क्या आंखों के लिए वाकई फायदेमंद है डार्क मोड?
पिछले कुछ साल में ढेरों लोकप्रिय ऐप्स ने एक नया फीचर अपनी सेवाओं में शामिल किया, जो है- डार्क मोड। इस फीचर की मदद से स्क्रीन पर दिखने वाला टेक्स्ट सफेद या ग्रे शेड में नजर आता है और बाकी हिस्सा काला हो जाता है। दावा है कि डार्क मोड में कंप्यूटर या स्मार्टफोन इस्तेमाल करने से बैटरी की बचत होती है और आंखों पर कम जोर पड़ता है। इस बात में कितनी सच्चाई है, आइए जानते हैं।
क्या है डार्क मोड फीचर?
कंप्यूटर, टैबलेट या स्मार्टफोन्स की स्क्रीन्स का बड़ा हिस्सा सामान्य रूप से सफेद दिखता है, जिसपर काले रंग से टेक्स्ट और दूसरे रंगों में बाकी चीजें दिखाई जाती हैं। डार्क मोड फीचर के साथ इससे उलट स्क्रीन का सफेद हिस्सा काले/डार्क रंग का दिखने लगता है और टेक्स्ट या दूसरे एलिमेंट्स सफेद, ग्रे और हरे रंग के शेड में दिखते हैं। इस फीचर के साथ स्क्रीन ब्राइट नहीं दिखती और खासकर रात में डिवाइसेज इस्तेमाल करना आसान हो जाता है।
यह है डार्क मोड का इतिहास
कंप्यूटर का दौर शुरू हुआ तो उनमें मोनोक्रोम CRT मॉनीटर्स इस्तेमाल किए जाते थे, जिनमें पूरी स्क्रीन काली होती थी और उसपर हरे रंग के शेड में टेक्स्ट दिखता था। अब भी कुछ हैकर्स या कोडिंग करने वाले ऐसा इंटरफेस का इस्तेमाल करते हैं। वहीं, 1980 के दशक में जीरॉक्स और CPT कॉर्पोरेशन की ओर से वर्ड प्रोसेसिंग मशीनें बनाई गईं और पहली बार सफेद स्क्रीन वाले मॉनीटर इस्तेमाल किए जाने लगे, जिनपर काले रंग से टेक्स्ट दिखाया जाता था।
देखते ही देखते ट्रेंड में आया फीचर
डार्क मोड फीचर कुछ ऐप्स में लंबे वक्त से मिल रहा था, लेकिन पिछले कुछ साल में इसे ढेरों प्लेटफॉर्म्स ने अपनाया। गूगल फैमिली की ऐप्स के बाद डार्क मोड सोशल मीडिया ऐप्स का हिस्सा बना और अब सिस्टम-वाइड डार्क मोड का विकल्प भी दिया जा रहा है। एंड्रॉयड, iOS और विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम्स में भी डार्क मोड इनेबल करने का विकल्प मिलने लगा है। यूजर्स भी इस बदलाव को खूब पसंद कर रहे हैं।
क्या डार्क मोड से होती है बैटरी की बचत?
डार्क मोड का सबसे बड़ा फायदा इसकी वजह से होने वाली बैटरी की बचत को माना जाता है। यह बात केवल OLED या AMOLED डिस्प्ले पर लागू होती है और LCD डिस्प्ले पर डार्क मोड बैटरी नहीं बचाता। दरअसल, OLED और AMOLED डिस्प्ले में हर पिक्सल अलग-अलग पावर इस्तेमाल करता है और काले रंग का दिखने वाले पिक्सल ऑफ हो जाते हैं। इस तरह लाइट मोड के मुकाबले कम पावर खर्च होती है।
बैटरी बैकअप पर नहीं पड़ता ज्यादा असर
एक स्टडी में सामने आया है कि डार्क मोड से बैटरी बैकअप पर बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। रिसर्चर्स की मानें तो लो या मिड-ब्राइटनेस में डार्क मोड से केवल तीन से नौ प्रतिशत तक बैटरी की बचत होती है।
डार्क मोड के साथ आती है बेहतर नींद
स्मार्टफोन्स और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट भी डार्क मोड इनेबल करने पर कम हो जाती है। हार्वर्ड हेल्थ पेपर के मुताबिक, लगातार इस ब्लू लाइट के संपर्क में रहने पर मेलाटोनिन हार्मोन पर प्रभाव पड़ता है। यह हार्मोन रात में अच्छी नींद आने के लिए जिम्मेदार होता है। आसान भाषा में समझें तो रात में डार्क मोड में फोन इस्तेमाल करने से अच्छी नींद आती है।
क्या आंखों के लिए फायदेमंद है डार्क मोड?
सॉफ्टवेयर कंपनियां दावा करती हैं कि डार्क मोड आंखों के लिए फायदेमंद है, लेकिन सच्चाई कुछ और है। डार्क मोड का ज्यादा इस्तेमाल उल्टा आंखों को नुकसान पहुंचा सकता है। अमेरिकन ऑप्टोमेट्रिक एसोसिएशन की मानें तो ऐसा करने से एक तरह की आंखों की बीमारी (एस्टिगमैटिज्म) भी हो सकती है, जिसमें डार्क बैकग्राउंड पर लिखा टेक्स्ट साफ दिखना बंद हो जाता है। ऐसा बार-बार आंखों की पुतलियां फैलने और सिकुड़ने के चलते होता है।
आंखों की संरचना से जुड़ा है डार्क मोड से जुड़ा खतरा
इंसानी आंखों देखने के लिए रोशनी की मदद लेती हैं और चीजों से टकराकर आंखों तक पहुंचने वाली रोशनी के चलते वे दिखती हैं। रात में इंसानी पुतलियां ज्यादा फैलती हैं, जिससे ज्यादा रोशनी अंदर जा सके। इस दौरान डार्क मोड में स्क्रीन देखना भी बेहतर होता है। वहीं, दिन में पुतलियां सिकुड़ जाती हैं, जिससे कम रोशनी अंदर जाए। डार्क मोड ऑन होने पर स्क्रीन कंटेंट साफ देखने के लिए पुतलियों को बार-बार फैलना पड़ता है।
इस तरह डार्क मोड इस्तेमाल करने में समझदारी
डार्क मोड फीचर इस्तेमाल करना खतरनाक है, ऐसा बिल्कुल नहीं है। हालांकि, डार्क और लाइट मोड दोनों में स्विच करते रहना चाहिए। लगभग सभी सिस्टम यूजर्स को डार्क मोड शेड्यूल करने का विकल्प देते हैं। आप रात में अंधेरा होने से लेकर सुबह होने तक का वक्त डार्क मोड के लिए शेड्यूल कर सकते हैं। दिन में लाइट मोड और शाम होने के बाद डार्क मोड में फोन इस्तेमाल करने की आदत सबसे ज्यादा फायदेमंद साबित होगी।
न्यूजबाइट्स प्लस
फोन की स्क्रीन से निकलने वाली रोशनी आंखों को नुकसान पहुंचाती है या फिर डार्क मोड की मदद से ऐसा नहीं होता, इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। रिसर्चर्स के मुताबिक, स्क्रीन देखने के दौरान पलकें कम झपकाने की वजह से थकान महसूस होती है।