एक्सिओम-4 मिशन में कौन-कौन से वैज्ञानिक परीक्षण करेंगे ISRO और ESA के अंतरिक्ष यात्री?
क्या है खबर?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और नासा इस साल एक्सिओम-4 मिशन को लॉन्च करने वाले हैं।
इस मिशन में 4 अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं, जिनमें ISRO के गगनयात्री शुभांशु शुक्ला भी हैं। अमेरिका की अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसन इस मिशन का नेतृत्व करेंगी, जबकि पोलैंड और हंगरी से भी अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं।
ISRO के साथ मिलकर यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) भी इस मिशन में वैज्ञानिक अनुसंधान, जैविक प्रयोग और नई तकनीकों का परीक्षण करेगी।
प्रोटीन अनुसंधान
सायनोबैक्टीरिया और प्रोटीन अनुसंधान
अंतरिक्ष यात्री इस मिशन में सायनोबैक्टीरिया पर शोध करेंगे, जो प्रकाश संश्लेषण से ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है।
वैज्ञानिक यह समझना चाहते हैं कि भारहीनता में इन जीवों का व्यवहार कैसा होता है और उनका प्रोटीन उत्पादन किस तरह प्रभावित होता है। यह शोध भविष्य में अंतरिक्ष में भोजन और ऑक्सीजन उत्पादन की संभावनाओं को समझने में मदद करेगा।
पृथ्वी पर भी यह अध्ययन बायोटेक्नोलॉजी, चिकित्सा क्षेत्र और अंतरिक्ष में लंबे मिशनों के लिए भी उपयोगी हो सकता है।
खेती
अंतरिक्ष में खेती और फसलों पर प्रभाव
ISRO और ESA सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में फसलों के विकास पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करेंगे।
भारतीय वैज्ञानिकों और कृषि विशेषज्ञों की एक टीम इस शोध में शामिल होगी, जो अंतरिक्ष में खेती की संभावनाओं को समझने की कोशिश करेगी। इससे भविष्य में चंद्रमा और मंगल ग्रह पर कृषि की संभावनाओं को परखा जा सकेगा।
इस प्रयोग में देखा जाएगा कि भारहीनता में फसलें कितनी तेजी से बढ़ती हैं और उनके पोषक तत्वों पर क्या प्रभाव पड़ता है।
योजनाएं
भविष्य की योजनाएं
ISRO अंतरिक्ष तक वैज्ञानिकों की पहुंच बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों को मजबूत कर रहा है। भारत ने अब तक 61 देशों और 5 बहुपक्षीय निकायों के साथ समझौते किए हैं।
गगनयान मिशन के जरिए ISRO वैज्ञानिकों को भारहीनता में प्रयोग करने के अवसर देना चाहता है। इन प्रयोगों से अंतरिक्ष में मानव मिशनों के लिए बेहतर वैज्ञानिक डाटा मिलेगा।
ISRO वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित कर रहा है कि वे ऐसे प्रयोग प्रस्तावित करें, जिनमें अंतरिक्ष यात्रियों की भूमिका जरूरी हो।