राष्ट्रीय खेल दिवस 2024: क्या है इसका महत्व, इतिहास और इसे क्यों मनाया जाता है?
भारत में 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है। यह दिन खिलाड़ियों और टीमों के सम्मान के लिए होता है। वैश्विक मंच पर देश को गौरवान्वित करने वाले चैंपियन खिलाड़ियों के लिए यह दिन समर्पित किया जाता है। पहला राष्ट्रीय खेल दिवस साल 2012 में मनाया गया था। इस बीच आइए इसका महत्व और इसके इतिहास पर एक नजर डाल लेते हैं।
क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय खेल दिवस?
राष्ट्रीय खेल दिवस हॉकी के पूर्व दिग्गज खिलाड़ी मेजर ध्यान चंद की जयंती पर मनाया जाता है। 29 अगस्त को ही उनका जन्म हुआ था। वह साल 1928, 1932 और 1936 ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य रहे थे। उन्होंने साल 1926 से 1949 तक भारतीय हॉकी टीम के लिए खेले और 570 गोल दागे थे। ध्यानचंद 'दद्दा' के नाम से मशहूर थे। उनके शानदार खेल की पूरी दुनिया दिवानी थी।
क्या है राष्ट्रीय खेल दिवस का उद्देश्य?
राष्ट्रीय खेल दिवस का उद्देश्य खेलों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। भारत सरकार उस दिन विभिन्न कार्यक्रम और सेमिनार आयोजित करती है और खेलों के मूल्यों (जैसे- अनुशासन, दृढ़ता, खेल भावना और टीम वर्क) के बारे में लोगों को बताती है। उन्हें खेलों को अपनाने और उसे अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाता है। इसके साथ ही लोगों को स्वस्थ रखने में खेलों की भूमिका पर भी जोर दिया जाता है।
भारत में दिए जाते हैं 6 राष्ट्रीय खेल पुरस्कार
खेल के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए राष्ट्रीय खेल पुरस्कार भी दिए जाते हैं। जिसमें खिलाड़ियों, कोचों या संगठनों को 6 अलग-अलग पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता है। ये पुरस्कार मेजर ध्यान चंद खेल रत्न पुरस्कार या खेल रत्न पुरस्कार, अर्जुन पुरस्कार, द्रोणाचार्य पुरस्कार, मेजर ध्यान चंद पुरस्कार, मौलाना अबुल कलाम आजाद ट्रॉफी (माका ट्रॉफी) और राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार हैं। राष्ट्रीय खेल दिवस के दिन ही खेलो इंडिया की भी शुरुआत की गई थी।
खेल रत्न पुरस्कार के बारे में जानिए
पहले खेल रत्न पुरस्कार राजीव गांधी के नाम पर दिया जाता था। साल 2021 में इसे बदलकर ध्यान चंद के नाम पर रख दिया गया। यह खेल की दुनिया में भारत का सबसे बड़ा सम्मान है। इसकी शुरुआत 1992 में हुई थी। शुरुआत में खिलाड़ियों को 1 लाख रूपये मिलते थे। 2000 में इसे बढ़ाकर 3 लाख रूपये, 2002 में 5 लाख रूपये, 2009 में 7.5 लाख और 2020 में 25 लाख रूपये किया गया था।