि गांगुली ने क्या कुछ कहा।
विवाद
मेरे और शास्त्री के बीच कोई विवाद नहीं- गांगुली
इंडिया टुडे कॉनक्लेव में BCCI अध्यक्ष सौरव गांगुली ने रवि शास्त्री के साथ विवाद की खबरों को सिरे से नकार दिया।
गांगुली से जब पूछा गया कि आपके और शास्त्री के बीच विवाद को लेकर कई तरह की अफवाहें हैं, तो इसके जवाब में उन्होंने कहा, "इसलिए इन्हे अफवाहें कहा जाता है। आप अच्छा करेंगे तो आप अपनी जगह बने रहेंगे और अगर अच्छा नहीं करेंगे तो आपकी जगह कोई और आएगा। मैं खेलता था तब भी यही चीज़ें थीं।"
समर्थन
विराट, रवि को जिस चीज़ की ज़रूरत है, वो उन्हें मिलेगी- गांगुली
गांगुली ने आगे कोहली का उदाहरण देते हुए कहा, "ज़िंदगी सिर्फ प्रदर्शन करने की बात है और इसे कोई रिप्लेस नहीं कर सकता। विराट इस बात के बेहतरीन उदाहरण हैं। उन्होंने मैदान के अंदर और बाहर जिस तरह से अपने आप को संभाला है वो शानदार है।"
उन्होंने आगे कहा, "कोहली को सफल होने के लिए जो समर्थन चाहिए, वो उन्हें मिलेगा। विराट, रवि को जिस चीज़ की ज़रूरत है, वो उन्हें मिलेगी। हमें अंत में सिर्फ अच्छा प्रदर्शन चाहिए।"
हितों का टकराव
हितों के टकराव का मुद्दा सिर्फ प्रशासकों पर लागू होना चाहिए- गांगुली
इसके साथ ही गांगुली ने हितों के टकराव के मुद्दे पर दोबारा विचार करने की बात कही। उन्होंने कहा कि इसके कारण ही पूर्व क्रिकेटर बोर्ड में नहीं आ पा रहे हैं।
BCCI अध्यक्ष ने कहा, "मैं हितों के टकराव के मुद्दों के कारण पूर्व खिलाड़ियों को बोर्ड में नहीं ला पा रहा हूं। सचिन जैसे खिलाड़ी को भी छोड़कर जाना पड़ा। इसे प्रैक्टिकल होना होगा। यह सिर्फ प्रशासकों पर लागू होना चाहिए और क्रिकेटरों को इससे राहत मिलनी चाहिए।"
लेखक के विचार
हितों के टकराव के कारण भारतीय क्रिकेट को हुआ है भारी नुकसान
हमारा मानना है कि हितों के टकराव के कारण भारतीय क्रिकेट को भारी नुकसान हुआ है। BCCI अध्यक्ष सौरव गांगुली भी इसका सामना कर चुके हैं।
उदाहरण के लिए CAC को ही ले लीजिए, जब सचिन, गांगुली और लक्ष्मण CAC में थे, तो इन्हें हितों के टकराव के कारण इसे छोड़ना पड़ा। जबकि BCCI को इसके लिए कोई भुगतान भी नहीं करना पड़ता है।
इसी कारण कपिल देव, शांता रंगास्वामी और अंशुमन गायकवड़ को भी CAC से हटना पड़ा था।