क्या होती है फास्ट चार्जिंग टेक्नोलॉजी, स्मार्टफोन्स के लिए क्यों है जरूरी?
स्मार्टफोन्स की बैटरी टेक्नोलॉजी पिछले कुछ साल में तेजी से बदली है और कंपनियां फास्ट चार्जिंग टेक्नोलॉजी पर भी जोर दे रही हैं। मिडरेंज से लेकर फ्लैगशिप स्मार्टफोन्स तक अब फास्ट चार्जिंग ऑफर करते हैं। इसकी मदद से स्मार्टफोन बैटरीज कम वक्त में फुल चार्ज हो जाती हैं और फोन को घंटों चार्ज नहीं करना पड़ता। आइए समझते हैं कि फास्ट चार्जिंग टेक्नोलॉजी कैसे काम करती है और क्यों जरूरी है।
ज्यादा क्षमता वाले चार्जर्स करते हैं मदद
जो स्मार्टफोन्स या दूसरे डिवाइसेज चार्जिंग में ज्यादा वक्त लेते हैं, उन्हें स्टैंडर्ड चार्जर्स का सपोर्ट दिया जाता है। ऐसे चार्जर्स 5W या 10W तक क्षमता के साथ ही आते हैं और इनकी मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट भी कम होती है। इनकी कोशिश रहती है कि डिवाइसेज की छोटी बैटरी को ज्यादा पावर के चलते नुकसान ना पहुंचे। अब कंपनियां इन चार्जर्स की क्षमता बढ़ा रही हैं और फोन बैटरीज को इनसे मिलने वाली ज्यादा पावर का सपोर्ट दे रही हैं।
स्मार्टफोन्स में मिलता है फास्ट चार्जिंग का सपोर्ट
बेशक फास्ट चार्जिंग का संबंध किसी चार्जर की ज्यादा क्षमता और तेजी से पावर डिलीवर करने से हो, लेकिन फास्ट चार्जिंग का सपोर्ट चार्जर के बजाय फोन देता है। यानी कि अगर कोई फोन 18W फास्ट चार्जिंग सपोर्ट करता है, तो 45W फास्ट चार्जर से भी उसे इतनी ही क्षमता से पावर सप्लाई की जाएगी। इसी तरह फास्ट चार्जर की मदद से उस फोन को तेजी से चार्ज नहीं किया जा सकेगा, जो फास्ट चार्जिंग सपोर्ट नहीं करता।
ऐसे काम करती है बैटरी की फास्ट चार्जिंग
किसी स्मार्टफोन या दूसरे डिवाइस की बैटरी उसमें मौजूद इलेक्ट्रॉन्स के साथ चार्ज होती है, जिनपर पॉजिटिव चार्ज इलेक्ट्रिसिटी की मदद से ऐड किया जाता है। इस तरह चार्ज की मदद से डिवाइस को पावर मिलती है और इसके खत्म होने के साथ बैटरी डिस्चार्ज होती जाती है। फास्ट चार्जिंग टेक्नोलॉजी इन इलेक्ट्रॉन्स को सामान्य चार्जर के मुकाबले तेजी से चार्ज करती है, हालांकि इस दौरान बैटरी गर्म होने और उसे नुकसान पहुंचने से रोकना सबसे जरूरी होता है।
अलग-अलग नामों वाली फास्ट चार्जिंग टेक्नोलॉजी
ओप्पो स्मार्टफोन्स में वूक और सुपरवूक, शाओमी स्मार्टफोन्स में हाइपरचार्ज, हुवाई फोन्स में सुपरचार्ज, वनप्लस फोन्स में वार्पचार्ज और वीवो फोन्स में सुपर फ्लैश चार्ज नाम से फास्ट चार्जिंग मिलती है। क्वालकॉम की क्विक चार्ज टेक्नोलॉजी भी ढेरों डिवाइसेज में मिलती है।
बैटरी को नुकसान से बचाने की चुनौती
चार्जर से फोन की बैटरी को तेजी से पावर दी जाए और फोन उसे स्वीकार कर सके, इसके लिए चार्जर और बैटरी दोनों को खास ढंग से तैयार किया जाता है। बैटरी ज्यादा लो होने पर इलेक्ट्रॉन्स तेजी से चार्ज होते हैं और बाद में उन्हें चार्ज करने की रफ्तार कम कर दी जाती है, जिससे डिवाइस या बैटरी पर दबाव ना पड़े। यही वजह है कि फास्ट चार्जर बैटरी प्रतिशत कम होने पर ज्यादा तेजी से चार्जिंग करते हैं।
क्यों जरूरी है फास्ट चार्जिंग?
स्मार्टफोन्स जिंदगी का जरूरी हिस्सा बन चुके हैं और इन्हें चार्जिंग में लगाने का मतलब इनसे दूर रहना होता है। यूजर्स के पास भागदौड़ वाली जिंदगी के चलते कम वक्त बचता है और कई बार वे अपने फोन चार्जिंग पर लगाना भूल जाते हैं। ऐसे में चंद मिनट की चार्जिंग भी उन्हें लंबा बैकअप देती है। सफर पर या घर से बाहर होने पर भी यह टेक्नोलॉजी मददगार साबित होती है और फोन फटाफट चार्ज हो जाता है।
क्या फास्ट चार्जिंग से बैटरी क्षमता प्रभावित होती है?
फास्ट चार्जिंग सामान्य रूप से डिवाइस की बैटरी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाती। कंपैटिबल चार्जर फोन को उतनी ही पावर भेजता है, जितनी डिवाइस हैंडल कर सकता है। हालांकि, ढेरों चार्जिंग साइकल्स पूरे होने के बाद बैटरी क्षमता पहले के मुकाबले कुछ कम जरूर हो जाती है। चार्जर कंपैटिबल ना होने की स्थिति में डिवाइस गर्म होने जैसी दिक्कतें भी आ सकती हैं। फोन का गर्म होना या फिर इसपर पड़ने वाला दबाव बैटरी को प्रभावित करता है।
ओप्पो के पास सबसे तेज 240W फ्लैश चार्ज टेक्नोलॉजी
ओप्पो ने इस साल अपनी सुपरवूक फास्ट चार्जिंग टेक्नोलॉजी का सबसे एडवांस्ड वर्जन मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस 2022 इवेंट में पेश किया। कंपनी पिछले रिकॉर्ड्स तोड़ते हुए 240W सुपरवूक स्पीड दे रही है। इस स्पीड के साथ 4,500mAh बैटरी क्षमता वाले डिवाइस को केवल नौ मिनट में जीरो से 100 प्रतिशत चार्ज किया जा सकता है। वहीं, 150W सुपरवूक फ्लैश चार्ज के साथ इस बैटरी को पांच मिनट में 50 प्रतिशत और 15 मिनट में फुल चार्ज किया जा सकता है।