2024 में कौन-कौन से खास अंतरिक्ष मिशन लॉन्च हुए? जानिए यहां
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) समेत दुनिया की कई अन्य अंतरिक्ष एजेंसियां ब्रह्मांड के रहस्यों को सुलझाने के लिए नए-नए अंतरिक्ष मिशन लॉन्च कर रही हैं। अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए साल 2024 काफी खास रहा, जिसमें यूरोपा क्लिपर और प्रोबा-3 समेत अनेकों अंतरिक्ष मिशन लॉन्च किए गए, जिसमें से कई सफलतापूर्वक लक्ष्य पर पहुंचकर जरूरी जानकारी दे भी रहे हैं। आइए जानते हैं इस साल लॉन्च हुए कुछ बड़े अंतरिक्ष मिशनों के बारे में-
पेरेग्रीन-1 मिशन जनवरी में हुआ था
पेरेग्रीन-1 मिशन एस्ट्रोबोटिक कंपनी द्वारा जनवरी, 2024 में लॉन्च किया गया था, जिसका उद्देश्य चंद्रमा पर डाटा और वैज्ञानिक जानकारी भेजना था। यह नासा के कॉमर्सियल लूनर पेलोड सर्विसेज (CLPS) कार्यक्रम का हिस्सा था और चंद्रमा पर पेलोड्स डिलीवर करने के लिए डिजाइन किया गया था। मिशन को वैज्ञानिक उपकरणों को चंद्रमा की सतह पर स्थापित कर वहां से महत्वपूर्ण डाटा एकत्र करने के लिए भेजा गया था। हालांकि, इस मिशन इसकी लैंडिंग योजना के अनुसार नहीं हो सकी।
नोवा-C मिशन CLPS कार्यक्रम के तहत हुआ लॉन्च
नोवा-C मिशन को फरवरी, 2024 में इंट्यूएटिव मशीन्स ने नासा के CLPS कार्यक्रम के तहत लॉन्च किया। इसका उद्देश्य चंद्रमा पर पेलोड्स भेजना और वहां के पर्यावरण तथा सतह की जानकारी जुटाना था। इसे स्पेस-X के फाल्कन 9 रॉकेट से लॉन्च किया गया। नोवा-C लैंडर ने वैज्ञानिक उपकरणों को चंद्रमा पर स्थापित किया, जिससे चंद्रमा के वातावरण और सतह के बारे में महत्वपूर्ण डाटा प्राप्त किया गया। यह मिशन चंद्र अनुसंधान में मदद करने के लिए अहम था।
SLIM मिशन से मिली कई महत्वपूर्ण जानकारियां
स्मार्ट लैंडर फॉर इंवेस्टिगेटिंग मून (SLIM) जापान का एक चंद्र लैंडिंग मिशन था, जिसे JAXA ने जनवरी, 2024 में लॉन्च किया। इसका उद्देश्य चंद्रमा पर सटीक लैंडिंग तकनीक का परीक्षण करना था। इस मिशन के जरिए JAXA ने चंद्रमा पर उच्च सटीकता के साथ उपकरणों को उतारने की क्षमता का प्रदर्शन किया। यह तकनीक भविष्य के मिशनों के लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकती है। SLIM ने चंद्रमा के खोज में नई संभावनाओं के द्वार खोले।
तियानलोंग-3 रॉकेट से सैटेलाइट्स की स्थापना
तियानलोंग-3 एक चीनी रॉकेट था, जिसे स्पेस पियोनीर ने मई, 2024 में लॉन्च किया। इस मिशन का उद्देश्य सैटेलाइट्स को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करना था। तियानलोंग-3 को चीन की कॉमर्सियल अंतरिक्ष क्षमता को बढ़ाने और निजी अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करने के लिए विकसित किया गया था। इस लॉन्च ने चीन के कॉमर्सियल अंतरिक्ष उद्योग के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिससे कम लागत और अधिक कुशल तकनीकों को बढ़ावा मिला।
चांग-ई 6 मिशन से मिली चंद्रमा की अहम जानकारियां
चांग-ई 6 चीन का चंद्र मिशन था, जिसे मई, 2024 में लॉन्च किया गया। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा के दूरस्थ क्षेत्रों से नमूने लाकर उनका अध्ययन करना था। यह चीन के चंद्र शोध कार्यक्रम का हिस्सा था और चंद्रमा की भूगर्भीय प्रक्रियाओं को समझने में अहम भूमिका निभाता था। इस मिशन से प्राप्त नमूनों ने चंद्रमा के निर्माण, उसकी सतह की संरचना और उसके विकास के बारे में नई जानकारी दी। यह वैज्ञानिक अनुसंधान में अहम साबित हुआ।
यूरोपा क्लिपर मिशन भी इस साल हुआ लॉन्च
यूरोपा क्लिपर मिशन को नासा ने अक्टूबर, 2024 में लॉन्च किया। इसका मुख्य उद्देश्य बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा का अध्ययन करना है, खासकर उसकी बर्फीली सतह के नीचे छिपे महासागर की जांच के लिए। यह मिशन जीवन के संभावित संकेतों की तलाश करेगा और सतह के नीचे स्थित पानी के महासागर की संरचना और उसकी रासायनिक विशेषताओं को समझने में मदद करेगा। यूरोपा क्लिपर जीवन की संभावनाओं और सौरमंडल में अनोखी जगहों के अध्ययन में अहम साबित होगा।
पोलारिस डॉन मिशन के तहत हुआ पहला कॉमर्सियल स्पेसवॉक
पोलारिस डॉन मिशन स्पेस-X द्वारा सितंबर, 2024 को लॉन्च किया गया एक मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन था। इसका उद्देश्य अंतरिक्ष खोज के नए तरीकों का परीक्षण करना था। इसमें स्पेस-X ड्रैगन कैप्सूल का उपयोग किया गया और मिशन के दौरान पहली कॉमर्सियल स्पेसवॉक (EVA) को अंजाम दिया गया। चालक दल ने पृथ्वी की निचली कक्षा में वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीकी परीक्षण किए। यह मिशन गहरे अंतरिक्ष खोज और भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए मील का पत्थर साबित हुआ।
प्रोबा-3 मिशन हुआ लॉन्च
ISRO ने 5 दिसंबर, 2024 को PSLV-C59 रॉकेट से ESA का प्रोबा-3 मिशन लॉन्च किया। इस मिशन में 2 सैटेलाइट्स (कोरोनाग्राफ और ऑकल्टर) सूर्य के कोरोना (सूर्य की बाहरी परत) का अध्ययन करेंगे। ऑकल्टर सैटेलाइट सूर्य की चमक को ब्लॉक करके नकली सूर्य ग्रहण बनाएगा, जबकि कोरोनाग्राफ इसका निरीक्षण करेगा। यह मिशन सूर्य के कोरोना की संरचना और सौर हवा की गति को समझने में मदद करेगा, जो पृथ्वी पर संचार प्रणालियों को प्रभावित कर सकती है।