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राष्ट्रीय खेल दिवस 2024: भारत के वो दिग्गज खिलाड़ी जिन्होंने अपने खेलों को दिलाई पहचान 
नीरज चोपड़ा के चलते भारत में लोकप्रिय हुआ है भाला फेंक (फाइल तस्वीर: एक्स/@Neeraj_chopra1)

राष्ट्रीय खेल दिवस 2024: भारत के वो दिग्गज खिलाड़ी जिन्होंने अपने खेलों को दिलाई पहचान 

Aug 21, 2024
03:47 pm

क्या है खबर?

हाल ही में सम्पन्न हुए पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत ने कुल 6 पदक जीते। इनमें नीरज चोपड़ा भी शामिल रहे, जिन्होंने भाला फेंक में रजत पदक अपने नाम किया। पिछले कुछ सालों में नीरज ने भाला फेंक में भारत का झंडा बुलंद किया है। भारत में 29 अगस्त को खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर भारत के उन खिलाड़ियों के बारे में जानते हैं, जिन्होंने खेलों को अलग पहचान दिलाई है।

#1 

नीरज चोपड़ा (भाला फेंक)

नीरज ने टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा था। भले ही वह पेरिस खेलों में अपनी स्वर्णिम सफलता को दोहराने में असफल रहे हों, लेकिन उन्होंने भाला फेंक को भारत में नई पहचान दिलाई है। वह विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप सहित दुनिया के तमाम प्रतियोगिताओं में शीर्ष पर रहे हैं। वह इस समय भारत के ही नहीं बल्कि दुनिया के शीर्ष भाला फेंक खिलाड़ियों में शुमार हैं। उनकी सफलता के चलते ही भारत में यह खेल लोकप्रिय हुआ है।

#2 

प्रकाश पादुकोण (बैडमिंटन)

पिछले कुछ सालों में भारत के बैडमिंटन खिलाड़ियों ने विश्व भर में कमाल किया है। इस खेल में प्रकाश पादुकोण को भारत का पहला सुपरस्टार कहा जा सकता है। 1980 में वह पुरुष एकल ऑल इंग्लैंड चैम्पियनशिप जीतने वाले पहले भारतीय बने थे। इस ऐतिहासिक जीत के बाद उन्होंने शीर्ष रैंक हासिल की थी और वह ये उपलब्धि हासिल करने वाले पहले भारतीय बने थे। उन्होंने 1971-1979 (सबसे अधिक) तक कुल 9 बार राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीती थी।

#3 

मेजर ध्यान चंद (हॉकी)

हॉकी खेल की चर्चा हो और मेजर ध्यान चंद का नाम न आए, ऐसा संभव नहीं है। उन्हें 'हॉकी का जादुगर' के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने 1928, 1932 और 1936 में हुए ओलंपिक खेलों में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया और तीनों संस्करणों में देश की झोली में स्वर्ण पदक आए थे। उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में 550 से अधिक गोल किए थे। उनकी जन्मतिथि (29 अगस्त) के अवसर पर ही 'राष्ट्रीय खेल दिवस' मनाया जाता है।

#4 

लिएंडर पेस (टेनिस)

हॉकी को लेकर काफी जोश में रहने वाले देश को टेनिस में रुचि दिलाने का काम लिएंडर पेस ने किया। 1996 अटलांटा ओलंपिक में पेस ने सेमीफाइनल में जगह बनाई थी और वहां उन्हें आंद्रे अगासी के खिलाफ हार झेलनी पड़ी थी। पेस द्वारा जीता गया कांस्य पदक भारत का पहला और इकलौता ओलंपिक पदक है जो टेनिस से आया है। पेस ने कुल 18 ग्रैंड स्लैम (मिश्रित युगल में 10 और पुरुष युगल में 8) अपने नाम किए हैं।

#5 

मैरी कॉम (मुक्केबाजी)

भारतीय मुक्केबाजी में सबसे बड़ा नाम एमसी मैरी कॉम का रहा है। उन्होंने विश्व चैंपियनशिप में 6 स्वर्ण सहित कुल 8 पदक जीते हुए हैं। उन्होंने लंदन में खेले गए 2012 ओलंपिक में 51 किग्रा भारवर्ग में प्रतिस्पर्धा करते हुए कांस्य पदक पर कब्जा जमाया था। वह ओलंपिक में पदक जीतने वाली विजेंदर सिंह के बाद सिर्फ दूसरी भारतीय मुक्केबाज बनीं थी। वह एशियाई खेलों का खिताब जीतने वाली पहली भारतीय महिला मुक्केबाज बनीं थी।