अमेरिका ने एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को प्रशिक्षण का प्रस्ताव दिया, नहीं होना चाहिए गगनयान यात्री
अमेरिका ने अंतरिक्ष क्षेत्र में भविष्य के सहयोग के हिस्से के रूप में एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को प्रशिक्षण देने का प्रस्ताव दिया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ये प्रशिक्षण उन अंतरिक्ष यात्रियों के लिए नहीं है जो भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान का हिस्सा हैं। उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय अंतरिक्ष यात्री के प्रशिक्षण की योजना को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है।
गगनयान के लिए रूस में ट्रेनिंग ले चुके हैं अंतरिक्ष यात्री
इससे पहले गगनयान मिशन के लिए भारतीय वायुसेना (IAF) के 4 पायलटों ने रूस में अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण लिया था। रूस में हुए प्रशिक्षण में अंतरिक्ष के माहौल में रहने के लिए तैयार करना, अंतरिक्ष में शरीर में होने वाले बदलाव और उनसे निपटने का कौशल सीखना शामिल था। इसके साथ ही अंतरिक्ष यात्रियों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तक ले जाने वाले सोयुज स्पेसक्राफ्ट के सिस्टम के बारे में भी विस्तार से जानकारी देना प्रशिक्षण का हिस्सा था।
कोरोना के चलते गगनयान मिशन में हुई देरी
गगनयान को दिसंबर, 2021 तक अंतरिक्ष में भेजने की योजना बनाई गई थी, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के चलते गगनयान मिशन में देरी हुई। महामारी के कारण रूस में ट्रेनिंग ले रहे लोगों की ट्रेनिंग के साथ ही अन्य योजनाएं भी बाधित हुईं, जो देरी का कारण बनीं। ISRO के गगनयान मिशन के तहत अंतरिक्ष मिशनों को कक्षा में भेजा जाएगा। इन तीन मिशनों में से 2 मानवरहित होंगे, जबकि एक मानव युक्त मिशन होगा।
पृथ्वी से 300-400 किलोमीटर ऊंचाई पर पृथ्वी का चक्कर लगाएगा मिशन
मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम (ऑर्टिब मॉड्यूल) में अंतरिक्ष यात्री होंगे। यह पृथ्वी से 300-400 किलोमीटर ऊंचाई पर निम्न भू-कक्षा में पृथ्वी का चक्कर लगाएगा। गगनयान की रूपरेखा 2007 में बनी, लेकिन बजट और तकनीकी कमी की वजह से इसे अंजाम नहीं दिया जा सका। तब ISRO के GSLV रॉकेट इंसानों को ले जाने वाले मॉड्यूल ले जाने में सक्षम नहीं थे। ISRO ने GSLV मार्क-2 और मार्क-3 तैयार कर ये काबिलियत हासिल की। इसे लॉन्च व्हीकल मार्क(LVM) भी कहते हैं।
गगनयान मिशन का उद्देश्य
गगनयान मिशन देश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के स्तर को बढ़ाने और युवाओं को प्रेरित करने में मदद करेगा। यह औद्योगिक विकास में सुधार करने में मदद करेगा। अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी भागीदारी को बढ़ाने हेतु किये जा रहे सुधारों के क्रम सरकार ने IN-SPACe के गठन की घोषणा भी की थी। यह सामाजिक लाभों के लिये प्रौद्योगिकी के विकास में मदद करेगा। यह अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने में भी मदद करेगा।
चंद्रयान-3 की भी तैयारी कर रहा भारत
भारत चंद्रयान-3 की भी तैयारी कर रहा है। इसे जून, 2023 तक लॉन्च किया जा सकता है। इसकी लॉन्चिंग में भी कोरोना और अन्य कारणों के चलते देरी हुई। इसका उद्देश्य चंद्रमा का अध्ययन और वहां भारत की मौजूदगी को पुख्ता करना है। 'चंद्रयान-3' मिशन ने एक महत्वपूर्ण टेस्ट को हाल ही में सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। ISRO ने रविवार को जानकारी दी कि 'चंद्रयान-3' के लैंडर का EMI/EMC टेस्ट सफलतापूर्वक पूरा हो गया है।