इस कारण विक्रम लैंडर से नहीं रहा संपर्क, ISRO वैज्ञानिक ने बताई वजह
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-2 मिशन के तहत भेजे गए विक्रम लैंडर की लोकेशन का पता लगा लिया है। लैंडिंग से पहले विक्रम लैंडर का कंट्रोल रूम से संपर्क टूट गया था। ISRO प्रमुख के. सिवन ने रविवार को बताया कि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने विक्रम की थर्मल इमेज ली है, लेकिन इससे संपर्क स्थापित नहीं हो पाया है। इसके पीछे ISRO के वैज्ञानिकों ने क्या वजह बताई है? आइये, जानते हैं।
इस वजह से नहीं हो रहा विक्रम से संपर्क
चंद्रयान-1 के मिशन डायरेक्टर एम अन्नादुरई ने विक्रम से संपर्क न होने के पीछे की वजह बताई है। उन्होंने कहा कि चांद की सतह पर मौजूद रुकवाटें विक्रम से संपर्क साधने में रोड़ा बनी हुई हो सकती हैं। उन्होंने कहा, "हमें लैंडर की पता लगा लिया है। अब हमें संपर्क स्थापित करना है। जिस जगह लैंडर उतरा है वह सॉफ्ट लैंडिंग के लिए उपयुक्त नहीं है। वहां कुछ रुकावटें हो सकती हैं, जिस वजह से संपर्क नहीं हो रहा।"
सतह से दो किलोमीटर की ऊंचाई पर टूटा संपर्क
चंद्रयान-2 के जरिए चांद की सतह पर उतरने की भारत की यह पहली कोशिश थी। मिशन पर भेजे गए लैंडर को शनिवार रात को चांद पर सॉफ्ट लैंड करना था, लेकिन चांद की सतह 2.1 किलोमीटर ऊपर इसका कंट्रोल रूम से संपर्क टूट गया था।
95 फीसदी सफल है चंद्रयान-2 मिशन
चंद्रमा से 100 किलोमीटर ऊपर परिक्रमा कर रहे ऑर्बिटर ने लैंडर की थर्मल इमेज ली थी। अन्नादुरई ने कहा, "ऑर्बिटर और लैंडर के बीच हमेशा टू-वे कम्यूनिकेशन होता है, लेकिन हम केवल वन-वे कम्यूनिकेशन की कोशिश कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह कम्यूनिकेशन 5-10 मिनट का होगा।" वहीं, ISRO ने कहा कि चंद्रयान-2 मिशन 95 फीसदी सफल है और यह चांद से जुड़े अध्ययन में बड़ी भूमिका निभाएगा। NASA ने भी ISRO की इस कोशिश की तारीफ की है।
विक्रम से संपर्क साधना इसलिए है जरूरी
अगर विक्रम और इसमें मौजूद प्रज्ञान रोवर से संपर्क नहीं हो पाता है तो वो चांद की सतह का डाटा ISRO तक नहीं भेज पाएंगे। साथ ही विक्रम लैंडर का जीवनकाल केवल 14 दिनों का है। इन्हीं 14 दिनों में उससे संपर्क जुड़ना जरूरी है।