IPL: मुंबई से दिल्ली पहुंचे मयंक मार्कंडेय, ट्रेड-विंडो के तहत इस खिलाड़ी के साथ हुई अदला-बदली
इंडियन प्रीमियर लीग के अगले सीज़न के लिए टीमों ने अभी से तैयारी शुरु कर दी है। इसी तैयारी के तहत मौजूदा चैंपियन मुंबई इंडियंस ने लेग स्पिनर मयंक मार्कंडेय को दिल्ली कैपिटल्स को सौंप दिया है। दरअसल, मुंबई ने ट्रांस्फर विंडो का इस्तेमाल करते हुए मार्कंडेय को दिल्ली को देकर ऑलराउंडर शरफेन रदरफोर्ड को अपनी टीम में शामिल कर लिया। बता दें कि नियम के मुताबिक नवंबर तक टीमें ट्रांस्फर विंडो के तहत खिलाड़ियों की अदला-बदली कर सकती हैं।
मयंक को रिलीज करना कठिन फैसला- आकाश अंबानी
रदरफोर्ड से मयंक की अदला-बदली पर मुंबई इंडियंस के मालिक आकाश अंबानी ने कहा, "हम मयंक को भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हैं। वह प्रतिभावान खिलाड़ी हैं। हम भाग्यशाली हैं कि हम उन्हें युवा अवस्था में ही पहचानने और तैयार करने में सफल रहे।" उन्होंने आगे कहा, "हमारे लिए यह कठिन फैसला है, लेकिन हमें मयंक को रिलीज़ करना पड़ रहा है। हम चाहते हैं कि वह भविष्य में और आगे जाए। वह हमेशा मुंबई इंडियंस परिवार का हिस्सा रहेंगे।"
IPL 2019 में खराब रहा था मयंक मार्कंडेय का प्रदर्शन
IPL 2019 में मयंक मार्कंडेय अपनी छाप नहीं छोड़ सके थे। हालांकि, उन्हें सिर्फ तीन मैचों में ही मौका मिला। लेकिन तीन मैचों में उनका प्रदर्शन काफी खराब रहा। मुंबई के लिए पिछले सीज़न में मयंक तीन मैचों में सिर्फ एक विकेट ही ले सके। वहीं IPL 2018 में मयंक ने 24.53 की औसत से 15 विकेट अपने नाम किए थे। हालांकि, इस सीज़न के बाद यह साफ हो गया था कि मुंबई अब मयंक को ज़्यादा मौके नहीं देगी।
CPL में शानदार रहा था शरफेन रदरफोर्ड का प्रदर्शन
CPL और वेस्टइंडीज के लिए घरेलू टी-20 में शानदार प्रदर्शन के कारण ही दिल्ली ने रदरफोर्ड को 2 करोड़ रुपये में खरीदा था। रदरफोर्ड विस्फोटक बल्लेबाज़ी के साथ-साथ मध्यम गति से गेंदबाज़ी भी कर सकते हैं। हालांकि, दिल्ली के लिए IPL के पिछले सीज़न में उनका प्रदर्शन निराशजनक रहा था। रदरफोर्ड ने दिल्ली के लिए सात मैचों में सिर्फ 73 रन बनाए थे। लेकिन RCB के खिलाफ उन्होंने 13 गेंदो में 28 रनों की एक शानदार पारी खेली थी।
क्या मुंबई ने लिया सही फैसला?
मुंबई इंडियंस के लिए पिछले सीज़न में राहुल चहर ने शानदार प्रदर्शन किया था। चहर के कारण ही मयंक मार्कंडेय को ज़्यादा मौके नहीं मिले थे। चहर के बावजूद भी मुंबई के पास दो भारतीय स्पिनर हैं। ऐसे में मुंबई का यह फैसला सही मालूम पड़ता है। हालांकि, मुंबई ने एक भारतीय खिलाड़ी को देकर विदेशी खिलाड़ी को टीम में शामिल किया है। यह फैसला ज़रूर गलत लग रहा है। क्योंकि टीम में सिर्फ चार विदेशी ही खेल सकते हैं।