'हॉकी के जादूगर' मेजर ध्यानचंद की बायोपिक का हुआ ऐलान, अभिषेक चौबे करेंगे निर्देशन
पिछले काफी समय से हॉकी के किंग मेजर ध्यानचंद की बायोपिक को लेकर चर्चा चल रही है, लेकिन बात कभी आगे बढ़ ही नहीं पाती थी। हालांकि, अब खबर आई है कि मशहूर फिल्मकार अभिषेक चौबे अब भारतीय हॉकी खिलाड़ी की जिंदगी को पर्दे पर उतारने जा रहे हैं। 2020 खत्म होने से पहले ही इस फिल्म का आधिकारिक तौर पर ऐलान भी कर दिया गया है। जिससे फिल्म के लिए उत्सुकता भी बढ़ गई है।
फिल्म को लेकर हुआ आधिकारिक ऐलान
अभिषेक चौबे के निर्देशन में बनने वाली इस बायोपिक को रॉनी स्क्रूवाला की कंपनी RSVP द्वारा प्रोड्यूस किया जाएगा। उन्होंने ही ट्विटर पर इसका ऐलान किया है। जिसमें लिखा है, '1500+ गोल, 3 ओलंपिक गोल्ड मेडल और भारत के गर्व की कहानी। हमें अभिषेक चौबे के साथ भारतीय हॉकी के जादूगर ध्यानचंद की बायोपिक का ऐलान करते हुए बेहद खुशी हो रही है।' रॉनी के अलावा प्रेमनाथ राजगोपालन भी इस फिल्म के साथ निर्माता के तौर पर जुड़े हैं।
देखिए फिल्म का आधिकारिक ऐलान
अभिषेक लंबे वक्त से ध्यानचंद की बायोपिक बनाने की कर रहे हैं कोशिश
गौरतलब है अभिषेक ने तीन-चार साल पहले भी इस बायोपिक को बनाने की अपनी इच्छा जाहिर की थी। इसके बाद उन्होंने इस साल की शुरुआत में भी इस पर बात की थी। फिलहाल वह इस फिल्म के लिए कोई शीर्षक तय नहीं कर पाए हैं। बता दें इससे पहले वह 'इश्किया', 'उड़ता पंजाब' और 'सोनचिड़िया' जैसी फिल्मों का निर्देशन भी कर चुके हैं। जबकि उन्होंने 'ओमकारा' और 'कमीने' जैसी बेहतरीन फिल्मों की कहानी भी लिखी है।
2022 में रिलीज होगी फिल्म
फिल्म की स्टार कास्ट पर बात करें तो अभिषेक चाहते हैं कि इस भूमिका को इंडस्ट्री का कोई बड़ा कलाकार निभाए। इसके अलावा फिल्म में और कुछ अहम किरदार हैं, इनके लिए भी उन्हें मशहूर सितारों की ही तलाश है। ऐसे में अब तक कुछ भी तय नहीं हो पाया है। उन्होंने यह कंफर्म कर दिया है कि फिल्म की शूटिंग 2021 में शुरू हो जाएगी। इसके अलावा वह इसे 2022 में रिलीज करने की योजना बना चुके हैं।
जानिए कौन थे मेजर ध्यानचंद
1905 में प्रयागराज में जन्में मेजर ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहते हैं। 1928 में वह एम्टर्डम ओलंपिक में सबसे ज्यादा गोल करने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने थे। उन्होंने 1932 और 1936 के ओलंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया था। खास बात यह है कि तीनों ही बार वह गोल्ड मेडल जीतने में सफल रहे। बर्लिन ओलंपिक के बाद हिटलर ने उन्हें जर्मन फौज में बड़े पद का ऑफर दिया था, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया था।