गगनयान मिशन पर जाने वाले एस्ट्रोनॉट्स को रूस में क्या ट्रेनिंग दी जाएगी?
भारत के 'गगनयान मिशन' पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। यह भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन होगा। इस मिशन पर भेजे जाने के लिए एयरफोर्स के चार पायलटों का चयन किया गया है। अब इन्हें बेसिक ट्रेनिंग के लिए रूस भेजा गया है। रूस में ये पायलट वहां की स्पेस एजेंसी ग्लावकॉस्मोस और यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट्स ट्रेनिंग सेंटर (GCTC) में ट्रेनिंग लेंगे। आइये, इससे जुड़ी बातें विस्तार से जानते हैं।
सबसे पहले जानिये गगनयान मिशन के बारे में
गगनयान मिशन के तहत तीन एस्ट्रोनॉट्स को सात दिनों के लिए अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी चल रही है। हालांकि, इस पर कितने लोगों को कितने दिनों के लिए भेजा जाता है, इस पर अंतिम निर्णय टेस्ट फ्लाइट के बाद लिया जाएगा। इन एस्ट्रोनॉट्स को लॉ अर्थ ऑरबिट में भेजा जायेगा। यह धरती से 2,00 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित है और अधिकतर सैटेलाइट इसी ऑरबिट में भेजे जाते हैं। मिशन पर 10,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
सोमवार से शुरू हुई पायलटों की ट्रेनिंग
गगनयान मिशन के लिए जिन चार पायलटों का चयन किया गया, उनकी पहचान अभी तक उजागर नहीं की गई है। इन चारों की सोमवार से GCTC में ट्रेनिंग शुरू हो गई है। इनकी ट्रेनिंग को लेकर GCTC, ग्लावकॉस्मोस और ISRO के बीच समझौता हुआ है।
ट्रेनिंग में पायलटों को क्या सिखाया जाएगा?
ये चारों पायलट एक साल तक रूस में रहकर ट्रेनिंग लेंगे और खुद को अंतरिक्ष के माहौल में रहने के लिए तैयार करेंगे। यहां इन्हें नियमित शारीरिक अभ्यास के साथ बायोमेडिकल की ट्रेनिंग मिलेगी। इन्हें बताया जाएगा कि अंतरिक्ष में इनके शरीर में किस तरह के बदलाव हो सकते हैं और इन्हें उनसे कैसे निपटना है। साथ ही इन्हें इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तक एस्ट्रोनॉट्स को ले जाने वाले सोयुज स्पेसक्राफ्ट के सिस्टम के बारे में भी विस्तार से बताया जाएगा।
विशेष रूप से तैयार किए गए स्पेसक्राफ्ट में दी जाएगी ट्रेनिंग
ट्रेनिंग के दौरान इन पायलटों को विशेष तौर पर तैयार किए गए एयरक्राफ्ट में भारहीनता का भी अभ्यास कराया जायेगा। अंतरिक्ष मिशन पर जाने वाले लोगों को इसका सबसे ज्यादा सामना करना पड़ता है। साथ ही इन पायलटों को उन चीजों के बारे में भी जानकारी दी जाएगी जो उन्हें उनके स्पेसक्राफ्ट की 'असामान्य लैंडिंग' के वक्त ध्यान रखनी होंगी। उन्हें यह भी बताया जाएगा कि अलग-अलग सतह पर स्पेसक्राफ्ट की लैंडिंग के वक्त क्या-क्या सावधानी बरतनी होगी।
इन पायलटों का चयन किसने किया है?
ISRO ने गगनयान मिशन के लिए पायलटों के चयन की जिम्मेदारी एयरफोर्स के इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन को सौंपी थी। यहां वायुसेना ने रूस के एयरोस्पेस मेडिसिन एक्सपर्ट ओलेग वालेरियेविच कोतोव की मदद से 60 में से चार पायलटों को चुना है। कोतोव को 526 दिनों तक अंतरिक्ष में रहने का अनुभव है। रूस से लौटने के बाद ISRO में इन पायलटों की ट्रेनिंग होगी। यहां उन्हें गगनयान मिशन से जुड़े कामों की ट्रेनिंग मिलेगी।
2007 में बनी थी गगनयान की रूपरेखा
इस मिशन की रूपरेखा 2007 से तैयार की जा रही है, लेकिन उस समय बजट और तकनीक की कमी के कारण इसे अंजाम नहीं दिया जा सका। 2007 में ISRO के पास मौजूद GSLV रॉकेट इंसानों को ले जाने वाले मॉड्यूल में सक्षम नहीं थे। इसके बाद 2014 में ISRO ने GSLV मार्क-2 को तैयार कर इस यह काबिलियत हासिल की। अब ISRO की काबिलियत का डंका पूरी दुनिया में बज रहा है।
टेस्ट फ्लाइट पर भेजी जाएगी व्योममित्र
माना जा रहा है कि ISRO 2022 में गगनयान मिशन को लॉन्च करेगा। उससे पहले दो टेस्ट फ्लाइट भेजी जाएंगी। इनसे मिले नतीजों और सबक के आधार पर मिशन में कुछ बदलाव किये जा सकते हैं। टेस्ट फ्लाइट में हाफ ह्यूमनॉयड (इंसान से मिलता-जुलता रोबोट) भेजा जाएगा। ISRO ने कुछ समय पहले इस ह्यूमनॉयड की झलक दिखाई थी। यह एक 'महिला' है और इसका नाम व्योममित्र रखा गया है, जिसका मतलब 'आकाश का दोस्त' होता है।