बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी: भारत में खेले गए 4 सबसे छोटे पूर्ण टेस्ट मैचों के बारे में जानिए
क्या है खबर?
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेली जा रही बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहे हैं। सीरीज में अब तक खेले गए तीनों टेस्ट मैच तीन दिनों के भीतर ही खत्म हो गए थे।
इस बीच इंदौर टेस्ट मैच देश में आयोजित चौथा सबसे छोटा टेस्ट मैच था। इंदौर में खेले गए मैच ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम 9 विकेट की जीत दर्ज की थी।
आइए भारत में खेले गए 4 सबसे छोटे टेस्ट मैचों के बारे में जानते हैं।
#1
भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया, इंदौर टेस्ट (2023)
होल्कर स्टेडियम में हाल ही में समाप्त हुए टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने मौजूदा सीरीज में अपनी पहली जीत दर्ज करते हुए वापसी की थी।
इस मैच में कुल 1,135 गेंदें ही फेंकी गईं, जिससे यह भारत में आयोजित चौथा सबसे छोटा पूर्ण टेस्ट मैच बन गया था।
यह एक ऐसी पिच थी, जहां स्पिनर आश्चर्यजनक रूप से प्रभावी थे। कंगारू स्पिनर नाथन लियोन ने मैच में धमाकेदार प्रदर्शन करते हुए 11 विकेट हासिल किए थे।
#2
भारत बनाम अफगानिस्तान, चेन्नई टेस्ट (2018)
2018 में भारत-अफगानिस्तान के बीच चेन्नई में खेला गया टेस्ट मैच दो दिन में खत्म हो गया था।
उस मैच में कुल 1,028 गेंदें फेंकी गई थी, जिससे यह भारत में तीसरा सबसे छोटा टेस्ट बन गया था।
मुरली विजय (105) और शिखर धवन (107) के शतकों की बदौलत भारत ने पहली पारी में 474 रन बनाए थे।
रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा की गेंदबाजी के चलते अफगानिस्तान दोनों पारियों में क्रमश: 109 और 103 रन ही बना सका था।
#3
भारत बनाम बांग्लादेश, कोलकाता टेस्ट (2019)
2019 में भारत का पहला पिंक बॉल टेस्ट बांग्लादेश क्रिकेट टीम के खिलाफ ईडन गार्डन्स में केवल 968 गेंदों तक चला था।
भारतीय क्रिकेट टीम ने बांग्लादेश को पहली पारी में 106 रन समेटने के बाद 347/9 रन बनाकर पारी घोषित की थी। उस मैच में विराट कोहली (136) ने शानदार शतक लगाया था।
दूसरी पारी में बांग्लादेश जैसे-तैसे 195 रन बनाने में सफल रहा। उस मैच में भारत ने एक पारी और 46 रनों से जीत दर्ज की थी।
#4
भारत बनाम इंग्लैंड, अहमदाबाद टेस्ट (2021)
2021 में इंग्लैंड के खिलाफ मोटेरा टेस्ट ने भारतीय पिचों को कटघरे में खड़ा कर दिया था। इसकी वजह थी कि मेहमान टीम दूसरी पारी में एक सत्र में ही ढेर हो गई थी।
भारत (145, 49/0) ने उस टेस्ट को दो दिनों में जीत लिया था, जिसकी बड़े पैमाने पर आलोचना हुई थी।
इंग्लैंड दोनों पारियों में केवल 112 और 81 रन ही बना सका, जिससे यह 1935 के बाद से सबसे छोटा (842 गेंदों) पूर्ण टेस्ट बन गया।