हॉकी विश्व कप: गोलकीपर श्रीजेश के लिए पिता को बेचनी पड़ी थी गाय, जानिए उनकी कहानी
क्या है खबर?
ओडिशा में चल रहे पुरुष हॉकी विश्व कप में भारतीय टीम का शानदार प्रदर्शन जारी है। पहले मैच में टीम ने स्पेन को मात दी और दूसरे मुकाबले में मजबूत इंग्लैंड के खिलाफ ड्रॉ खेला।
टीम के गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने दोनों मुकाबलों में मिले मौकों पर अच्छा प्रदर्शन किया।
इस खिलाड़ी का भारतीय टीम तक पहुंचने का सफर आसान नहीं रहा है। उनके पिता को अपनी गाय तक बेचनी पड़ी थी।
आइए उनकी कहानी पर एक नजर डालते हैं।
ओलंपिक
श्रीजेश के पिता को क्यों बेचनी पड़ी थी गाय?
टोक्यो ओलंपिक में देश का परचम बुलंद करने के बाद एक इंटरव्यू में श्रीजेश ने कहा था, "शुरुआत में हमारे घर काफी तंगहाली थी। बचपन में मैं थोड़ा शरारती था। इस वजह से पापा से बहुत मार पड़ती थी। जिस दिन मेरा चयन हुआ तो पापा को मैंने बताया कि मुझे गोलकीपर बनना है, लेकिन इसके पैड काफी महंगे आते थे। मैं किसान परिवार से आता हूं। हमारे पास पैसे नहीं थे तो पिताजी ने गाय बेच दी थी।"
श्रीजेश
करियर खत्म होने से बचा था
साल 2017 के अजलान शाह हॉकी टूर्नामेंट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच के दौरान एक खिलाड़ी से टकरा जाने पर उनका दाहिना घुटना चोटिल हो गया था।
इस चोट के बाद यह माना गया कि उनका करियर खत्म हो गया है, लेकिन उन्होंने फिट होने के लिए जबरदस्त मेहनत की।
चोट से उबरने के बाद उन्होंने कहा था कि मैंने जिंदगी में दूसरी बार चलना सीखा है। उस समय टीम के रोलेंट ओल्टमस भी इस चोट से घबरा गए थे।
दक्षिण एशियाई खेल
श्रीजेश ने 2006 में भारत के लिए किया था डेब्यू
श्रीजेश ने साल 2006 में दक्षिण एशियाई खेलों के दौरान डेब्यू किया था। 2008 के जूनियर एशिया कप में भारत की जीत के बाद वह सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर बने थे।
छह साल तक वह भारतीय टीम का हिस्सा तो रहे, लेकिन उन्हें ज्यादा मौके नहीं मिले।
एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी में दो पेनल्टी स्ट्रोक बचाने के बाद वह 2011 से भारतीय टीम के नियमित सदस्य हैं। 2013 के एशिया कप में उन्हें सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर चुना गया था। भारत दूसरे स्थान पर था।
अवार्ड
इन अवार्ड से सम्मानित हो चुके हैं श्रीजेश
रियो में खेले गए 2016 ओलंपिक में टीम क्वार्टर फाइनल तक पहुंची थी। श्रीजेश ने भारतीय टीम का नेतृत्व किया था।
2021 में खेले गए टोक्यो ओलंपिक में उन्होंने 41 साल बाद भारत के लिए पदक हासिल करने के लिए जर्मनी को हराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उन्हें 2015 में अर्जुन अवार्ड और 2017 में पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। 2021 में उन्हें भारत के सबसे बड़े खेल अवार्ड मेजर ध्यानचंद खेल रत्न से भी नवाजा गया।